Rajasthan

Jhunjhunun

306/2014

DHARMPAL - Complainant(s)

Versus

AVVNL CHIDAVA - Opp.Party(s)

SUMER SINGH

20 Jan 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 306/2014
 
1. DHARMPAL
TAH. CHIDAVA DIST. JHUNJHUNU(RAJ)
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL CHIDAVA
TAH. CHIDAVA DIST. JHUNJHUNU(RAJ)
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

परिवाद संख्या 306/14
तारीख हुक्म
                                          
                             हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
          धर्मपाल ब. सहायक अभियंता अ.वि वि. नि. लि0 कार्यालय चिड़ावा जिला झुंझुनू वगैरह
                          नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
  

04.03.2015             
      परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री सुमेर सिंह उपस्थित। विपक्षीगण की ओर से वकील श्री लाल बहादुर जैन उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई । पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने चिडावा के वार्ड संख्या 1 में स्वंय केे नाम से सुनिया फ्लोर मिल्स (आटा चक्की) का   7.5 एच.पी. का विद्युत कनेक्षन विपक्षीगण के यहां से ले रखा है जिसका खाता संख्या 0101/0416 है। परिवादी उक्त विधुत कनेक्षन का समय-समय पर विपक्षीगण को बिल जमा कराता आ रहा है, इसलिए परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी का मीटर हमेषा चालु रहता है तथा परिवादी विपक्षीगण द्वारा जारी किये गये बिल जमा करवाता आ रहा है परन्तु हर माह के विद्युत बिल की राषि में भारी अन्तर आ रहा है । विपक्षीगण उक्त मीटर की जांच कर उपभोग यूनिट लिखकर ले जाते हैं इसके बाद भी परिवादी का मीटर बंद दिखा दिया जाता है तथा विद्युत बिल की राषि हर महिने के विद्युत बिल में भारी अन्तर दिखाया जाकर विपक्षीगण द्वारा बिल जारी किया जाता है जो विपक्षीगण  की सेवा में कमी व दोष है। परिवादी द्वारा निवेदन करने पर समझौता समिति के तहत विपक्षीगण ने परिवादी से दिनांक 16.08.13 को 6000/-रूपये जमा करवाये तथा परिवादी को आष्वासन दिया कि परिवादी द्वारा उपभोग की गई विद्युत बिल खर्च का ही बिल लिया जावेगा परन्तु इसके बाद भी दिनांक      30.10.13 को अत्यधिक राषि का बिद्युत बिल 1,26,733/-रूपये का जारी किया गया तथा इसके बाद भी दिनांक 11.01.14 को उपभोग 0 दिखा कर कुल उपभोग 401 राषि 13,978/-रूपये का बिल जारी किया गया व इसी प्रकार 28.02.14 के बिल में उपभोग 0 युनिट दिखाकर 432 युनिट उपभोग डिमाण्ड का विद्युत बिल राषि 17,110/-रूपये जारी किया गया व इसी प्रकार बाद के  बिल जारी किये जो गलत जारी किये। 
       अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर परिवादी के विद्युत बिलों में गलत रूप से अत्यधिक अंतर से 

दर्षाई गई राषि के बिलों को निरस्त किये जाने तथा वास्तविक उपभोग के आधार पर बिल जारी करने का निवेदन किया है।
      विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी को औसत के विद्युत बिल जारी किये गये हैं परन्तु उसकी आवष्यक जांच कर उसके विद्युत बिलों को सही कर दिया गया तथा ज्यादा जारी किए गये विद्युत बिलों की राषि उसके खाते में जमा कर आगामी विद्युत बिलों में समायोजित कर दी गई तथा वर्तमान में वास्तविक उपभोग के अनुसार ही बिल जारी किए जा रहे है। 
        विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी को माह मार्च, 2013 में जो विद्युत बिल जारी किया गया उसमें गत पठन 7059 यूनिट व वर्तमान पठन 7205 युनिट होना चाहिये था किन्तु कम्प्यूटर सैल में यूनिट दर्ज  करते समय लिपिकीय भूल के कारण वर्तमान पठन 7205 यूनिट के स्थान पर 72015 यूनिट दर्ज कर दी गई तथा विद्युत बिल 64956 युनिट का जारी हो गया जिसकी तुरंत ही जांच कर वर्तमान पठन 7205 युनिट करते हुये 146 युनिट उपभोग का विद्युत बिल जारी किया गया परन्तु इसके बावजूद भी परिवादी द्वारा संषोधित बिल जमा नहीं करवाया गया। इसके पश्चात भी परिवादी को जो औसत के विद्युत बिल जारी किये गये उनकी क्रेडिट परिवादी के खाते में जमा देते हुए उसके विद्युत बिलों में समायोजित करदी गई है। परिवादी आटा चक्की चलाता है, परिवादी का विद्युत कनेक्षन वाणिज्य की श्रेणी में आता है।
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
        पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हुआ है कि परिवादी ने अपने घर में आटा चक्की लगा रखी है। परिवादी का कथन है कि उसे घरेलु काम से ही उपभोग में लिया जाता है। उक्त चक्की को वाणिज्यक रूप में उपभोग में नहीं लिया जाता है।
        विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण का यह तर्क रहा है कि उक्त आटा चक्की को वाणिज्यक रूप में काम में लिया जाता है तथा वाणिज्यक प्रयोजन के लिए ही परिवादी ने उक्त विद्युत कनेक्षन ले रखा है ।
 
      विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण के उक्त तर्क से हम सहमत नहीं हैं क्योंकि विपक्षीगण ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि परिवादी किस प्रकार से वाणिज्यक प्रयोजन के लिए उक्त विद्युत कनेक्षन को काम में लेता है। इस संबंध में कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण विपक्षीगण ने पेष नहीं किया है। 
       विपक्षीगण ने अपने जवाब में यह तथ्य स्वीकार किया है कि माह मार्च,2013 के विद्युत बिल में लिपिकीय त्रुटि व भूल के कारण के 7205 युनिट के स्थान पर 72015 युनिट गलत दर्ज करदी गई जिसे संषोधित किया जाकर राषि कम की गई है। विपक्षीगण ने बार-बार अपने जवाब में परिवादी के विद्युत बिल की राषि कम किए जाने का जिक्र किया है लेकिन पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हुआ है कि विपक्षीगण ने मार्च, 2013 से मार्च, अप्रेल, 2014 तक के विवादित विद्युत बिलों में अंकित वास्तविक यूनिट जो परिवादी द्वारा उपभोग में ली गई हैं उसके अनुसार बिल की राषि का विद्युत बिल परिवादी को नहीं भेजा गया है। युनिट के उपभोग के अनुसार नियमानुसार विद्युत बिल में राषि अंकित नहीं करके अत्यधिक राषि के गलत बिल जारी किए हैं जो निरस्त किए जाने के योग्य हैंे। 
        अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए विपक्षीगण को आदेष दिया जाता है कि परिवादी के माह मार्च, 2013 से मार्च/ अप्रेल, 2014 तक के विवादित विद्युत बिल निरस्त किए जाते हैं तथा परिवादी के उक्त विवादित विद्युत बिलों में अंकित वास्तविक यूनिट जो परिवादी द्वारा उपभोग में ली गई हैं उसके अनुसार संषोधित विद्युत बिल परिवादी को जारी किए जावें। यदि परिवादी द्वारा विवादित बिलों के पेटे अधिक राषि जमा करवादी गई है तो उसे परिवादी के आगामी विद्युत बिलों में समायोजित की जावे। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है। 
      पक्षकारान खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेगें।
      आदेश आज दिनांक 04.03.2015 को लिखाया जाकर मंच द्वारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफतर हो।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


       
    
     

 

 

 

 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.