Rajasthan

Jhunjhunun

262/2014

SAGARMAL - Complainant(s)

Versus

AVVNL GUDHAGODHJI - Opp.Party(s)

BABULAL

11 Dec 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 262/2014
 
1. SAGARMAL
UDAIPURWATI
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL GUDHAGODHJI
GUDHAGORJI
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

                                   परिवाद संख्या 262/14
             सागरमल ब. सहायक अभियंता अ.वि वि. नि. लि0 गुढ़ागोड़जी तहसील 
                                                उदयपुरवाटी जिला झुंझुनू।

परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम

12.02.2015-         परिवादी की ओर से वकील श्री बाबुलाल सैनी उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री सुरेन्द्र भाम्बू उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई । पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी   बी.पी.एल. श्रेणी का व्यक्ति है तथा उसने अपने  नाम से विपक्षी के यहां से घरेलू विधुत कनेक्षन ले रखा है जिसका खाता संख्या 2031-2108-0566 है। परिवादी उक्त विधुत कनेक्षन का समय-समय पर विपक्षी को बिल जमा कराता आ रहा है, इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी विपक्षी द्वारा जारी किये गये बिल जमा करवाता आ रहा है परन्तु विपक्षी द्वारा माह जून, 2013 में 1998 यूनिट गलत उपभोग दर्ज कर कुल 9736/-रूपये का गलत विद्युत बिल भेजा गया जो प्राप्त होने पर परिवादी ने विपक्षी से सम्पर्क कर अवगत कराया, जिस पर विपक्षी ने परिवादी को आष्वासन दिया कि वह मीटर की जांच करवा कर विद्युत बिल दुरूस्त कर वास्तविक उपभोग यूनिट के आधार पर बिल जारी कर बिल की राषि जमा कर लेगें परन्तु विपक्षी द्वारा परिवादी का बिल दुरूस्त नहीं किया बल्कि उक्त बिल की राषि आगामी बिलों में जोड़कर भेजी है। विपक्षी द्वारा परिवादी के यहां स्थापित पुराना विद्युत मीटर नम्बर 766523 खराब होने पर उसके स्थान पर नया विद्युत मीटर नम्बर 915568 लगवा दिया गया है। परिवादी ने दिनांक 04.03.2014 को अधीक्षण अभियंता के समक्ष लिखित प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर बिल की राषि दुरूस्त करने की प्रार्थना की जिसकी फोटो प्रति पत्रावली में पेष की है, परन्तु विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई बल्कि माह अप्रेल, 2014 के बिल में माह जून,2013 के गलत व अवैधानिक बिल की राषि मय ब्याज 14,420/-रूपये जोडते हुए कुल 15,172/-रूपये का गलत बिल भेज दिया गया तथा परिवादी को धमकी दी गई कि यदि सम्पूर्ण बिल जमा नहीं करवाया तो बिना किसी पूर्व सूचना के वि़द्युत कनेक्षन काट दिया जाएगा ।
       अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर माह जून 2013 के विद्युत बिल में दिखाई गई 1998 यूनिट विद्युत उपभोग की राषि 9862/- व उसके बाद आगामी बिलों में अवैधानिक रूप से जोडकर भेजी गई माह अप्रेल, 2014 के बिल की राषि पर ब्याज लगाते हुए कुल 15172/-रूपये की राषि  के बिल निरस्त किये जाने का निवेदन किया।
      विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी द्वारा बिलों का समय पर भुगतान नहीं किया जा रहा है। परिवादी को जून, 2013 का विद्युत बिल वास्तविक उपभोग 1998 यूनिट का जारी किया गया जिसकी राषि नियत तिथि तक 9736/- रूपये जमा योग्य थी । विपक्षी द्वारा परिवादी के विद्युत मीटर को उतारकर विभागीय प्रयोगषाला में दिनांक 25.11.2013 को जांच करवाई गई जिसके अनुसार मीटर की चलन स्थिति सही पाई गई तथा मीटर की बोडी सील टूटी पाई गई । परिवादी के घर पर कोई विषेष उत्सव कार्यक्रम होने, निर्माण कार्य में विद्युत का प्रयोग करना अथवा पडौसी को बिजली सप्लाई अपने मीटर से देने या अन्य किसी कारण से अधिक भार से बिजली की खपत करने पर अधिक उपभोग का आना स्वाभाविक है, लेकिन परिवादी बकाया राषि जमा नहीं करवाना चाहता है। 
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया । पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
       प्रस्तुत प्रकरण मे यह निर्विवादित तथ्य है कि परिवादी के नाम से घरेलु विधुत कनेक्षन विपक्षी के यहां से ले रखा है जिसका खाता संख्या 2031-2108-0566 है। 
       पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ है कि परिवादी का विवादित विद्युत बिल माह जून, 2013 का है, जिसमें 1998 युनिट का उपभोग दर्षाते हुए 9736/-रूपये का जारी किया गया है लेकिन विपक्षी द्वारा पुराने मीटर की खराबी के कारण नया मीटर लगा दिया गया है। विपक्षी के जवाब में यह कथन होना कि परिवादी के मीटर की जांच करवाई गई तो मीटर की बाडी सील टूटी हुई पाई गई । परिवादी के घर पर कोई विषेष उत्सव कार्यक्रम होने, निर्माण कार्य में विद्युत का प्रयोग करना अथवा पड़ौसी को बिजली सप्लाई अपने मीटर से देने या अन्य किसी कारण से अधिक भार से बिजली खपत करने पर अधिक उपभोग का आना स्वाभाविक है। इस संबंध में विपक्षी की ओर से कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पेष नहीं किया गया है। विपक्षी द्वारा यह तथ्य प्रमाणित नही किया गया है कि परिवादी ने ही मीटर के साथ कोई छेड़छाड़ की हो। विपक्षी द्वारा माह जून,2013 के उक्त विवादित बिल में जो राषि अंकित करके परिवादी को भेजा गया है, वह अंदाज व कैयास के आधार पर त्रुटिपूर्ण होने से निरस्त किए जाने योग्य है। 
      अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि परिवादी के माह जून, 2013 के विवादित बिल की राषि 9736/रुपये संदीग्ध व त्रुटिपूर्ण होने से निरस्त की जाती है तथा परिवादी के विवादित बिल माह जून,2013 के पिछले तीन बिलों के एवरेज के आधार पर जो परिवादी ने वास्तविक विद्युत युनिट का उपभोग किया है, उसके अनुसार संषोधित बिल जारी किया जावे । यदि विपक्षी द्वारा उक्त विवादित बिल की राषि को आगामी बिलों में जोडी गई है तो उसे संषोधित बिल के अनुसार आगामी बिलों को दुरूस्त किया जाकर परिवादी को संषोधित बिल जारी किया जावे। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है। 
      पक्षकारान खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेगें।
      आदेश आज दिनांक 12.02.2015 को लिखाया जाकर मंच द्वारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफतर हो।

 

 

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