Rajasthan

Ajmer

CC/277/2012

BALKISHAN SHARMA - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

ADV CHNDRA PRAKESH SHARMA

15 Nov 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/277/2012
 
1. BALKISHAN SHARMA
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 15 Nov 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,     उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

श्री बालकिषन षर्मा पुत्र श्री नन्द राम षर्मा , जाति- ब्राह्मण, निवासी-  म.नं. 324, गांधी चैक, नसीराबाद, जिला-अजमेर । 

                                                -         प्रार्थी


                            बनाम

1. चैयरमेन, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, हाथीभाटा, अजमेर । 
2. कार्यकारी अभियंता, अजमेर विद्युत  वितरण निगम लिमिटेड, ष्षास्त्ररनगर, अजमेर । 
3. अधीक्षक अभियंता, अजमेर विद्युत  वितरण निगम लिमिटेड, मदार, अजमेर । 
4. सहायक अभियंता, अजमेर विद्युत  वितरण निगम लिमिटेड, नसीराबाद, जिला-अजमेर ।  
                                                -       अप्रार्थीगण 
                 परिवाद संख्या 277/2012  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री चन्द्रप्रकाष षर्मा , अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री षेखर सेन, अधिवक्ता अप्रार्थीगण 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः-15.11.2016
 
1.       प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि
उसने अप्रार्थी विद्युत निगम से एक घरेलु विद्युत कनेक्षन संख्या 1152-2402-0142 ले  रखा है जिसके उपयोग उपभोग का बिल नियमित रूप से अदा किए जाने के बावजूद अप्रार्थीगण द्वारा दिसम्बर, 2011 का बिल अधिक राषि का भेज दिए जाने पर की गई षिकायत  दिनाक 3.1.2012 पर जांच अप्रार्थीगण द्वारा की गई और जांच किए जाने पर  मीटर रीडर की गलती के कारण  210 यूनिट का बिल अधिक भेज दिया जाना बताया। जिसे उसे जमा करवाना पडा।  अधिक  जमा कराई गई राषि को लौटाए  जाने व यूनिट की राषि संषोधित किए जाने का निवेदन किए जाने पर अप्रार्थीगण ने आगामी बिल में उक्त राषि को दुरूस्त कर लौटा दिए जाने का  आष्वासन दिया । अप्रार्थीगण ने  फरवरी, 2012 का बिल भेजा किन्तु उसमें उसके द्वारा अधिक जमा की गई राषि को समायोजित नहीं किया गया  तो उसने पुनः लिखित में दिनांक 28.2.2012 को  षिकायत की । जांच किए जाने पर 19497 यूनिट विद्युत मीटर में दर्ज होना पाया गया । इस प्रकार दिसम्बर, 2011 से फरवरी, 2012 तक प्रार्थी द्वारा 37 यूनिट का  उपयोग उपभोग किया गया ।  इसके बावजूद अप्रार्थीगण ने स्थायी सेवा ष्षुल्क जो रू. 280/- लिया जाना था उसकेे स्थान पर 360/- सेवा ष्षुल्क के वसूल कर अनुचित व्यापार व्यवहार अपनाया है । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना करते हुए परिवाद के समर्थन में स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया है । 
2.    अप्रार्थीगण ने जवाब प्रस्तुत करते हुए  प्रारम्भिक आपत्तियों में  विभिन्न न्यायिक दृष्टान्तों का हवाला देते हुए  दर्षाया है कि  प्रार्थी ने केवल मात्र क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु यह परिवाद पेष किया है जो  पोषणीय नहीं है । अप्रार्थीगण द्वारा जब भी उपभोक्ता की षिकायत प्राप्त होती है  उसका निराकरण कर दिया जाता है  ऐसी स्थिति में परिवाद विवाद रहित है  अन्यथा भी धारा 145 विद्युत अधिनियम हेतु परिवाद पोषणीय नहीं है ।  उत्तरदाता का कथन है कि  उनके अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा  अधिनियम व अन्य प्रावधानों के तहत कार्य सम्पादित किया जाता है  ता  उक्त आधार पर किए गए कार्य  अथवा परिणामिक कृत्यों को सेवा दोष नहीं माना जा सकता है ।  आगे मदवार जवाब  प्रस्तुत करते हुए   इन्हीं तथ्यों का समावेष करते हुए इस प्रकार के विवादित एवं जटिल प्रष्नों का प्रसंज्ञान लेते हुए बिना साक्ष्य कलमबद्व किए निर्णय लिया जाना उचित नहीं है और मंच के सीमित क्षेत्राधिकार से परे होने के कारण परिवाद निरस्त होने योग्य बताते हुए जवाब के समर्थन में  श्री सुनील कुमार बंसल, सहायक अभियंता का ष्षपथपत्र पेष किया है ।        
3.    प्रार्थी पक्ष द्वारा अपने प्रार्थना पत्र दिनंाक 23.9.2013  के  तहत प्रार्थना पत्र अन्तर्गत आदेष 6 नियम 17 सपठित धारा 151 सीपीसी के जरिए अप्रार्थीगण के पते में नसीराबाद के स्थान पर अजमेर अंकित करते हुए संषोधन चाहा गया था व इस संबंध में प्रार्थना पत्र पत्र प्रस्तुत  करते  समय सहवन से  अंकित करना बताया ।  इस पर अ समंच द्वारा अप्रार्थीगण को संषोधित टाईटल के अनुसार  अनुतोष जारी किए जाने के आदेष दिए गए थे । उक्त पते के अनुसासर जारी किए गए नारेटिस की तामील के बाद अप्रार्थीगण का जवाब प्रस्तुत  हुआ  है व मामले में बहस अंतिम नियत किए जाने के बाद दिनंाक 19.5.2016  को उक्त प्रार्थना पवत्र का अप्रार्थीगण द्वारा जवाब दिए जाने के बाद में उनकी ओर से वक्त अंतिम बहस आपत्ति उठाई गई कि प्रार्थी द्वारा जो प्रक1ति अनुतोष व वादकरण  में दर्षाया गया है वसह संषोधन की अनुमति चाही गई है उससे परिवाद पर विपरीत असर पड़ेगा व प्रकृति में बदलावा आएगा । प्रार्थी को उक्त नाम की पूर्ण जानकारी थी व उसके द्वारा उकत नामों में संषोधन की इजाजत दिया जाना न्यायोचित नहीं हे । आवेदन पत्र खारिज किया जाना चाहिए ।   
4.    यहां यह उल्लेखनीय है कि अप्रार्थीगण को उक्त आपत्ति प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किए जाने के बाद ही उस समय उठानी चाहिए थी तब जब उन्हें परिवाद की तामीली हो चुकी थी । उनके द्वारा उक्त परिवावद का जवाब प्रस्तुत  किया गया है व अब केवल अंतिम बहस  के समय यह आपत्ति उठााई गई है, जो स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है । मात्र स्थान परिवतन बाबत् संषोधन से परिवाद की प्रकृति में कोई बदलाव सम्भव नहीं हे ।  उठाया गया उज्र अस्वीकार कर प्राािज्र्ञना पत्र खारिज किया जाता है । 
5.    प्रार्थी पक्ष  ने प्रमुख रूप से तर्क प्रस्तुत किया है कि अप्रार्थी द्वारा दिसम्बर, 2011 में मीटर की रीडिंग के अनुसार  19670 यूनिट दर्षा कर बिल भेजा गया है । इस बाबत् जानकारी प्राप्त होने पर उसने लिखित रूप में षिकायत की । इस पर अप्रार्थीगण द्वारा जांच करवाए जाने पर 19640 यूनिट  मीटर रीडर की गलती व लापरवाही के कारण  प्रार्थी को उक्त दिसम्बर, 11 में 210 यूनिट का बिल  अधिक भेजा गया था जो उसे जमा कराना पड़ा था । इस बाबत् आपत्ति किए जाने पर उसे अप्रार्थीगण द्वारा आष्वस्त किया गया है कि आगामी बिल में  उक्त राषि को दुरूस्त कर लौटा दिया जाएगा । इसके बावजूद  फरवरी, 12 में जारी किए गए बिल में उक्त राषि का रिफण्ड नहीं किए जाने पर पुनः लिखित में षिकायत किए जाने पर अप्रार्थीगण द्वारा जाचं कराए जाने पर मीटर में विद्यत यूनिट 194978 दर्ज था यानि दिसम्बर, 11 से फरवरी, 12 तक मात्र 37 यूनिट का उपयोग व उपभोग प्रार्थी द्वारा किया गया इसके बावजूद भी अप्रार्थीगण ने स्थायी  सेवा षुल्क की  राषि  रू. 360/- का बिल भेजा जबकि विद्युत उपयोग व उपभोग के अनुसार स्थायी सेवा ष्षुल्क रू. 280/-  लिए जाने थे किन्तु अप्रार्थीगण द्वारा रू. 280/- के स्थान पर  रू. 360/- स्थायी सेवा षुल्क वसूल कर अनुचित व्यपार व्यवहार का  परिचय दिया है  जिस कारण वह क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है ।
6.             अप्रार्थीगण की ओर से  इन तर्को का खण्डन किया गया व मात्र क्षतिपूर्ति की वसूली हेतु प्रस्तुत परिवाद को पोषणीय नहीं होना बताया । इस संदर्भ में  उनकी ओर से  विनिष्चय ।प्त्ण्2006ण्ज्ञंतदंजंां 23 ग्ण्म्द ज्ञच्ज्ब्स् टे प्ेूंतंउउं - ।दतण्ए 2007;3द्ध ब्च्त् 8 ।ध्ब व्ििपबमत  श्रींताींदक ैम्ठ टे डण्डपांतंउ ैींपाीए 2010;3द्धब्च्त्;छब्द्ध भ्ंतप ब्ींदक टे भ्ंतंलंदं ैम्ठए 2012;1द्धब्च्त्ण् 76 ;छब्द्ध ठपेूंदंजी डनाीमतरमम टे ॅठैम्ठण्ए  1996;11द्धैब्ब् 58 ब्म्ैब् स्जक टे  छण्डण् त्ंदां - ।दतण्पर अवलम्ब लिया गया है । यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि  अप्रार्थीगण  के कर्मचारियों द्वारा संबंधित अधिनियम के प्रावधानों के तहत  कार्य अंजाम  दिया जाता है तथा उक्त आधार पर किया गया कार्य व परिणामिक कृत्यों को सेवा दोष नहीं माना जा सकता ।  इस संबंध में विनिष्चय 1996;3द्धब्च्श्रण् 71 ;छब्द्ध  डंीण्ैम्ठ टेण् डध्े ैूंेजपा प्दकनेजतपमेए 1993;1द्धब्च्श्रण् 470 ;डच्ज्ञपेीतप स्ंस ळरवेीप   टेण् डध्े  त्ंर ज्ञनउंत ए पर अवलम्ब लिया है । यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि जब उपभोक्ता के मीटर में उसके द्वारा बताई गई कमी को दुरूस्त कर दिया गया तो किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न होना नहीं माना जा सकता । कुल मिलाकर उनका  तर्क रहा है कि परिवाद पोषणीय  नहीं है । परिवाद खारिज किया जाना चाहिए । 
7.    हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं साथ ही पत्रावली मे उपलब्ध  अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्चयों में प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्तों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
8.    प्रार्थी द्वारा विवाद मात्र फरवरी, 2012 में आए विद्युत उपभोग के बिल में 37 यूनिट के उपभोग की स्थिति को देखते हुए लिया गया  स्थायी सेवा षुल्क रू. 280/- की जगह रू. 360/- वसूल किए जाने को अनुचित व्यापार व्यवहार की संज्ञा दिए जाने का प्रयास किया गया है ।  अप्राथीगण द्वारा इस तथ्य का मात्र खण्डन किया गया  है। यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रार्थी द्वारा उक्त फरवरी, 12 का न तो कोई बिल प्रस्तुत किया गया है और ना ही उसके द्वारा प्रस्तुत तर्को के प्रमाण स्वरूप यह बताया गया है कि  किस प्रकार 37 यूनिट  के विद्युत उपभोग में स्थायी ष्षुल्क रू.280/- के स्थान पर 360/- देय है । अकिभकथनों से यह भी  प्रकट होता है कि दिसमबर,11 में आए अधिक यूनिट की राषि को फरवरी, 12 में समायोजित करा दिया गया तथा स्थायी ष्षुल्क के रूप में उक्त राषि रू. 360/-  वसूल की गई । हम अप्रार्थीगण के इन तर्को से सहमत नहीं है । यदि उपभोक्ता द्वारा किसी भी प्रकार की कोई षिकायत की जाती है तो उसका निराकरण समय समय पर कर दिया जाता है अतः वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं माना जा सकता । यदि अप्रार्थीगण द्वारा  उनके कृत्यों में किसी प्रकर की कोई कमी सामने आती है तो ऐसी कमी उनकी सेवाओं में कमी  अथवा दोष का परिचायक है । हस्तगत प्रकरण में चूंकि स्वयं प्रार्थी ही अपना पक्ष कथन समपुष्टिकारक  साक्ष्य से सिद्व करने में असफल रहा है । अतः यह नहीं माना जा सकता कि  अप्रार्थीगण द्वारा  उनकी सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी का परिचय दिया गया हो । स्वीकृत रूप से अप्रार्थीण के कर्मचारियों   द्वारा सद्भावनाओं से किए गए कृत्य को चुनौती का विषय नहीं बनाया जा सकता । 
9.     सार यह है कि  उपरोक्त विवेचन के प्रकाष में  प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है एवं आदेष है कि 
                             -ःः आदेष:ः-
10.            प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
            आदेष दिनांक 15.11.2016  को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।


 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
           

 

 

 

 

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.