तारीख
हुक्म
हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
बहादुर मल यादव बनाम सहा. अभियन्ता अ.वि.वि.नि.लि. कार्यालय सूरजगढ तह. सूरजगढ जिला झुंझुनू वगै.
नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
22.01.2015
परिवादी की ओर से वकील श्री कृष्णकुमार शर्मा उपस्थित। विपक्षीगण की ओर से वकील श्री सुभाषचन्द्र शर्मा उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
विद्धान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने विपक्षीगण के यहां से 12 एच.पी. कृृषि विधुत कनेक्षन ले रखा है जिसका खाता संख्या 2017-1510-0181 है। परिवादी उक्त विधुत कनेक्षन का समय समय पर विपक्षीगण को बिल जमा कराता आ रहा है। इसलिए परिवादी, विपक्षीगण का उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया कि परिवादी ने विपक्षीगण से उक्त कृषि कनेक्षन नर्सरी योजना के तहत वर्ष,2002 में लिया था जो नियमानुसार दो वर्ष पश्चात सामान्य श्रेणी में फ्लेट रेट में किया जाना था। परिवादी के उक्त कनेक्षन को विपक्षीगण द्वारा नर्सरी से हटाकर सामान्य श्रेणी फ्लेट रेट में नहीं किया तथा परिवादी से अवैध व नाजायज बिल राषि वसूल करते रहे जबकि परिवादी ने दिनांक 18.02.2010 को समस्त बकाया राषि जमा करवाकर नर्सरी योजना का खाता क्लीयर कर दिया था। विपक्षीगण ने माह जनवरी, 2011 में परिवादी के उक्त विद्युत कनेक्षन के बिल में 30,000/-रूपये गलत एवं मनमर्जी से जोडकर भिजवाया तो परिवादी ने पूर्व में एक परिवादपत्र पेष किया, जिसके जवाब में विपक्षीगण ने यह कथन किया था कि कि परिवादी का नर्सरी श्रेणी में मीटर से कनेक्षन था अब सामान्य श्रेणी में फ्लेट रेट से है। इसके अलावा विपक्षीगण ने जवाब में यह भी कथन किया कि जनवरी,2011 के बिल में जो 30,000/-रूपये की राषि है वह वी.सी.आर. संख्या 14493/43 की राषि है, जिसकी बाबत परिवाद विषिष्ट न्यायाधीष, विद्युत अधिनियम, झुंझुनू में विचाराधीन होने से मंच द्वारा परिवादी का परिवाद खारिज कर दिया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी ने विपक्षी नं0 1 के यहां निवेदन किया कि अब परिवादी का परिवाद पत्र वी.सी.आर. के संबंध में न्यायालय विषिष्ट न्यायाधीष, विद्युत अधिनियम, झुंझुनू से निर्णित हो चुका है इसलिये परिवादी के विद्युत बिल में जो वी.सी.आर. राषि जोडी
गई थी उसे हटाकर सही बिल जारी किया जावे । इस पर विपक्षी नं0 1 ने मार्च,2014 के बिल में वी.सी.आर. की राषि 30,000/-रूपये व पेनेल्टी हटाने के पश्चात 52318/-रूपये का बिल जारी किया है। विपक्षीगण ने जो संषोधित बिल माह मार्च,2014 जारी किया है उसमें करीब दो वर्ष से अधिक समय की विद्युत राषि पिछले बिलों की बकाया राषि 1,02,325/-रूपये 80 पैसे दर्षाकर 52318/-रूपये गलत रूप से वसूल करने पर आमादा है तथा परिवादी का कनेक्षन काटने की धमकी दी जिस पर परिवादी ने 15000/-रूपये जमा करवाये। विपक्षीगण ने परिवादी को धमकी दी है कि 15 दिवस में शेष राषि जमा नहीं करवाई तो उसका कनेक्षन काट देगें।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के विद्युत कनेक्षन खाता संख्या 2017-1510-0181 का संषोधित बिल माह मार्च, 2014 से पिछले बकाया राषि 1,02,325/-रूपये 80 पैसे निरस्त कर दिनांक 18.02.2010 से अब तक का फ्लेट रेट 2759/-रूपये हर दो माह के हिसाब से संषोधित बिल जारी किया जावे।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने विपक्षीगण से अपने फार्म हाउस पर दिनांक 13.02.2003 से 15 एच.पी. का कनेक्षन ले रखा है जिसे दो वर्ष के दौरान बिल की पूर्ण राषि देने पर ही सामान्य श्रेणी में परिवर्तन किया जाना उचित था जबकि परिवादी ने दिनांक 18.02.2010 को समस्त बकाया राषि जमा करवाई, जिसके दौरान माह जुलाई,2011 सामान्य श्रेणी से बिल जारी किया गया है और माह मई, 2011 में 10208/-रूपये फरवरी,2010 से जुलाई, 2011 तक की फार्म रेट की राषि समायोजित की गई है। परिवादी के वी.सी.आर. नम्बर 14493/43 की राषि 30000़़22800 ब्याज सहित कुल राषि 52800/-रूपये समायोजित की गई है। परिवादी द्वारा दिनांक 27.03.2014 को 15000/-रूपये जमा करवाये गये । इस प्रकार परिवादी के जिम्मे शेष राषि 39844/-रूपय 69 पैसे बाकी है, जो जमा करवाये जाने योग्य है।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी के माह मार्च, 2014 में खाता बही में पिछले बिलों की राषि 99821.48/-रूपये एवं मार्च, 2014 के बिल की राषि 2792.40/- रूपये कुल 1,02,613.88/-रूपये का बिल सामान्य श्रेणी तथा फ्लेट रेट पर जारी किया गया है, जो सही है । साथ ही उपभोक्ता के फार्म पर लगा मीटर पाठक द्वारा
बाइण्डर में बी दर्षाया गया है और लीफ के पिछे मीटर जला हुआ एवं सप्लाई सीधी चला रखी है, यह नोट अंकित है। इसलिये परिवादी का बिल 15 एच.पी. भार का फ्लेट रेट से जारी किया गया है। परिवादी के माह जुलाई,2014 के बिल की राषि नियत तिथि तक 42571.09/-रूपये एवं देरी का चार्ज 103.20/-रूपये नियत तिथि पश्चात 42,674.20/-रूपये नियमानुसार जमा किए जाने योग्य है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज फरमाया जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हुआ है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को विवादित विधुत बिल माह मार्च, 2014 का जारी किया गया है जिसमें 52318/-रूपये पिछले बिलों की बकाया देय राषि होना बताया गया है, वह किस आधार पर बताया है, इसका कोई स्पष्टीकरण पेष नहीं किया है। विपक्षीगण ने अपने जवाब में यह स्वीकार किया है कि परिवादी ने दिनांक 18.02.2010 को समस्त बकाया राषि जमा करवादी थी । इसके पश्चात विपक्षीगण द्वारा माह जुलाई,2011 से परिवादी का विद्युत बिल नर्सरी श्रेणी से सामान्य श्रेणी में लिया जाकर जारी किया गया जबकि नियमानुसार निष्चित अवधि के पश्चात ही विपक्षीगण को नर्सरी श्रेणी से परिवर्तन करके सामान्य श्रेणी में परिवादी को विद्युत बिल जारी किया जाना चाहिये था। बिना युक्तियुक्त कारण के विपक्षीगण द्वारा परिवादी का विद्युत बिल नर्सरी श्रेणी से सामान्य श्रेणी में अत्यधिक विलम्ब से लिया गया जिसका कोई स्पष्टीकरण विपक्षीगण ने पेष नहीं किया है।
पत्रावली के अवलोकन से यह भी स्पष्ट हुआ है कि परिवादी के मौके पर 12 एच.पी. की विद्युत मोटर लगी हुई है लेकिन विपक्षीगण ने 15 एच.पी. की मोटर के आधार पर फ्लेट रेट से परिवादी को विद्युत बिल जारी किया गया है, वह किस आधार पर किया गया । मौके पर 15 एच.पी. की मोटर होने संबंध में कोई रिपोर्ट पत्रावली में पेष नहीं हुई है, विपक्षीगण ने मात्र कैयास व अंदाज से 15 एच.पी. की मोटर के आधार पर फ्लेट रेट से परिवादी को विद्युत बिल जारी किया है।
उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि विपक्षीगण द्धारा जारी किया गया विवादित विधुत बिल माह मार्च, 2014 त्रुटिपूर्ण व संदीग्धपूर्ण होने से निरस्त किये जाने योग्य है।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि परिवादी का विवादित विद्युत बिल माह मार्च, 2014 में अंकित पिछले बिलों की बकाया देय राषि निरस्त की जाती है तथा
परिवादी का विद्युत कनेक्षन दिनांक 18.02.2010 से सामान्य श्रेणी में होने के कारण फ्लेट रेट के आधार पर नियमानुसार संषोधित बिल जारी किये जावे। यदि परिवादी द्वारा विद्युत बिल के पेटे विपक्षीगण के कार्यालय में अधिक राषि जमा करादी गई है तो उसे परिवादी के आगामी विद्युत बिलों में समायोजित किया जावे। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
पक्षकारान खर्चा मुकदमा स्वंय अपना-अपना वहन करें।
पत्रावली फैसल शुमार होकर वाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।
आदेश आज दिनांक 22.01.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।