Rajasthan

Jhunjhunun

292/2014

BHAGIRATH - Complainant(s)

Versus

AVVNL KHETRI - Opp.Party(s)

OM PARKASH SAINI

15 Dec 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 292/2014
 
1. BHAGIRATH
KHETRI
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


तारीख
हुक्म
    
हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
भागीरथ मल बनाम सहायक अभियन्ता अ.वि.वि.नि.लि. खेतड़ी जिला झुंझुनू वगै. 
       परिवाद संख्या 292/14
    नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
  25.02.2015                 अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
    परिवादी की ओर से वकील श्री औमप्रकाष उपस्थित। विपक्षीगण की ओर से वकील श्री सुरेन्द्र भाम्बू उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने घरेलू विधुत कनेक्षन लेने हेतु प्रार्थना पत्र पेष किया। विपक्षी संख्या 1 द्वारा परिवादी को डिमाण्ड नोटिस 1600/-रूपये की राषि का जारी किया गया। डिमाण्ड नोटिस की राषि परिवादी द्वारा नियमानुसार विपक्षीगण के यहां जमा करवादी गई, जिसकी रसीद संख्या 2 की फोटो प्रति पत्रावली में संलग्न की गई है। इस प्रकार परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है।
विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि  विपक्षीगण से सम्पर्क करने पर परिवादी को झूठा आष्वासन देकर समय निकालते रहे तथा विपक्षीगण द्वारा आज तक परिवादी को कनेक्षन से वंचित किया हुआ है। जो विपक्षी की सेवा में कमी है।
       अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर परिवादी का घरेलु विद्युत कनेक्षन स्थापित किए जाने का निवेदन किया है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी को विद्युत कनेक्षन करने के आदेष विपक्षीगण द्वारा जारी कर दिये गये थे परन्तु परिवादी द्वारा स्थापित सिस्टम से कनेक्षन लेने से मना कर दिये जाने के कारण विद्युत कनेक्षन नहीं किया जा सका तथा परिवादी को नोटिस देकर कनेक्षन से संबंधित आवेदन पत्र निरस्त कर दिया गया।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज फरमाया जाने का निवेदन किया है।
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।  
प्रस्तुत प्रकरण के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ है कि परिवादी ने घरेलु विद्युत कनेक्षन लेने हेतु डिमाण्ड नोटिस की राषि 1600/- रूपये विपक्षीगण के कार्यालय में नियमानुसार जमा करवादी परन्तु परिवादी को विपक्षीगण द्वारा लम्बे समय से विद्युत कनेक्षन नहीं दिया गया । विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण का बहस के दौरान यह तर्क होना कि परिवादी द्वारा स्थापित सिस्टम से घरेलु विद्युत कनेक्षन लेने से मना कर दिये जाने के कारण विद्युत कनेक्षन नहीं किया जा सका तथा परिवादी को नोटिस देकर उसका आवेदन निरस्त कर दिया गया।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण के उक्त तर्क से हम सहमत नहीं है क्योंकि परिवादी को विद्युत कनेक्षन नहीं दिये जाने का कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पत्रावली में पेष नहीं किया गया है तथा परिवादी का किस कारण से आवेदन पत्र निरस्त किया गया इसका भी कोई युक्तियुक्त आधार नहीं बताया गया है। पत्रावली में विपक्षीगण द्वारा परिवादी को नोटिस दिया गया होता तो उसकी प्रति या रसीद आवष्यक रूप से पेष की जाती । विपक्षीगण ने अपने तर्को के समर्थन में ऐसा कोई दस्तावेज पेष नहीं किया है जिस पर विष्वास किया जा सके।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि परिवादी को दो माह की अवधि में घरेलु विधुत कनेक्षन दिया जावे अन्यथा स्थिति में 5000/-रूपये हर्जे खर्चे के रूप में परिवादी विपक्षीगण से प्राप्त करने का हकदार होगा । इस निर्देष के साथ प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
     पत्रावली फैसल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो। 
आदेश आज दिनांक 25.02.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 

    

 

 

 

 

 

 

 

 

 


    

 

 

 

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