Rajasthan

Jhunjhunun

217/2014

RAM KUMAR - Complainant(s)

Versus

AVVNL PILANI - Opp.Party(s)

KAYAM SINGH

18 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 217/2014
 
1. RAM KUMAR
PILANI
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL PILANI
PILANI
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

    परिवाद संख्या 2017/14

तारीख हुक्म
                            
                      हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
     रामकुमार ब. अ.वि वि. नि. लि0 जरिये सहायक अभियंता पिलानी तहसील चिड़ावा जिला झुंझुनू
                          नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
  
07.04.2015             
      परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री कायम सिंह उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री राजेष खेदड़ उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के दादा के   नाम से विपक्षी के यहां से कृषि विधुत कनेक्षन ले रखा है जिसका खाता संख्या 2103-0017 है। परिवादी के दादा की मृत्यु हो चुकी है तथा उक्त कृषि विधुत कनेक्षन का समय-समय पर परिवादी विपक्षी को बिल जमा कराता आ रहा है, इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि विपक्षी द्वारा परिवादी को एवरेज के आधार पर विद्युत बिल जारी किया जाता है जिसे परिवादी समय-समय पर जमा करवाता रहता है, परन्तु माह फरवरी, 2014 का विद्युत बिल 41087/-रूपये विलम्ब भुगतान सरचार्ज 1322.14 रूपये कुल 42410/-रूपये का जारी किया गया। उक्त गलत रूप से जारी किए गये बिल के संबंध में परिवादी द्वारा विभाग को सूचित किया गया परन्तु विपक्षी विभाग द्वारा परिवादी की अनदेखी की गई । विपक्षी परिवादी से किसी भी प्रकार से उक्त राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। 
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर गलत जारी किये गये माह फरवरी, 2014 का विद्युत बिल 42410/-रूपये निरस्त किये जाने का निवेदन किया है।
      विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने दादा की मृत्यु होने पर उतराधिकारी होने की कोई साक्ष्य पेष नहीं की है। खाता संख्या 2103-0117 में अंकित की गई है। राषि परिवादी ने पिछले 30 माह से जमा नहीं करवाई है। उक्त खाता में 63576/-रूपये बकाया हैं एवं मीटर चालू है जिसके आधार पर बिल जारी किया जा रहा है।  परिवाद पत्र चलने योग्य नहीं है तथा बिल में दर्ज राषि 42410/-रूपये वसूलने योग्य है। 
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
       

    उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
       पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हुआ है कि परिवादी का विवादित विद्युत बिल माह फरवरी, 2014 कुली राषि 42410/-रूपये का जारी किया गया है। परिवादी को 4301 युनिट दर्षाई जाकर 42410/-रूपये का बिल किस आधार पर जारी किया गया, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पत्रावली में पेष नहीं हुआ है। परिवादी द्वारा इतनी अधिक राषि का गलत बिल आने पर बार-बार निवेदन किए जाने के बावजूद उसकी प्रार्थना पर विपक्षी द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया । विपक्षी द्वारा परिवादी को माह फरवरी, 2014 का एक साथ 4301 युनिट के आधार पर 42410/-रूपये का बिल अंदाज व कैयास से गलत जारी किया गया है, जो त्रुटिपूर्ण व संदीग्धपूर्ण होने से निरस्त किए जाने योग्य है। 
      अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि परिवादी के माह फरवरी, 2014 का 42410/-रूपये राषि का विवादित बिल त्रुटिपूर्ण व संदीग्धपूर्ण होने से निरस्त किया जाता है तथा परिवादी को माह फरवरी, 2014 जो स्वंय परिवादी ने वास्तविक विद्युत युनिट का उपभोग किया है, उसके आधार पर संषोधित बिल जारी किया जावे तथा परिवादी द्वारा यदि विपक्षी के कार्यालय में अधिक राषि जमा करादी गई है तो उसे परिवादी के आगामी विद्युत बिलों में समायोजित की जावे। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है। 
      पक्षकारान खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेगें।
      आदेश आज दिनांक 07.04.2015 को लिखाया जाकर मंच द्वारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफतर हो।

 

 

 

 

 

 

 

 


       
    
        

 

 

 

 

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