Rajasthan

Jhunjhunun

CC/607/2014

Chandarbhan Lamba - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Chandarbhan Lamba

06 Jan 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/607/2014
 
1. Chandarbhan Lamba
Surajagadh, Jhunjhunu
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

    चन्द्रभान लाम्बा ब. सहायक अभियंता अ.वि.वि.नि. लि. सूरजगढ जिला झुंझुनू
              परिवाद संख्या 607/14
                  अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम

12.02.2015-      परिवादी स्वंय उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील     श्री सुरेन्द्र भाम्बू उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई । पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी व उसके भाईयों ने अपने  पिता फुलाराम के नाम से विपक्षी के यहां से कृषि कुए का विधुत कनेक्षन ले रखा था लेकिन पिता फूलाराम का स्वर्गवास हो चुका है। उक्त कुआ डार्कजोन में होने के कारण पानी की कमी होने से चलना बंद हो गया। विपक्षी द्वारा विद्युत बिल की राषि जमा नहीं होने के कारण दिनांक 12.03.2014 को कुए का स्थायी विद्युत सम्बंध विच्छेद (पी.डी.सी.) कर दिया गया तथा विपक्षी द्वारा माह मार्च,2014 के विद्युत बिल में बकाया राषि 32,574/-रूपये का बिल जारी करने पर परिवादी द्वारा दिनांक    20.11.2014 को विपक्षी कार्यालय में सम्पर्क किया गया तो विपक्षी द्वारा 38,865/-रूपये की राषि बकाया बताई गई। विपक्षी द्वारा विद्युत संबंध विच्छेद के बाद भी पूरी राषि बिलों में गलत जोडी जा रही रही है। 

         परिवादी का अपने परिवाद पत्र में यह भी कथन रहा है कि परिवादी सहित वे अपने पिता के पांच पुत्र हैं, जिनमें से एक की मृत्यु हो गई । बकाया बिल की राषि जमा कराने के लिये परिवादी के भाई आना-कानी कर रहे हैं जिसके कारण वह अपने हिस्से की राषि जमा करवाना चाहता है।
       अन्त में परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर विद्युत बिल की कुल बकाया राषि में से परिवादी के 1/5वें हिस्से की राषि विपक्षी कार्यालय में जमा किये जाने का निवेदन किया है तथा भविष्य में शेष बकाया राषि के लिये परिवादी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जावे।  
       विद्धान अधिवक्ता विपक्षी की ओर से कोई जवाब पेष नहीं करके बहस के दौरान यह कथन किया है कि माह मार्च,2014 में 32574/-रूपये का बिल फुलाराम पुत्र स्योकरण के नाम से जारी  किया गया है। परिवादी को विद्युत बिल की  आज तक की सम्पूर्ण बकाया राषि एक साथ जमा कराया जाना नियमानुसार आवष्यक है। 
        अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज फरमाया जाने का निवेदन किया है।
      उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
       प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहें है कि परिवादी के पिता के नाम से कृषि कुए का विधुत कनेक्षन विपक्षी के यहां से ले रखा है जिसका खाता संख्या 2017-1709-0174 है तथा परिवादी के पिता फूलाराम का स्वर्गवास दिनांक 10.07.2007 को हो चुका है।
       पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ है कि मृतक फूलाराम के पांच पुत्र हैं जिनमें एक पुत्र रणसिंह की मृत्यु हो चुकी है। मृतक पिता के नाम से कुए पर कृषि विद्युत कनेक्षन ले रखा था। विद्युत बिल की राषि जमा नहीं होने पर विपक्षी द्वारा स्थाई रूप से कुए का विद्युत कनेक्षन काट दिया गया। 
       प्रकरण में प्रस्तुत मृतक फुलाराम का मृत्यु प्रमाण पत्र व जमाबंदी की फोटो प्रति एवं शपथ पत्र से यह विवादित तथ्य उभरकर आया है कि पिता के मरने के बाद परिवादी के अलावा अन्य भाई उक्त कुये के विद्युत कनेक्षन की बिल की राषि जमा नहीं कराना चाहते हैं जबकि स्वंय परिवादी अपने हिस्से की विद्युत बिल की राषि जमा कराना चाहता है क्योंकि भविष्य में अन्य भाईयों के साथ-साथ विपक्षी द्वारा परिवादी को बकाया राषि के लिये जिम्मेदार नहीं ठहराया जावे।  
          अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि विपक्षी द्वारा उक्त कृषि कुए के विद्युत कनेक्षन के संबंध में कुल बकाया राषि का बिल जारी किया गया है, उस बिल की राषि के 1/5वें हिस्से की राषि परिवादी से जमा करली जावे तथा यदि भविष्य में शेष राषि की वसूली के लिये विपक्षी द्वारा कार्यवाही की जाती है तो उसके लिये परिवादी स्वंय चन्द्रभान लाम्बा को जिम्मेवार नहीं ठहराया जावेगा। परिवादी के हिस्से की राषि जमा होने पर शेष राषि की अदायगी के लिये परिवादी उत्तरदायी नहीं होगा। इस निर्देष के साथ प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
     पत्रावली फैसल शुमार होकर वाद तकमील दाखिल दफ्तर हो। 
           आदेश आज दिनांक 12.02.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 

 

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