Rajasthan

Jhunjhunun

CC/586/2014

Dariya Singh - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

JAISINGH

31 Mar 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/586/2014
 
1. Dariya Singh
Bisanpura, Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


तारीख
हुक्म
                                           परिवाद संख्या 586/14
                               हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
  दरिया सिंह    बनाम     सहायक अभियंता (ग्रामीण) अ.वि.वि.नि.लि. झुंझुनू तहसील व
                        जिला झुंझुनू (राज0)      नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए

15.05.2015                                                
                                               अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 
                  परिवाद संख्या 586/14

        परिवादी की ओर से वकील श्री जयसिंह उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री लाल बहादुर जैन उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक  अवलोकन किया गया।     
  विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने घरेलू विधुत कनेक्षन लेने हेतु पत्रावली विपक्षी के कार्यालय में नियमानुसार जमा कराने के पश्चात विपक्षी द्वारा परिवादी को डिमाण्ड नोटिस जारी किया गया है। जिसकी राषि 3700/रुपये, जरिये रसीद संख्या 10405/89 दिनांक 01.06.2010 को विपक्षी के कार्यालय में जमा करवादी गई है। रसीद की फोटोप्रति पत्रावली में सलंग्न है। उक्त डिमाण्ड नोटिस की राषि जमा होने के बाद विपक्षीगण 5-7 रोज का नाम लेते रहे तथा आज तक परिवादी का विधुत कनेक्षन स्थापित नही किया है। विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा दोष की श्रेणी में आता है। 
   अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करते हुए परिवादी को घरेलू विधुत कनेक्षन शीघ्र स्थापित किये जाने का निवेदन किया। 
     विद्वान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया कि परिवादी के परिसर में विद्युत संबंध स्थापित नहीं किया गया इसलिये परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता नहीं है। विपक्षी द्वारा विधुत लाईन का कार्य किया जाना था लेकिन मौके पर परिवादी द्वारा विद्युत लाईन खडी करने के लिये रास्ता उपलब्ध नहीं करवाया तथा लाईन खडी करने के बाद पडौसियों ने तार नहीं खिंचने दिये इस कारण परिवादी का कनेक्षन स्थापित नहीं किया जा सका, जिसकी सूचना परिवादी को भिजवादी गई है ।
   अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
   उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।  


   प्रस्तुत प्रकरण में यह तथ्य निर्विवादित है कि परिवादी ने घरेलू विधुत कनेक्षन लेने हेतु नियमानुसार पत्रावली जमा करवाकर विपक्षी के निर्देषानुसार डिमाण्ड नोटिस की राषि 3700/रुपये जरिये रसीद संख्या 10405/89 दिनांक 01.06.2010 को विपक्षी के कार्यालय में जमा करवाये है।
  पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ है कि परिवादी काफी लम्बे समय से घरेलू विधुत कनेक्षन लेने हेतु प्रयास कर रहा हैै अभी तक परिवादी का विधुत कनेक्षन विपक्षी द्वारा क्यों नही स्थापित किया गया इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पेष नही किया है। केवल मौके पर पडौसियों द्वारा विवाद करने के कारण कार्य पूर्ण नही करने का कथन किया है। विपक्षी द्वारा परिवादी को डिमाण्ड नोटिस जारी करने व डिमांड नोटिस की राषि परिवादी से प्राप्त करने से पूर्व यह देखना आवष्यक था कि मौके पर परिवादी को विद्युत कनेक्षन स्थापित किया जा सकता है या नही ? विपक्षी द्वारा इन सब बातों को ध्यान में न रखकर परिवादी को घरेलु विद्युत कनेक्षन नहीं दिया जाना विपक्षी द्वारा घोर लापरवाही प्रतीत होती है । इसलिये विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा दोष की श्रेणी में आता है। 
      अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि परिवादी को तुरन्त घरेलू विधुत कनेक्षन स्थापित किया जावें। यदि परिवादी के उक्त विधुत कनेक्षन स्थापित करने में किसी प्रकार का विवाद या झगडा होने की सम्भावना हो तो विपक्षी द्वारा पुलिस इमदाद लेकर विधुत कनेक्षन जारी किया जावे। उक्त आदेष की पालना दो माह की अवधि में आवष्यक रुप से की जावें, अन्यथा स्थिति में परिवादी हर्जे खर्चे के रुप में विपक्षी से 10,000/रुपये प्राप्त करने का अधिकारी होगा। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
   आदेश आज दिनांक 15.05.2015 को लिखाया जाकर मंच द्वारा सुनाया गया। 
          पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो ।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


    

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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