Rajasthan

Jhunjhunun

CC/362/2014

Dayanand Mahala - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Prakas Kulhari

18 Dec 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/362/2014
 
1. Dayanand Mahala
Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

परिवाद संख्या 362/14
तारीख                   
हुक्म
    
हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
दयानंद महला बनाम सहायक अभियन्ता अ.वि.वि.नि.लि. झुंझुनू वगै. 
    नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
  24.03.2015                 अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
    परिवादी की ओर से वकील श्री प्रकाष कुलहरि उपस्थित। विपक्षीगण की ओर से वकील श्री राजीव महला उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने घरेलू विधुत कनेक्षन लेने हेतु प्रार्थना पत्र पेष किया। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को डिमाण्ड नोटिस 3700/-रूपये की राषि का जारी किया गया। डिमाण्ड नोटिस की राषि परिवादी द्वारा नियमानुसार विपक्षीगण के यहां जमा करवादी गई, जिसकी रसीद संख्या 99 की फोटो प्रति पत्रावली में संलग्न की गई है। इस प्रकार परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है।
विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि  विपक्षीगण से सम्पर्क करने पर परिवादी को झूठा आष्वासन देकर समय निकालते रहे तथा परिवादी के पडौसी जिनका वरियता क्रम में परिवादी से बाद में नम्बर था उन्हें विद्युत कनेक्षन दे दिया गया जो विपक्षीगण की लापरवाही एवं सेवा में कमी है।
       अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर परिवादी का घरेलु विद्युत कनेक्षन स्थापित किए जाने का निवेदन किया है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने जिस ट्रांसफार्मर से कनेक्षन चाहा था उस पर पहले से ही दो कनेक्षन स्थापित थे एवं तीन अन्य पत्रावली पहले से ही प्रस्तावित थी, इसलिये परिवादी को उस ट्रांसफार्मर से विद्युत कनेक्षन दिया जाना संभव नहीं है। विपक्षीगण का दूसरा ट्रांसफार्मर परिवादी के घर से 500 मीटर के दायरे में नहीं होने के कारण उससे भी परिवादी को विद्युत संबंध स्थापित किया जाना संभव नहीं है। इसलिये परिवादी को डिमाण्ड नोटिस की राषि रिफण्ड करने हेतु विपक्षीगण द्वारा बार-बार नोटिस जारी किये गये है। 
अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज फरमाया जाने का निवेदन किया है।

  उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।  
प्रस्तुत प्रकरण के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ है कि परिवादी ने घरेलु विद्युत कनेक्षन लेने हेतु डिमाण्ड नोटिस की राषि 3700/- रूपये विपक्षीगण के कार्यालय में दिनांक 05.08.2010 को नियमानुसार जमा करवादी, जिसकी रसीद की फोटो प्रति पत्रावली में संलग्न है । परिवादी की ओर से  आर.टी.आई. के तहत प्राप्त सूचना के आधार पर विद्युत कनेक्षन के संबंध में सूची पेष की है, जिससे स्पष्ट है कि परिवादी दयानंद को सूची वरियता क्रम के अनुसार पांचवा नम्बर पर विपक्षी द्वारा विद्युत कनेक्षन स्थापित किया जाना था लेकिन नियमानुसार परिवादी को वरियता क्रम के आधार पर विपक्षीगण द्वारा विद्युत कनेक्षन नहीं दिया जाकर छठे नम्बर पर आने वाले व्यक्ति को कनेक्षन दे दिया गया है। परिवादी को वरियता क्रम के आधार पर कनेक्षन क्यों नहीं दिया गया इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पत्रावली में पेष नहीं किया गया है । यदि परिवादी के विद्युत कनेक्षन में किसी प्रकार की कोई अड़चन/बाधा आ रही थी तो विपक्षीगण बिजली विभाग को परिवादी की डिमाण्ड नोटिस की राषि जमा करने से पहले ही विचार किया जाना चाहिये था। 
अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि परिवादी को दो माह की अवधि में घरेलु विधुत कनेक्षन दिया जावे अन्यथा स्थिति में 10,000/-रूपये हर्जे खर्चे के रूप में परिवादी विपक्षीगण से प्राप्त करने का हकदार होगा । इस निर्देष के साथ प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
     पत्रावली फैसल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो। 
आदेश आज दिनांक 24.03.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 

    

 

 

 

 

 

 

 

 

 


    

 

 

 

 

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