जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 201/2012
भंवरसिंह पुत्र दयालसिंह, जाति-राजपूत, ग्राम-बारवाली, तहसील-मकराना, जिला- नागौर (राजस्थान)।
-परिवादी
बनाम
1 प्रबंध निदेशक, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, अजमेर।
2 सहायक अभियंता (ग्रामीण), अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, मकराना।
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री विक्रम जोशी, अधिवक्ता वास्ते परिवादी।
2. श्री सुरेन्द्र कुमार ज्याणी, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थीगण।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दि0 25.02.2015
परिवाद पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अप्रार्थीगण से कृषि श्रेणी का विद्युत कनेक्शन लिया हुआ है। प्रार्थी ने अप्रार्थीगण द्वारा जारी बिलों का समय पर भुगतान किया है। कोई राशि बकाया नहीं है। अप्रार्थीगण परिवादी को फ्लेट रेट से बिल जारी करते हैं परन्तु अगस्त, 2012 का बिल 37666 रूपये का जारी किया। प्रार्थी की शिकायत पर यह बताया गया कि विवादित राशि आॅडिट रिपोर्ट के आधार पर है। इस सम्बन्ध में प्रार्थी को कभी सूचना नहीं दी गई, ना ही उसे सुना गया। आॅडिट में अप्रेल,2009 से बकाया राशि होना बताया है। जिसकी मांग अगस्त, 2012 में की है। कानूनन अवधि वर्जित राशि होने के कारण वसूल नहीं की जा सकती।
1. अप्रार्थीगण का मुख्य रूप से कहना है कि अक्टूबर,2010 से मीटर बंद होने पर फ्लेट रेट के आधार पर 3818 यूनिट प्रति दो माह की बिलिंग करके दिया गया है। जिसे प्रार्थी ने समय समय पर जमा कराया है। अगस्त, 2012 के बिल में आॅडिट द्वारा निकाली गई राशि 31981 रूपये जोडकर कुल 34828 रूपये का बिल जारी किया है। प्रार्थी को इस सम्बन्ध में नोटिस भी भेजा परन्तु उसने कोई लिखित जवाब नहीं दिया है। परिवादी ने लगभग 16 बीघा भूमि पर फसल कर रखी है जिसका अंकन मीटर रीडर ने अपने बाईन्डर में किया है। यह भी उल्लेख किया है कि परिवादी का विद्युत उपभोग संदेह पूर्ण है। मीटर से छेडछाड की है या मीटर खराब है।
2. माह अप्रेल, 2009 से अगस्त, 2010 तक 4722 यूनिट प्रति दो माह की बिलिंग की जानी थी, जिससे प्रार्थी को नौ बिल गुणा 4722 कुल 42498 यूनिट के विद्युत उपभोग की राशि जमा करानी थी। किन्तु मात्र नौ माह में 6850 यूनिट का ही बिल जमा कराया है।
3. उभय पक्षकारान की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया।
4. सर्वप्रथम यहां इस बात का उल्लेख करना आवश्यक एवं उचित होगा कि जिस आन्तरिक रिपोर्ट के आधार पर विवादित बिल जारी किया है वह आन्तरिक रिपोर्ट अप्रार्थीगण की ओर से प्रस्तुत नहीं हुई है। महज एक पन्ने पर विवादित वसूली रकम के सम्बन्ध में जिक्र किया गया है। जो कि पूणतः अस्पष्ट है, भ्रामक है। इसके अलावा यह भी प्रकट नहीं होता है कि कौन अंकेक्षण अधिकारी थे, किसके इस पर हस्ताक्षर है। इस दस्तावेज पर किसी के भी हस्ताक्षर नहीं है।
5. विवादित यूनिट निकाली गई। क्या मीटर बाईन्डर को आधार माना, यदि आधार माना तो किस प्रकार विवादित यूनिटों का आकलन किया गया। पूर्णतः अस्पष्ट है। विद्वान अधिवक्ता अप्रार्थीगण का यह तर्क है कि प्रार्थी के विद्युत कनेक्शन का स्वीकृत विद्युत भार 15 एचपी था परन्तु परिवादी ने 25 एचपी का उपयोग व उपभोग किया जिसका पता मीटर बाईन्डर से पता लगा। यह समझाने में विफल रहे हैं कि कितनी मीटर रीडिंग थी, किस प्रकार से मीटर रीडिंग से भार का आकलन किया जाता है। हमारी राय में यह तर्क निराधार है, भा्रमक है।
6. इसके अलावा अप्रार्थीगण का जवाब के पैरा संख्या 3 के अंतिम भाग में यह लिखना कि परिवादी ने मीटर में छेडछाड की है या मीटर खराब है। इस प्रकार से स्वयं अप्रार्थीगण का ही सुदृढ मत नहीं है एक राय नहीं है कि मीटर खराब था या बंद था। मीटर रीडर द्वारा बाईन्डर में यह लिखना कि 15 बीघा में फसल है, उपभोग संदेहपूर्ण है। स्पष्ट नहीं है आखिर में क्या साबित करना चाहते हैं।
इस प्रकार से परिवादी अपना परिवाद पत्र साबित करने में सफल रहा है।
आदेश
अप्रार्थीगण द्वारा अगस्त, 2012 के बिल में आॅडिट चार्जेज के रूप में मांगी गई राशि 31981/- रूपये निरस्त की जाती है, वसूली योग्य नहीं है। खर्चा पक्षकार अपना अपना वहन करें ा
आदेश आज दिनांक 25.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या