Rajasthan

Jhunjhunun

18/2014 EA

EMRAAN - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

MAHIPAL

09 Jun 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 18/2014 EA
 
1. EMRAAN
CHIRAWA
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
SULTANA
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

तारीख  
हुक्म
    परिवाद संख्या 18/14.
                               हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
  इमरान    बनाम        सहायक अभियंता, अ.वि.वि.नि.लि. सुलताना तहसील चिड़ावा जिला
                       झुंझुनू (राज0)  ़    नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए

09.06.2015             प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 25 व 27 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम  
     प्रार्थी की ओर से वकील श्री महीपाल उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री विद्याधर महला़ उपस्थित। 
      प्रार्थी इमरान की ओर से एक प्रार्थना पत्र धारा 25 व 27 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,1986 के अंतर्गत इस आषय का पेष किया है कि प्रार्थी/परिवादी ने इस मंच के समक्ष एक परिवाद संख्या 532/13 पेष किया, जिसका निर्णय दिनांक 29.01.2014 को हो चुका है। निर्णय के अनुसार परिवादी का परिवाद पत्र स्वीकार किया जाकर विवादित बिल माह फरवरी,2013 में अवैध रूप से गलत जोडकर भेजी गई राषि 12710/-रूपये बाबत निरस्त किया जाकर परिवादी को माह फरवरी, 2013 के पिछले तीन बिलों के एवरेज के आधार पर जो स्वंय परिवादी ने वास्तविक विद्युत युनिट का उपभोग किया है उसके आधार पर संषोधित बिल जारी किया जाने का आदेष दिया तथा यह भी निर्देष दिया कि परिवादी को विद्युत कनेक्षन तुरंत जोडा जावे। 
      उक्त आदेष की पालना विपक्षी 15 दिवस की अवधि में आवष्यक रूप से करे अन्यथा परिवादी विपक्षी से हर्जे खर्चे के रूप में 5000/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी होगा। 

      विद्वान् अधिवक्ता प्रार्थी ने बहस के दौरान यह कथन किया है कि विपक्षी ने निर्णय की जानबूझकर पालना नहीं की तथा मंच के आदेष दिनांक 29.01.2014 की पालना में बिल माह फरवरी, 2013 में जोडी गई राषि 12710/-रूपये निरस्त नहीं की तथा ना ही प्रार्थी का विद्युत कनेक्षन पुनः स्थापित किया, जो न्यायालय आदेष की अवहेलना है।
        अंत में प्रार्थी ने प्रार्थना पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर विपक्षी को मंच के आदेष दिनांक 29.01.2014 की अवहेलना के लिये सिविल जेल भेजे जाने की प्रार्थना की है।
        विद्धान अधिवक्ता विपक्षी/अप्रार्थी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवाद संख्या 532/14 में निर्णय दिनांक 29.01.2014 की पालना करदी गई है। न्यायालय के आदेष के अनुसार 12710/-रूपये + 1542 ब्याज की राषि कुल 14252/-रूपये माह 4/14 के बिल में कम कर दिये गये और CC&AR Page 5617@ 28 dt.  26.03.2014  के माध्यम से कम किये गये हैं। उसी दिन उपभोक्ता द्वारा शेष राषि का बिल 12800/-रूपये रसीद संख्या 165 दिनांक 26.03.2014 को जमा करवाने 

पर परिवादी का कनेक्षन RCO NO. 9259/10  दिनांक 26.03.2014 को जोडने का कनिष्ठ अभियंता ने आदेष दिया, जिस पर परिवादी का विद्युत कनेक्षन स्थापित कर दिया गया। परिवादी ने झूठे तथ्य दर्ज कर परिवाद पेष किया है।
       विद्धान अधिवक्ता विपक्षी/अप्रार्थी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी ने विपक्षी के कार्यालय में दिनांक 13.02.2014 को मंच के आदेष की प्रति पेष की तथा उसी दौरान माह फरवरी,2014 की बीलिंग के लिये कम्प्यूटर सैल में बिल बनने भेजी जा चुकी थी। इस कारण परिवादी के माह फरवरी कें बिल में राषि लगकर आ गई जो परिवादी द्वारा विपक्षी के कार्यालय में अवगत कराने पर उक्त राषि CC&AR रजिस्टर में दर्ज कर अगले बिल में माह अप्रेल, 2014 में कम करवादी गई है। इस प्रकार निर्णय दिनांक 29.01.2014 की पालना हो चुकी है। 
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
        प्रस्तुत प्रकरण के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि विपक्षी द्वारा परिवादी के बिल  में 14252/-रूपये दिनंाक 26.03.2014 को कम करके संषोधित बिल जारी किया गया है। विपक्षी को आदेष दिनांक 29.01.2014 की पालना 15 दिवस की अवधि में आवष्यक रूप से की जानी थी लेकिन विपक्षी को पर्याप्त समय दिये जाने के बावजूद विपक्षी ने उक्त आदेष की पालना एक माह 11 दिन बाद की है । विपक्षी की घोर लापरवाही के कारण इस मंच के आदेष की अवहेलना हुई है। ऐसी स्थिति में आदेषित राषि 5000/-रूपये की विपक्षी से वसूली के लिये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 25(3) के तहत वसूली वारंट जारी कर जिला कलेक्टर, झुंझुनू को भेजा जावे। राषि वसूल होने पर परिवादी/प्रार्थी इमरान को दी जावे।
आदेश आज दिनांक 09.06.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 

 

 

 

 

 

    

 

 

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