Rajasthan

Jhunjhunun

372/2014

JAGDEV SINGH - Complainant(s)

Versus

AVVNL GUDHAGODHJI - Opp.Party(s)

KANCHAN SINGH

30 Mar 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 372/2014
 
1. JAGDEV SINGH
UDAIPURWATI
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL GUDHAGODHJI
GUDHAGORJI
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


तारीख
हुक्म
    परिवाद संख्या 372/14
                               हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
  जगदेव सिंह    बनाम   सहायक अभियंता, अ.वि.वि.नि.लि., (ग्रामीण) गुढागोड़जी तहसील
                       उदयपुरवाटी जिला झुंझुनू (राज0)                          नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
 
28.05.2015

                 
           परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री कंचन सिंह उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री राजेष खेदड़ उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के नाम सेे विपक्षी के यहां से अघरेलु विधुत कनेक्षन ले रखा है, जिसका खाता संख्या 2031-1804-0068 है। परिवादी उक्त विधुत कनेक्षन का समय-समय पर विपक्षी को बिल जमा कराता आ रहा है। इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि विपक्षी द्वारा परिवादी को माह मई, 2014 का विद्युत बिल 40428/-रूपये का भिजवाया गया जिसमें उपभोग यूनिट 88 दर्षाई गई तथा 37740/-रूपये निगम राषि दर्षाई गई है। परिवादी जब उक्त बिल लेकर विपक्षी के यहां गया तो विपक्षी ने कहा कि उक्त निगम राषि विद्युत कनेक्षन की है जो जमा करवानी पडेगी अन्यथा परिवादी का कनेक्षन विच्छेद कर दिया जावेगा। परिवादी ने इस संबंध में विपक्षी से बार-बार सम्पर्क किया परन्तु उसकी षिकायत का निवारण करने से इन्कार कर दिया।
      अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर माह मई, 2014 के विद्युत बिल की विवादित राषि 37740/-रूपये  निरस्त किए जाने का निवेदन किया है। 
       विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के परिसर की दिनांक 19.03.2014 को सहायक अभियंता (विद्युत सतर्कता) झुंझुनू द्वारा  जांच की गई तो मौके पर परिवादी के विद्युत कनेक्षन हेतु स्थापित एल.टी. लाईन व पोल से दूसरी केबल डालकर परिवादी द्वारा विद्युत चोरी़ किया जाना पाया गया। मौके पर वी.सी.आर. संख्या 9807/39 दिनांक 19.03.2014 भरी गई। विद्युत चोरी राषि जमा करवाने हेतु परिवादी को नोटिस जारी किया गया, लेकिन परिवादी की ओर से राषि जमा नहीं करवाई गई इसलिये उक्त राषि माह मई,2014 के विद्युत बिल में अन्य देय राषि के रूप में जोड़ दी गई। 
       
        अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी द्वारा विद्युत चोरी करने पर वी.सी.आर के मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस मंच को नहीं होना कथन करते हुए परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
        उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
        परिवाद में विद्युत चोरी के आरोप से सम्बंधित विवाद प्रकट होता है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2014 (3) सीपीआर, 534 - निर्मला देवी बनाम पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एवं अन्य के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा न्ण्च्ण् च्व्ॅम्त् ब्व्त्च्व् त्।ज्प्व्छ स्प्डप्ज्म्क् - व्त्ै टेण् ।छप्ैभ् ।भ्ड।क् - ;2013द्ध 8 ैण्ब्ण्ब्ण् 491  में दिये गये आदेष का अवलम्बन लेते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 एवं 135 से 140 तक सम्बन्धित प्रकरण जिला मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। उक्त न्यायिक विनिष्चयों की रोषनी में यह परिवाद विद्युत अधिनियम की उक्त धाराओं के अंतर्गत विद्युत चोरी से सम्बंधित होने के कारण इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। चूंकि यह परिवाद इस मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
      अतः परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किए जाने योग्य होने से खारिज किया जाता है ।
      आदेश आज दिनांक 28.05.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 


       
    
    

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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