Rajasthan

Jhunjhunun

163/2014

MTHURA PARSAD - Complainant(s)

Versus

AVVNL KHETRI - Opp.Party(s)

RAJESH

28 Jan 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 163/2014
 
1. MTHURA PARSAD
KHETRI
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL KHETRI
KHETRI
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

  परिवाद संख्या 163/14
तारीख हुक्म
                                      
                      हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
  मथुरा प्रसाद ब. अ.वि वि. नि. लि0 जरिये सहायक अभियंता (वितरण) उप खण्ड खेतडीनगर जिला झुंझुनू
                          नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
  

17.03.2015             
      परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री राजेष बागोरिया उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री फूलचंद सैनी उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने अपने  नाम से विपक्षी के यहां से घरेलू विधुत कनेक्षन ले रखा है जिसका खाता संख्या 2052-2303-0529 है। परिवादी उक्त विधुत कनेक्षन का समय-समय पर विपक्षी को बिल जमा कराता आ रहा है, इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि विपक्षी द्वारा परिवादी को माह अगस्त, 2011 से माह दिसम्बर, 2013 तक वर्तमान एवं गत पठन जीरो दिखाकर 100 युनिट उपभोग दिखाकर एवरेज बिल जारी किए गये। उक्त जारी किए गये बिलों के संबंध में परिवादी द्वारा विभाग को सूचित किया गया तथा परिवादी द्वारा दिनांक 10.01.13 को सहायक अभियंता कार्यालय, खेतडी नगर व दिनांक 20.08.13 को कनिष्ठ अभियंता भैसावता को विद्युत मीटर तेज गति व जम्पिंग करने बाबत लिखित में प्रार्थना पत्र देकर सूचना दी गई तथा बार-बार विद्युत मीटर बदलने का निवेदन किया गया परन्तु विपक्षी विभाग द्वारा परिवादी के प्रार्थना पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं की गई बल्कि विपक्षी विभाग द्वारा परिवादी को माह फरवरी,2014 का विद्युत बिल 8550 युनिट का उपभोग दिखाकर 44766/-रूपये का बिल जारी किया गया। परिवादी ने दिनांक 18.02.14 को विपक्षी के कार्यालय में सम्पर्क किया तो विपक्षी विभाग द्वारा परिवादी के उक्त विद्युत बिल राषि 44766/-रूपये में से 6799/-रूपये कम करके 37967/-रूपये जमा कराने का आदेष दिया गया जो विपक्षी किसी भी प्रकार से प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। 
       विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी का विद्युत मीटर काफी लम्बे समय से खराब चल रहा है तथा परिवादी की षिकायतों पर विपक्षी द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया और न ही परिवादी का विद्युत मीटर बदला गया। इसलिये विपक्षी विभाग द्वारा परिवादी को माह फरवरी, 2014 का जारी किया गया गलत बिल निरस्त किया जावे।
      
     अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर माह फरवरी, 2014 का विद्युत बिल निरस्त किये जाने एवं नया विद्युत मीटर स्थापित किए जाने का निवेदन किया है।
      विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के मीटर की डिसप्ले खराब होने के कारण औसत के बिल जारी किये गये हैं। परिवादी को माह फरवरी,2014 का विद्युत बिल 9750-1200 त्र 8550 युनिट का बिल जारी किया गया। दिनांक 11.01.14 को मीटर रीडर रीडिंग लेने गया तो रीडिंग 9750 युनिट पाई गई, इससे पहले मीटर की डिस्पले रीडिंग नहीं बता रही थी इसलिये 1200 युनिट औसत के आधार पर जारी बिल कम कर 8550 युनिट का बना है। परिवादी की षिकायत पर ज्ंततम िक्पिितमदबम व अन्य जो बनता है उसके एवज में परिवादी के बिल से 6799/-रूपये कम कर संषोधित राषि 37967/-रूपये का बिल  जारी किया गया है। दिनांक 11.01.14 को रीडर को रीडिंग वापिस दिखाई देने के कारण 8550 युनिट का बिल एक साथ जारी किया गया है, जो सही है। 
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
       पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हुआ है कि परिवादी का विवादित विद्युत बिल माह फरवरी, 2014 का है। परिवादी के मीटर की डिसप्ले खराब होने के कारण औसत के आधार पर परिवादी को 8550 युनिट का बिल किस आधार पर जारी किया गया, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पत्रावली में पेष नहीं हुआ है। इतनी अधिक युनिट का बिल परिवादी को औसत के आधार पर विपक्षी द्वारा कभी नहीं भेजा गया है। परिवादी द्वारा मीटर बदलने व उसे दुरूस्त किए जाने के संबंध में विपक्षी को दिनांक 10.01.13 एवं 20.08.13 को  लिखित में निवेदन किया गया था । परिवादी द्वारा लिखित व मौखिक षिकायत के बावजूद विपक्षी द्वारा मीटर नहीं बदला गया और न ही उसे ठीक किया गया। स्वंय विपक्षी इस तथ्य को स्वीकार करता है कि मीटर की डिस्पले खराब हो जाने के कारण मीटर खराब था। विपक्षी द्वारा ऐसी स्थिति में परिवादी को माह फरवरी, 2014 का एक साथ 8550 युनिट के आधार पर 37967/-रूपये की राषि का बिल अंदाज व कैयास से गलत जारी किया गया है, जो त्रुटिपूर्ण व संदीग्धपूर्ण होने से निरस्त किए जाने योग्य है। 
      अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि परिवादी के माह फरवरी, 2014 के विवादित बिल में अंकित 37967/-रूपये की राषि त्रुटिपूर्ण व संदीग्धपूर्ण होने 

 

से निरस्त की जाती है तथा परिवादी को माह फरवरी, 2014 से पूर्व के पिछले तीन बिलों के एवरेज के आधार पर जो स्वंय परिवादी ने वास्तविक विद्युत युनिट का उपभोग किया है उसके आधार पर संषोधित बिल जारी किया जावे तथा परिवादी द्वारा यदि विपक्षी के कार्यालय में अधिक राषि जमा करादी गई है तो उसे परिवादी के आगामी विद्युत बिलों में समायोजित की जावे एवं परिवादी का खराब मीटर तुरंत बदला जावे। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है। 
      पक्षकारान खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेगें।
      आदेश आज दिनांक 17.03.2015 को लिखाया जाकर मंच द्वारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफतर हो।

 

 

 

 

 

 

 

 


       
    
        

 

 

 

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