Rajasthan

Jhunjhunun

CC/464/2014

Chandar Prakas - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Surendar Kumar

27 Mar 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/464/2014
 
1. Chandar Prakas
Malashishr, Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
Malashishr, Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

 परिवाद संख्या 464/14
तारीख
हुक्म
      
                                        हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
चन्द्र प्रकाष  बनाम   सहायक अभियंता, अ.वि.वि.नि.लि., मलसीसर तहसील मलसीसर जिला
                    झुंझुंनू (राज0)
                         नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारीहुए
 
24.04.2015

                 
           परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री सुरेन्द्र कुमार भूपेष उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री फूलचंद सैनी़ उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के नाम से विपक्षी के यहां से घरेलु विधुत कनेक्षन ले रखा है, जिसका खाता संख्या 2043-1714-0320 है। इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी के घरेलु विद्युत कनेक्षन का बिल माह सितम्बर,2014 का 1,25,516/-रूपये का आया तथा अन्य देय राषि के कालम में निगम राषि  1,31,616/-रूपये अंकित कर नियत तिथि के बाद देय राषि 1,30,528/-रूपये अंकित किया गया है। परिवादी ने कोई विद्युत चोरी नहीं की है तथा परिवादी के विरूद्ध विपक्षी द्वारा झूठी वी.सी.आर. भरी गई है।
      अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर विद्युत बिल माह सितम्बर,2014 निरस्त किए जाने का निवेदन किया है। 
        विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के उपरोक्त घरेलु विद्युत कनेक्षन की दिनांक 08.05.2013 को मौके पर जांच के दौरान पाया गया कि परिवादी द्वारा घरेलु विद्युत कनेक्षन की आर्मड केबल में कट लगाकर दीवार में लोहे की पाईप लगाकर वि़द्युत चोरी की जा रही थी। परिवादी का प्रकरण विद्युत चोरी का पाया जाने से वी.सी.आर भरी गई है, जो राषि परिवादी द्वारा जमा कराये जाने योग्य है।
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
        परिवाद में विद्युत चोरी के आरोप से सम्बंधित विवाद प्रकट होता है। 

माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2014 (3) सीपीआर, 534 - निर्मला देवी बनाम पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एवं अन्य के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा न्ण्च्ण् च्व्ॅम्त् ब्व्त्च्व्त्।ज्प्व्छ स्प्डप्ज्म्क् - व्त्ै टेण् ।छप्ैभ् ।भ्ड।क्     - ;2013द्ध 8 ैण्ब्ण्ब्ण् 491 में दिये गये आदेष का अवलम्बन लेते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 एवं 135 से 140 तक सम्बन्धित प्रकरण जिला मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। उक्त न्यायिक विनिष्चयों की रोषनी में यह परिवाद विद्युत अधिनियम की उक्त धाराओं के अंतर्गत विद्युत चोरी से सम्बंधित होने के कारण इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। चूंकि यह परिवाद इस मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
      अतः परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किए जाने योग्य होने से खारिज किया जाता है ।
      आदेश आज दिनांक 24.04.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 


       
    
    

 

 

 

 

 

 

 

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