Rajasthan

Jhunjhunun

EA/1/2015

Gokul Singh - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Jaysingh Shekhavat

04 Sep 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Execution Application No. EA/1/2015
In
Complaint Case No. 339/2006
 
1. Gokul Singh
Papurana,Khetri
Jhunjhunu
Rajasthan
...........Appellant(s)
Versus
1. AVVNL
Khetri
Jhunjhunu
Rajasthan
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel PRESIDENT
 HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui MEMBER
 HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra MEMBER
 
For the Appellant:Jaysingh Shekhavat, Advocate
For the Respondent: Subhash Chand Sarma, Advocate
ORDER

      तारीख हुक्म
    .                           परिवाद संख्या 01/15
                               हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
गोकुल सिंह    बनाम    सहायक अभियंता, अ.वि.वि.नि.लि. खेतडीनगर तहसील खेतडी
                      जिला झुंझुनू (राज.) वगै.
                                नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए

04.09.2015           प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 25 व 27 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम,1986  
        प्रार्थी की ओर से वकील श्री जयसिंह शेखावत उपस्थित। विपक्षीगण की ओर से वकील श्री सुभाषचन्द्र शर्मा उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
        विद्वान् अधिवक्ता प्रार्थी ने प्रार्थना पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि प्रार्थी/परिवादी ने इस मंच के समक्ष एक परिवाद संख्या 339/2006 पेष किया था, जिसका निर्णय दिनांक    31.10.2007 को हो चुका है। इस मंच द्वारा परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,1986 विरूद्ध विपक्षीगण स्वीकार किया जाकर आदेष दिया गया था कि प्रार्थी/परिवादी के विद्युत बिल माह जुलाई,2006 में विपक्षीगण ने जो राषि 35,125/-रूपये पिछली बकाया बताकर भेजी गई है, उसको निरस्त किया गया है।
        विद्वान् अधिवक्ता प्रार्थी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि विपक्षीगण ने निर्णय की जानबूझकर पालना नहीं की है बल्कि विपक्षी द्वारा परिवादी के आगामी बिल माह मई,2014 में मंच द्वारा निरस्त की गई राषि 35125/-रूपये में विलम्ब भुगतान सरचार्ज जोडते हुये 1,10,329/-रूपये कर दिये गये हैं। जो न्यायालय आदेष की अवहेलना है।
        अंत में प्रार्थी ने प्रार्थना पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर विपक्षीगण सेे मंच के आदेष की पालना करवाकर माह मई,2014 के विद्युत बिल में अंकित गलत व अनुचित राषि 1,10,329/-रूपये को निरस्त कर संषोधित बिल जारी किये जाने एवं आदेष की अवहेलना के लिये सिविल जेल भेजे जाने की प्रार्थना की है।
        विद्धान अधिवक्ता विपक्षी/अप्रार्थी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि निगम द्वारा मंच के आदेष दिनांक 31.10.2007 के विरूद्ध माननीय राज्य आयोग में अपील की गई थी जो खारिज हो गई । उक्त अपील के विरूद्ध निगम द्वारा अपील माननीय केन्द्र आयोग, दिल्ली में करदी गई, इस कारण माननीय मंच के निर्णय की पालना नहीं की जा सकी। न्यायालय द्वारा निरस्त की गई राषि 

पेनेल्टी सहित आवेदन के विद्युत बिल में से कम कर आगामी विद्युत बिलों में सम्बन्धित कार्यालय से सही करवाकर परिवादी को विद्युत बिल दे दिया जावेगा। 
       अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
       प्रस्तुत प्रकरण में विपक्षीगण के विद्वान् अधिवक्ता का यह कथन है कि  मंच के आदेष दिनांक 31.10.2007 के विरूद्ध निगम द्वारा माननीय राज्य आयोग में अपील की गई थी जो खारिज हो गई तथा उक्त अपील के विरूद्ध निगम द्वारा अपील माननीय केन्द्र आयोग, दिल्ली में करदी गई, इस कारण माननीय मंच के निर्णय की पालना नहीं की जा सकी। माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा अपील में कोई स्थगन आदेष पारित किया हो ऐसा कोई अभिलेख विपक्षीगण की ओर से पत्रावली में पेष नहीं किया है। माननीय राष्ट्रीय आयोग में की गई अपील का निर्णय हो गया अथवा नहीं इस संबंध में भी विपक्षीगण द्वारा स्पष्ट नहीं किया गया है। विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण द्वारा आज तक प्रार्थी/परिवादी को नियमानुसार उक्त राषि कम करके संषोधित बिल क्यों नहीं भिजवाया गया, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पत्रावली में पेष नहीं किया गया है। 
      अतः विपक्षीगण को हिदायत देते हुये यह आदेष दिया जाता है कि इस मंच के पूर्व आदेष की पालना नहीं करके अवज्ञात्मक रूप दर्षित न करें तथा उक्त पालना में किसी प्रकार की कोताही व हठधर्मिता नहीं बरतें । परिवादी को पूर्व आदेषानुसार तुरंत संषोधित बिल जारी करें।  इस निर्देष के साथ प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
         पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफतर हो।
         आदेश आज दिनांक 04.09.2015 को लिखाया जाकर मंच द्वारा सुनाया गया। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

    

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Sh sukhpalBundel]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MS. Ms. Sabana Farooqui]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mr. Ajay Kumar Mishra]
MEMBER

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