Rajasthan

Jhunjhunun

382/2014

SAWARMAL - Complainant(s)

Versus

AVVNL UDAIPURWATI - Opp.Party(s)

Vikarm Singh Sekhavat

19 Mar 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 382/2014
 
1. SAWARMAL
UDAIPURWATI
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL UDAIPURWATI
UDAIPURWATI
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


तारीख
हुक्म
                                               परिवाद संख्या 382/14
                               हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
 सांवलराम  बनाम  सहायक अभियंता, अ.वि.वि.नि.लि.,उदयपुरवाटी तहसील उदयपुरवाटी जिला
                 झुंझुंनू(राज0)
                         नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
 
07.05.2015

                 
           परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री विक्रम सिंह उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री लालबहादुर जैन उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी व उसके भाईयों के शामलाती कुए पर विपक्षी के यहां से विधुत कनेक्षन ले रखा है, जिसका खाता संख्या 2034-1503-0115 है। जिसके बिलों का भुगतान परिवादी द्वारा किया जाता है। इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि विपक्षी ने परिवादी को दिनांक 27.06.2014 को एक नोटिस 1,51,926/-रूपये जमा करवाने मय जांच प्रतिवेदन संख्या 18999/01 दिनांक 25.06.2014 भिजवाया, जो गलत रूप से तैयार कर भिजवाया तथा उक्त राषि जमा नहीं करवाने पर परिवादी के विरूद्ध विद्युत चेारी निरोधक थाना में रिपोर्ट दर्ज करवाने की चेतावनी दी गई। उक्त वी.सी.आर. में परिवादी के खाता संख्या दर्ज नहीं किया गया तथा न ही परिवादी के यहां स्थापित विद्युत मीटर नम्बर लिखा, इस प्रकार फर्जी वी.सी.आर. भरी गई। परिवादी की कृषि भूमि में शामलाती कुआ अप्रेल 2011 में सूख जाने से बंद कर पास ही अन्य कुए पर उक्त कनेक्षन षिफ्ट करने व लोड बढाने के लिये विपक्षी के यहां आवेदन करने पर विपक्षी द्वारा परिवादी के बिल माह मई,2011 के बिल में षिफ्टिंग चार्ज के रूप र्में  निगम राषि 10340/-रूपये जोडकर कुल 12106/-रूपये का बिल भेज दिया गया, जिसे परिवादी द्वारा जमा करवा दिया गया । परिवादी को विपक्षी द्वारा 15 एच.पी. के आधार पर मीटर में दर्ज युनिट्स के अनुसार नियमित रूप से बिल भेजे जाने लगे तथा परिवादी उसी विद्युत कनेक्षन का उपयोग व उपभोग करता आ रहा है व विद्युत बिल जमा कराता आ रहा है। परिवादी द्वारा विपक्षी को वास्तविक तथ्यों से अवगत करवाने के बावजूद भी उक्त फर्जी वी.सी.आर. एवं नोटिस को निरस्त करने से इन्कार कर दिया ।
      अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर वी.सी.आर नम्बर 18999/01 दिनांक 25.06.2014 निरस्त किए जाने का निवेदन किया है। 
       विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी एवं इसके सह हिस्सेदारों की कनिष्ठ अभियंता बागोली द्वारा दिनांक 25.06.2014 को सतर्कता मौका जांच की गई, जिसके अनुसार उपरोक्त खाता के विद्युत कनेक्षन को जो कि शामलाती है, के कुए को बंद कर रखा था एवं उसकी    एल.टी.ए.बी.सी. विद्युत लाईन को कुए की गुमटी से बाहर कर काले रंग की केबिल से लगभग 150 मीटर दूरी पर बने एक अन्य ट्यूबवैल में चलाते पाये गये, जो कि बिना स्वीकृति ष्फ्टििंग के होने के कारण सीधी विद्युत चोरी की परिभाषा में आता है। परिवादी अकेला उपभोक्ता नहीं है तथा न ही परिवाद पेष करने के लिए सह-हिस्सेदारों की सहमति ली गई है। प्रकरण विद्युत चोरी का पाया जाने से वी.सी.आर भरी जाकर नोटिस जारी किया गया है तथा सतर्कता जांच अधिकारी द्वारा संबंधित पुलिस थाना में प्राथमिकी संख्या 153/14 दर्ज करवाई गई है। 
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी द्वारा विद्युत चोरी करने पर वी.सी.आर के मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस मंच को नहीं होना कथन करते हुए परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
        उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
        परिवाद में विद्युत चोरी के आरोप से सम्बंधित विवाद प्रकट होता है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2014 (3) सीपीआर, 534 - निर्मला देवी बनाम पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एवं अन्य के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा  U.P. POWER CORPORATION  LIMITED & ORS Vs. ANISH AHMAD –   (2013) 8 S.C.C.  491  में दिये गये आदेष का अवलम्बन लेते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 एवं 135 से 140 तक सम्बन्धित प्रकरण जिला मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। उक्त न्यायिक विनिष्चयों की रोषनी में यह परिवाद विद्युत अधिनियम की उक्त धाराओं के अंतर्गत विद्युत चोरी से सम्बंधित होने के कारण इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। चूंकि यह परिवाद इस मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
      अतः परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किए जाने योग्य होने से खारिज किया जाता है ।
      आदेश आज दिनांक 07.05.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 


       
    
    

 

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