Rajasthan

Jhunjhunun

CC/516/2014

Amar singh - Complainant(s)

Versus

AVVNL - Opp.Party(s)

D.P. VERMA

11 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/516/2014
 
1. Amar singh
Udayapurvati, Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL
Gudhagorji, Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

   परिवाद संख्या 516/14
तारीख हुक्म
                                
                      हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
  अमर सिंह    बनाम     अ.वि वि. नि. लि0 जरिये सहायक अभियंता गुढागौड़जी तहसील
                        उदयपुरवाटी जिला झुंझुनू
                          नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
  
09.04.2015             
      परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री द्वारका प्रसाद वर्मा उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री राजेष खेदड़ उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के पिता के   नाम से विपक्षी के यहां से घरेलू विधुत कनेक्षन ले रखा है जिसका खाता संख्या 2031-1807-0187 है। परिवादी उक्त विधुत कनेक्षन का समय-समय पर विपक्षी को बिल जमा कराता आ रहा है, इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि विपक्षी द्वारा परिवादी को विद्युत बिल नहीं भेजा तो परिवादी ने विपक्षी से सम्पर्क किया जिस पर विपक्षी द्वारा माह सितम्बर,2014 में जमा होने वाला बिल हाथ से तैयार कर नियत तिथि तक देय कुल राषि 59427/-रूपये व नियत तिथि के बाद कुल देय राषि 60897/-रूपये दर्ज किया जाकर जारी किया गया। उक्त जारी किए गये बिल के संबंध में परिवादी द्वारा विभाग से जानकारी चाही तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया ।
       विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि पूर्व में भी परिवादी को एक विद्युत बिल माह सितम्बर,2011 में गलत राषि 17184/-रूपये जोडकर विपक्षी द्वारा भेजा गया था जिसके संबंध में परिवादी ने दिनांक 02.01.2012 को विपक्षी के कार्यालय में प्रार्थना पत्र दिया था जिसके आधार पर परिवादी द्वारा विपक्षी के मीटर की जांच कराई गई तथा मीटर सही पाया जाने पर उक्त राषि निरस्त किए जाने हेतु कहा परन्तु विपक्षी द्वारा उक्त राषि निरस्त नहीं की गई बल्कि उक्त राषि पर ब्याज व पैनेल्टी लगाकर 59427/-रूपये का बिल दे दिया, जो विपक्षी किसी भी प्रकार से प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। इसलिये विपक्षी विभाग द्वारा परिवादी को माह सितम्बर, 2014 का जारी किया गया गलत बिल निरस्त किया जावे।
       अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर माह सितम्बर, 2014 का विद्युत बिल निरस्त किये जाने एवं परिवादी के घर पर अविलंब विद्युत कनेक्षन स्थापित किए जाने का निवेदन किया है।
      विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी द्वारा समय पर बिलों की राषि भुगतान नहीं करने पर बकाया राषि 61009.00 रूपये पर दिनांक 18.09.2014 को विद्युत संबंध विच्छेद कर दिया गया। परिवादी को माह सितम्बर,2011 में 4600 युनिट का बिल 17184/-रूपये का जारी किया गया तथा परिवादी के प्रार्थना पत्र पर तत्कालीन समय शीघ्र ही मीटर बदल दिया गया तथा परिवादी को मौखिक तौर पर सलाह दी गई कि मीटर बाक्स सील/टी.पी. सील नहीं पाई गई है तथा मीटर का रंग काला हो गया है ऐसी स्थिति में अनुवर्ती एक वर्षीय उपभोग के आधार पर औसत उपभोग को आधार बनाकर बिल दुरूस्त किया जा सकता है। परिवादी ने इसके बाद मीटर बदलने पर उपभोग राषि का भी भुगतान करना बंद कर दिया। इसलिये बकाया राषि पर विद्युत संबंध विच्छेद करना पडा। 
          विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी वास्तविक उपभोग व सितम्बर, 2011 का औसत उपभोग की राषि जमा करवाने के लिये तैयार नहीं है। वर्तमान में विपक्षी विभाग द्वारा माह सितम्बर, 2011 के बिल उपभोग 4600 युनिटों को अनुवर्ती एक वर्षीय उपभोग को आधार मानकर 4416 युनिटों की राषि मय ब्याज 26165/-रूपये का क्रेडिट समायोजन करके परिवादी को विभाग के द्वारा रजिस्टर्ड पत्र द्वारा कनेक्षन काटने की दिनांक से विलम्ब राषि जमा करवाकर पुनः 6 माह के भीतर विद्युत कनेक्षन जुडवाने की सूचना दे दी तथा बिल राषि को दुरूस्त कर दिया गया, जिस पर परिवादी विपक्षी द्वारा जारी रजिस्टर्ड पत्रांक 6930 दिनांक 12.12.2014 की शर्तो के अनुसार विद्युत संबंध पुनः जुडवा सकता है। 
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
       पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हुआ है कि परिवादी का विवादित विद्युत बिल माह सितम्बर, 2014 का है जिसमें 59427/-रूपये गलत रूप से जोडकर विपक्षी द्वारा परिवादी को भेजा गया है। इसके अलावा पूर्व में भी माह सितम्बर, 2011 के विवादित बिल में गलत राषि जोडकर 17184/- का विद्युत बिल परिवादी को विपक्षी द्वारा भेजा गया था। विपक्षी ने अपने जवाब में यह स्वीकार किया है कि माह सितम्बर,2011 के विद्युत बिल में 26165/-रूपये की राषि क्रेडिट कर समायोजन कर दिया है। इसके अतिरिक्त विपक्षी ने अपने जवाब में यह जाहिर किया है कि परिवादी को विद्युत कनेक्षन देने में उन्हें कोई आपति नहीं है। अब विवादित बिल माह सितम्बर,2014 में गलत राषि जोडकर 60897/-रूपये का भिजवाया गया है वह विद्युत बिल विपक्षी द्वारा परिवादी को किस आधार पर जारी किया गया है इसका कोई युक्तियुक्त 

स्पष्टीकरण पत्रावली में पेष नहीं किया गया है। मात्र कैयास व अंदाज से ही उक्त विवादित बिल जारी किया गया है जो त्रुटिपूर्ण व संदीग्धपूर्ण होने से निरस्त किए जाने योग्य है। 
      अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि परिवादी के माह सितम्बर, 2014 के विवादित बिल में अंकित 60897/-रूपये की राषि त्रुटिपूर्ण व संदीग्धपूर्ण होने से निरस्त की जाती है तथा परिवादी को माह सितम्बर, 2013 से पूर्व के पिछले तीन बिलों के एवरेज के आधार पर जो स्वंय परिवादी ने वास्तविक विद्युत युनिट का उपभोग किया है उसके आधार पर संषोधित बिल जारी किया जावे तथा परिवादी द्वारा यदि विपक्षी के कार्यालय में अधिक राषि जमा करादी गई है तो उसे परिवादी के आगामी विद्युत बिलों में समायोजित की जावे तथा विपक्षी को यह भी निर्देष दिया जाता है कि परिवादी का विद्युत कनेक्षन तुरंत स्थापित किया जावे। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है। 
      पक्षकारान खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेगें।
      आदेश आज दिनांक 09.04.2015 को लिखाया जाकर मंच द्वारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफतर हो।

 

 

 

 

 

 

 

 


       
    
    

 

 

 

 

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