AMRA RAM filed a consumer case on 02 Dec 2014 against AVVNL in the Sikar Consumer Court. The case no is CC/490/2010 and the judgment uploaded on 24 Mar 2015.
- अप्रार्थी/प्रतिपक्षी
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986
:ः नि र्ण य:ः दिनांकः 10.02.15
परिवादीगण अमराराम,गोपालराम,पोखरराम पुत्रगण मांगूराम ने अप्रार्थीगण विधुत वितरण निगम लि0 के विरूद्व एक परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986 के तहत पेष किया है।
2. प्रार्थीगण के नाम से शेरपुरा तहसील व जिला सीकर में एक कृषि कनेक्षन खाता संख्या 2124/2102/0087 है। यह कनेक्षन प्रार्थीगण के पिता के द्वारा एग्रीकल्चर मीटर श्रेणी का लिया गया था तथा जो 22 एचपी का था जबकि प्रार्थीगण उपयोग व उपभोग 20 एचपी भार का ही ले रहे थे। वर्ष ,2007 से पूर्व जो बिल भेजे गये उनमें जून,06 का मीटर रीडिंग का बिल 1208 यूनिट का आया । वर्ष,07 में मीटर जलने पर दिनांक 12.3.07 को उनके द्वारा जले हुए मीटर की शुल्क राषि जमा करा दी थी ,इसके बावजूद विभाग द्वारा नया मीटर नही लगाया गया तथा वर्ष,07 से ही फलेट रेट के बिल भेजे जा रहे हैं। करीब एक वर्ष पूर्व प्रार्थीगण की माता का निधन हो गया ,उस समय कुवा बंद था जिसकी सूचना भी अप्रार्थी निगम को दी गयी । अप्रार्थी के द्वारा अपाना लाईनमेन भेजकर ट्र्ांसफार्मर की सील तोडकर सीधे ही तार जोड दिये , इस कार्यवाही को पडौसियों द्वारा देखा गया । जब प्रार्थीगण अपनी माता का दाहसंस्कार करके वापिस आये तो देखा कि ट्र्ांसफार्मर की सील टूटी हुई है । प्रार्थीगण द्वारा सरकारी संपति को किसी प्रकार से नुकसान नही किया गया उसके बावजूद भी दिनांक 28.7.10 को अप्रार्थीगण के कर्मचारी खेत पर आये और खेत पर लगे हुए ट्र्ांसफार्मर को उतार कर ले गये तथा नाजायज रूपसे प्रार्थीगण के विरूद्व वीसीआर भरकर अवैध रूपसे 8,428 रू. का बिल काट दिया जिसे प्रार्थीगण द्वारा 29 जुलाई,10 को जमा करा दिया और रीकनेक्षन के लिए 600 रू. जमा कराकर अपना कनेक्षन चालू करा लिया, इस प्रकार अप्रार्थी निगम ने अवैध रूपसे कनेक्षन काटकर व गलत रूपसे वीसीआर भरकर उसकी आड में 8,428 रू. जमा करके प्रार्थीगण के साथ घौर अन्याय किया है जो सेवा में न्यूनता का परिचायक है, अतः अप्रार्थी निगम को आदेषित किया जाये कि प्रार्थीगण के द्वारा दिनांक 12.3.07 के बाद जमा की गयी फलेट रेट राषि के बिलों को अपास्त कर मीटर रीडिंग के अनुसार संषोधित राषि के बिल जमा किये जावें तथा दिनांक 24.7.10 को अवैघ रूपसे भरी गयी वीसीआर राषि को अपास्त किया जाये तथा उक्त राषि आगे के बिलों में समायोजित की जावे तथा प्रार्थीगण को मानसिक संताप व परिवाद व्यय पेटे भी क्षतिपूर्ति राषि दिलायी जाये।
3. अप्रार्थीगण की ओर से अपने जवाब मंें प्रार्थीगण द्वारा लगाये गये आरापों से इन्कार किया गया और बताया गया कि दिनांक 24.7.10 को प्रार्थीगण के कृषि कनेक्षन का भौतिक सत्यापन किया गया तो पाया गया कि प्रार्थीगण ने ट्र्ांसफार्मर की वेल्डिंग तोडकर मीटर को बाईपास करके अपने कुवे के अतिरिक्त अवैधानिक केबिल से घरेलू विधुत उर्जा काम में ली जा रही है । मौके पर फोटो लेते हुए वीसीआर सं0 18651-30 दिनांक 24.7.10 को भरी गयी चूंकि प्रार्थीगण द्वारा भारतीय विधुत अधिनियम ,2003 की घारा 135 व 138 के अंतर्गत कृत्य किया गया ,इसलिये उनके विरूद्व दिनांक 28.7.10 को एफआईआर सं. 223/10 विधुत चोरी निरोधक पुलिस थाना,सीकर में दर्ज करवायी गयी तथा प्रार्थीगण को सिविल लाईबिलिटी के रूप में 8,428 रू.जमा कराने का नोटिस दिया गया जिसे प्रार्थीगण द्वारा दिनांक 29.7.10 को जमा कराकर पुनः विधुत कनेक्षन करवाया गया और अगस्त,10 में सुपर ट्र्ांसफार्मर से विधुत कनेक्षन स्थापित कर दिया गया तथा स्थापित मीटर के आधार पर दिनांक 7.11.10 तक 1408 यूनिट के आधार पर विधुत बिल जारी किया गया और फलेट रेट के आधार पर जारी विधुत विपत्र की अंतर राषि 6,842.80 रू. सीसीएंड एआर नं0 3278-35-424 दिनांक 6.12.10 के जरिये क्रेडिट कर समायोजन कर दिया गया , इस तरह उपभोक्ता के खाते में माह दिसम्बर,10 तक कोई राषि बकाया नही है और बिल भी नियमानुसार जारी किये जा रहे है ,इसलिये प्रार्थीगण का यह परिवाद खारिज किया जाये।
4. प्रार्थीगण की ओर से काई उपस्थित नही हुआ। अप्रार्थी निगम की ओर से उनके अधिवक्ता उपस्थित आये जिन्हें सुना गया व पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
5. इस संबंध में कोई विवाद नही है कि प्रार्थीगण के पिता के नाम से ग्राम शेरपुरा में कृषि कनेक्षन खाता संख्या 2124/2102/0087 है। अप्रार्थी निगम के अनुसार विधुत कनेक्षन चेक करने पर दिनांक 24.7.10 को प्रार्थीगण ने ट्र्ांसफार्मर की वेल्डिंग तोडकर मीटर को बाईपास करके अपने कुए के अलावा अवैधानिक केबिल से घरेलू उर्जा को काम में लेते हुए पाया गया जिसकी वीसीआर भरी गयी और संबंधित थाना में मुकदमा संख्या 223/10 दिनांक 28.7.10 को दर्ज करवाया गया तथा प्रार्थीगण के द्वारा विधुत चोरी की सिविल लाईबिलिटी की राषि 8,428 रू. दिनांक 29.7.10 को जमा करा दी गयी तथा पुनः कनेक्षन स्थापित किये जाने हेतु आवेदन शुल्क भी जमा करवाया गया । इस पर प्रार्थीगण के यहां पुनः विधुत कनेक्षन स्थापित करते हुए नया मीटर लगा दिया गया और स्थापित मीटर के आधार पर विधुत विपत्र जारी किये गये और फलेट रेट से जारी विधुत विपत्रों की अंतर राषि 6,842.80 रू. जरिये सीसीएंड ए आर नं0 3278-35-424 दिनांक 6.12.10 को क्रेडिट कर समायोजन कर दिया गया।
6. प्रार्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अप्रार्थी निगम एक निगमित निकाय है ,उसके द्वारा जो जवाब लिखा गया है कि प्रार्थीगण के यहां विधुत चोरी पाये जाने पर एफआईआर दर्ज करवायी गयी और सिविल लाईबिलिटी की राषि प्रार्थीगण के द्वारा जमा करवाये जाने पर पुनः विधुत कनेक्षन स्थापित कर दिया गया तथा फलेट रेट से जारी बिलों को समायोजित करते हुए बकाया राषि 6,842.80 रू. भी प्रार्थीगण के खाते में क्रेडिट कर दिये गये। इस प्रकार प्रार्थीगण द्वारा पेष किये गये परिवाद में चाहा गया कोई अनुतोष शेष नही रहता है। प्रार्थीगण का यह कथन कि उनकी वीसीआर गलत रूपसे भरी गयी है,सही नही है क्यों कि इस तथ्य को प्रमाणित करने क लिए प्रार्थीगण द्वारा ऐसी कोई साक्ष्य पेष नही की गयी है जिससे यह बात प्रमाणित हो सके कि अप्रार्थीगण द्वारा जानबूझकर ,गलत रूपसे प्रार्थीगण की वीसीआर भरी गयी । प्रार्थीगण द्वारा वीसीआर की राषि को भी जमा करा दिया गया है । चूंकि परिवाद में किसी प्रकार की चाही गयी सहायता शेष नही रहती है , इसलिये प्रार्थीगण का यह परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आ दे श
प्रार्थीगण का यह परिवाद विरूद्व अप्रार्थीगण सारहीन होने के कारण खारिज किया जाता है। परिस्थितियों को देखते हुए खर्चा पक्षकार अपना अपना स्वयं वहन करें।
निर्णय आज दिनांक 10.2.15 को सुनाया गया।
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