Rajasthan

Nagaur

202/2012

Dularam Jat - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Sh Vikram joshi

25 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 202/2012
 
1. Dularam Jat
BArwali,Nagaur
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:Sh Vikram joshi, Advocate
For the Opp. Party: Sh SK Jani, Advocate
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

परिवाद सं. 202/2012

दुलाराम पुत्र बिरदाराम, जाति-जाट, ग्राम-बरवाली, तहसील-मकराना, जिला- नागौर (राजस्थान)।

                                                                                                                                                  -परिवादी     

बनाम

1 प्रबंध निदेशक, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, अजमेर।

2 सहायक अभियंता (ग्रामीण), अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, मकराना।

 

                                                                                                                                                                -अप्रार्थीगण

समक्षः

1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।

2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।

3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            श्री विक्रम जोशी, अधिवक्ता वास्ते परिवादी।

2.            श्री सुरेन्द्र कुमार ज्याणी, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थीगण। 

                                           

 

 

अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                  आ  दे  श          दि0 25.02.2015

 

 

                परिवाद पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अप्रार्थीगण से कृषि श्रेणी का विद्युत कनेक्शन लिया हुआ है। प्रार्थी ने अप्रार्थीगण द्वारा जारी बिलों का समय पर भुगतान किया है। कोई राशि बकाया नहीं है। अप्रार्थीगण परिवादी को फ्लेट रेट से बिल जारी करते हैं परन्तु अगस्त, 2012 का बिल 38380/- रूपये का जारी किया। प्रार्थी की शिकायत पर यह बताया गया कि विवादित राशि आॅडिट रिपोर्ट के आधार पर है। इस सम्बन्ध में प्रार्थी को कभी सूचना नहीं दी गई, ना ही उसे सुना गया। आॅडिट में अप्रेल, 2009 से बकाया राशि होना बताया है। जिसकी मांग अगस्त, 2012 में की है। कानूनन अवधि वर्जित राशि होने के कारण वसूल नहीं की जा सकती।

1.            अप्रार्थीगण का मुख्य रूप से कहना है कि परिवादी का माह अप्रेल, 2009 से मीटर बंद/खराब चल रहा था। माह फरवरी, 2010 में 890 यूनिट उपभोग आने पर फ्लेट रेट के आधार पर फरवरी, 2010 में 3818 यूनिट प्रति दो माह की बिलिंग करके बिल दिया गया है। जिसे प्रार्थी ने समय समय पर जमा कराया है। आॅडिट पार्टी ने उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई राशि को कम करके शेष यूनिट 34891 की राशि कुल 32798/- रूपये उपभोक्ता के खाते में डेबिट कर विवादित बिल जारी किया। प्रार्थी को इस सम्बन्ध में नोटिस भी भेजा परन्तु उसने कोई लिखित जवाब नहीं दिया है। परिवादी ने लगभग 16 बीघा भूमि पर फसल कर रखी है जिसका अंकन मीटर रीडर ने अपने बाईन्डर में किया है। यह भी उल्लेख किया है कि परिवादी का विद्युत उपभोग संदेह पूर्ण है। मीटर से छेडछाड की है या मीटर खराब है। मीटर माह अप्रेल, 2009 से अक्टूबर, 2010 तक बंद था। आॅडिट रिपोर्ट के मुताबिक फ्लेट रेट से बिलिंग की जानी थी, जबकि कम उपभोग यूनिट के बिल जारी किए गए थे।

 

2.            उभय पक्षकारान की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया।

 

3.            सर्वप्रथम यहां इस बात का उल्लेख करना आवश्यक एवं उचित होगा कि जिस आन्तरिक रिपोर्ट के आधार पर विवादित बिल जारी किया है वह आन्तरिक रिपोर्ट अप्रार्थीगण की ओर से प्रस्तुत नहीं हुई है। महज एक पन्ने पर विवादित वसूली रकम के सम्बन्ध में जिक्र किया गया है। जो कि  पूणतः अस्पष्ट है, भ्रामक है। इसके अलावा यह भी प्रकट नहीं होता है कि कौन अंकेक्षण अधिकारी थे, किसके इस पर हस्ताक्षर है इस दस्तावेज पर किसी के भी हस्ताक्षर नहीं है। विवादित यूनिट निकाली गई। क्या मीटर बाईन्डर को आधार माना, यदि आधार माना तो किस प्रकार विवादित यूनिटों का आकलन किया गया। पूर्णतः अस्पष्ट है।

 

4.            विद्वान अधिवक्ता अप्रार्थीगण यह समझाने में विफल रहे हैं कि कितनी मीटर रीडिंग थी, किस प्रकार से मीटर रीडिंग से भार का आकलन किया जाता है। हमारी राय में यह तर्क निराधार है, भा्रमक है। इसके अलावा अप्रार्थीगण का जवाब के पैरा संख्या 3 के अंतिम भाग में यह लिखना कि परिवादी ने मीटर में छेडछाड की है या मीटर खराब है। इस प्रकार से स्वयं अप्रार्थीगण का ही सुदृढ मत नहीं है एक राय नहीं है कि मीटर खराब था या बंद था। मीटर रीडर द्वारा बाईन्डर में यह लिखना कि 15 बीघा में फसल है, उपभोग संदेहपूर्ण है। स्पष्ट नहीं है आखिर में क्या साबित करना चाहते हैं।

इस प्रकार से परिवादी अपना परिवाद पत्र साबित करने में सफल रहा है।

 

                                                                               

 

 

आदेश

 

                अप्रार्थीगण द्वारा अगस्त, 2012 के बिल में आॅडिट चार्जेज के रूप में मांगी गई राशि 31300/- रूपये निरस्त की जाती है, वसूली योग्य नहीं है। खर्चा पक्षकार अपना अपना वहन करें।

 

 

 

आदेश आज दिनांक 25.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया।

 

 

।बलवीर खुडखुडिया।    ।बृजलाल मीणा।   ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।

सदस्य                 अध्यक्ष            सदस्या

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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