Rajasthan

Jhunjhunun

CC/485/2014

Asok Kumar - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

Rajes Bagoriya

11 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/485/2014
 
1. Asok Kumar
Udayapurvati, Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
Gudhagorji, Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

  परिवाद संख्या 485/14
तारीख
हुक्म
                                          
                      हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
 अषोक कुमार सैनी बनाम  अ.वि.वि.नि.लि., जरिए सहायक अभियंता (वितरण) उपखण्ड
                       गुढागोड़जी तहसील उदयपुरवाटी जिला झुंझुंनू वगै.
                         नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
 
09.04.2015

                 
           परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री राजेष बागोरिया उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री राजेष खेदड़ उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने अपने नाम से विपक्षीगण के यहां से अघरेलु विधुत कनेक्षन स्वीकृत भार 0.98 किलोवाट ले रखा है, जिसका खाता संख्या 2031-1606-0090 है। इसलिए परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी को विपक्षीगण द्वारा वी.सी.आर. संख्या 9527/26 की प्रति मय नोटिस दिनांक 24.06.2013 जिसमें 6000/-रूपये प्रषमन राषि जमा करवाने तथा प्रोविजनल सिविल लाइबिलिटी राषि 75240/-रूपये वसूली की कार्यवाही का उल्लेख करते हुए भिजवाया तथा इसके बाद विपक्षीगण ने वी.सी.आर. राषि विद्युत बिलों में जोडकर भेजनी शुरू करदी। परिवादी के माह सितम्बर,2014 के विद्युत बिल में विपक्षीगण ने 95610/-रूपये गलत रूप से वसूलने के आदेष दिये हैं। परिवादी के विरूद्ध विद्युत चोरी का मामला नहीं बनता। 
      अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर विद्युत बिल  माह सितम्बर, 2014 में दर्ज राषि 95610/-रूपये में से 6500/-रूपये कम करने पर शेष राषि 89110/-रूपये निरस्त किए जाने का निवेदन किया है। 
        विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के उपरोक्त अघरेलु कनेक्षन की सतर्कता जांच दल द्वारा जांच करने पर पाया गया कि परिवादी द्वारा पोल से दूसरी केबल डालकर वि़द्युत चोरी की जा रही थी। जिसके संबंध में जांच दल द्वारा दिनांक 22.06.2013 को वी.सी.आर संख्या 9527/26 भरी गई। परिवादी का प्रकरण विद्युत चोरी का पाया जाने से       वी.सी.आर भरी गई है जो राषि परिवादी द्वारा जमा कराये जाने योग्य है।
     

       अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
        परिवाद में विद्युत चोरी के आरोप से सम्बंधित विवाद प्रकट होता है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2014 (3) सीपीआर, 534 - निर्मला देवी बनाम पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एवं अन्य के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा न्ण्च्ण् च्व्ॅम्त् ब्व्त्च्व्त्।ज्प्व्छ स्प्डप्ज्म्क् - व्त्ै टेण् ।छप्ैभ् ।भ्ड।क् - ;2013द्ध 8 ैण्ब्ण्ब्ण् 491 में दिये गये आदेष का अवलम्बन लेते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 एवं 135 से 140 तक सम्बन्धित प्रकरण जिला मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। उक्त न्यायिक विनिष्चयों की रोषनी में यह परिवाद विद्युत अधिनियम की उक्त धाराओं के अंतर्गत विद्युत चोरी से सम्बंधित होने के कारण इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। चूंकि यह परिवाद इस मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
      अतः परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किए जाने योग्य होने से खारिज किया जाता है ।
      आदेश आज दिनांक 09.04.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 


       
    
    

 

 

 

 

 

 

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