Rajasthan

Jhunjhunun

188/2014

Mohanlal - Complainant(s)

Versus

AVVNL Chidava - Opp.Party(s)

Sankar Sarma

04 Mar 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 188/2014
 
1. Mohanlal
Tah. Buhana Dist. Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL Chidava
Chidava, Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

परिवाद संख्या 188/14
तारीख
हुक्म
                                  
                      हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
मोहनलाल शर्मा बनाम   जांच अधिकारी (सतर्कता अधिकारी) अधिषाषी अधिकारी, अ.वि.वि.नि.लि., चिड़ावा वगै. 
                         नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
 
18.03.2015

                 
           परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री भवानी शंकर शर्मा उपस्थित। विपक्षीगण की ओर से वकील श्री सुरेन्द्र भाम्बू उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई । पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने अपने  नाम से विपक्षीगण के यहां से घरेलू विधुत कनेक्षन ले रखा है जिसका खाता संख्या 2052-2107-0045 है। इसलिए परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी को उक्त विधुत कनेक्षन का माह फरवरी, 14 का बिल प्राप्त हुआ है, जिसमें वी.सी.आर. की राषि का गलत अंकन किया गया है। दिनांक       21.02.14 को परिवादी अधीक्षण अभियंता, झुंझुनू के कार्यालय में गया तथा गलत वी.सी.आर. से माह फरवरी,14 के विद्युत बिल में अंकित राषि निरस्त करने का निवेदन किया परन्तु विपक्षीगण द्वारा वी.सी.आर. सख्या 15846/29 की माह फरवरी,14 के बिल में अंकित राषि को निरस्त नहीं गई। 
      अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर वी.सी.आर निरस्त किए जाने एवं माह फरवरी, 14 के बिल  में परिवादी द्वारा वास्तविक उपभोग की गई विद्युत युनिट का संषोधित बिल जारी किये जाने का निवेदन किया है। 
        विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के उपरोक्त घरेलु कनेक्षन की सतर्कता दल द्वारा दिनांक 08.05.13 को जांच की गई जिसके अनुसार परिवादी विद्युत चोरी करता हुआ पाया गया,़ जिसकी वी.सी.आर संख्या 15846/29 जांच दल द्वारा भरी गई। परिवादी ने वी.सी.आर. की राषि जमा नहीं कराई इसलिये जांच अधिकारी द्वारा विद्युत चोरी निरोधक पुलिस थाना खेतडी में दिनांक 01.05.14 को एफ.आई.आर. नम्बर 116 दर्ज करवादी गई है । 
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
    
       परिवाद में विद्युत चोरी के आरोप से सम्बंधित विवाद प्रकट होता है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2014 (3) सीपीआर, 534 - निर्मला देवी बनाम पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एवं अन्य के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा न्ण्च्ण् च्व्ॅम्त् ब्व्त्च्व्त्।ज्प्व्छ स्प्डप्ज्म्क् - व्त्ै टेण् ।छप्ैभ् ।भ्ड।क् - ;2013द्ध 8 ैण्ब्ण्ब्ण् 491  में दिये गये आदेष का अवलम्बन लेते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 एवं 135 से 140 तक सम्बन्धित प्रकरण जिला मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। उक्त न्यायिक विनिष्चयों की रोषनी में यह परिवाद विद्युत अधिनियम की उक्त धाराओं के अंतर्गत विद्युत चोरी से सम्बंधित होने के कारण इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। चूंकि यह परिवाद इस मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
      अतः यह परिवाद इस निर्देष के साथ खारिज किया जाता है कि परिवादी अपने इस प्रकरण को सक्षम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने को स्वतंत्र है। 
      आदेश आज दिनांक 18.03.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 


       
    
    

 

 

 

 

 

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