Rajasthan

Jhunjhunun

422/2013

RAM NIWASH - Complainant(s)

Versus

AVVNL BAGAR - Opp.Party(s)

RAJENDER SINGH

25 Mar 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 422/2013
 
1. RAM NIWASH
BAGAR
...........Complainant(s)
Versus
1. AVVNL BAGAR
BAGAR
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


तारीख
हुक्म
                                                परिवाद संख्या 422/13
                               हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
        रामनिवास  बनाम  सहायक अभियंता, अ.वि.वि.नि.लि.,वित. ग्रामीण शाखा बगड़
                                       जिला झुंझुंनू वगैरह
                         नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
 
15.05.2015

                 
           परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री राजेन्द्र सिंह उपस्थित। विपक्षीगण की ओर से वकील श्री फूलचंद सैनी उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी तथा परिवादी के भाई महावीर व प्रहलाद के शामलाती कुये पर अकेले प्रहलाद के नाम सेे विपक्षीगण के यहां से कृषि विधुत कनेक्षन ले रखा है, जिसका खाता संख्या 2041-1707-0004 है। परिवादी के भाई प्रहलाद ने वर्ष, 1991 में उक्त कुआ मय विद्युत कनेक्षन के परिवादी व उसके भाई महावीर को बेच दिया व 1999 में परिवादी व परिवादी के भाई महावीर के पक्ष में लिखावट करवादी । परिवादी के हक में पुनः नाम परिवर्तन के लिये 1999 की लिखावट वर्ष, 2008 में मय नाम परिवर्तन की सहमति के प्रहलाद व महावीर से परिवादी के पक्ष में नोटेरी तसदीक करवादी। तब से अकेला परिवादी ही उक्त विद्युत कनेक्षन का विपक्षीगण को बिलों का भुगतान करता आ रहा है। इसलिए परिवादी विपक्षीगण  का उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को माह दिसम्बर, 2008 के विद्युत बिल में निगम राषि के कालम में विद्युत उपयोग व उपभोग शुल्क के अतिरिक्त राषि जोडकर दी गई। उक्त विद्युत बिल प्राप्त होने पर परिवादी ने विपक्षीगण से सम्पर्क किया तथा बिल में जोडी गई वी.सी.आर. के बाबत प्रकरण विषिष्ट न्यायाधीष विद्युत अधिनियम, झुंझुनू के यहां विचाराधीन होने से भी अवगत कराया परन्तु विपक्षी संख्या 1 इन्कार हो गया। विपक्षी संख्या 1 द्वारा परिवादी के कुये का विद्युत संबंध वर्ष, 2008 में अनाधिकृत रूप से काट दिया गया जिसे परिवादी ने विपक्षी संख्या 3 से मिलकर उक्त वी.सी.आर. के प्रकरण बाबत बताकर उपयोग उपभोग की राषि जमा करने का आदेष करवाया व पुनः कटा हुआ कनेक्षन शुल्क जमा करवाकर चालू करवाया। परिवादी जनवरी, 2011 में विपक्षी संख्या 1 के यहां उक्त विद्युत कनेक्षन अपने नाम परिवर्तन कराने बाबत मय दस्तावेज व वी.सी.आर. प्रकरण के न्यायालय निर्णय की प्रति सहित मिला, जिस पर विपक्षी 


संख्या 1 ने कहा आपके उक्त खाता संख्या में वी.सी.आर. राषि नहीं जोडी जावेगी क्योंकि आपके उक्त खाता के कुये पर विद्युत चोरी बाबत कोई       वी.सी.आर. विभाग द्वारा कभी नहीं भरी गई है। उक्त वी.सी.आर. नये कुये पर बिना विद्युत कनेक्षन लिये विद्युत चोरी करने की है। माह मार्च,2013 में परिवादी के खाता संख्या 2041-1707-0004 के बिल में वी.सी.आर. की जुर्माना राषि पुनः गलत जोडकर भेजी गई जिस पर परिवादी पुनः विपक्षीगण से मिला इसके बावजूद परिवादी का विद्युत कनेक्षन काट दिया।  परिवादी इस संबंध में विपक्षी संख्या 3 से मिला तो परिवादी से कहा गया कि वी.सी.आर. राषि विभाग में जमा करवादे तो आपका विद्युत कनेक्षन पुनः जोड दिया जावेगा तथा परिवादी ने वी.सी.आर. राषि 25000/-रूपये विपक्षीगण के यहां विरोध के साथ जमा करवाये व पुनः विद्युत कनेक्षन शुल्क जमा करवाकर विद्युत कनेक्षन चालू करवाया। परिवादी के विद्युत बिल माह मई,2013 में पुनः उपयोग उपभोग के अलावा निगम राषि 94315/-रूपये जोडकर भेजे गये जिसका परिवादी ने पुनः आंषिक भुगत किया । जुलाई,2013 में पुनः निगम राषि के कालम में ब्याज जोडकर भेजा गया, जिसका भी परिवादी ने आंषिक भुगतान कर दिया। परिवादी जब विद्युत बिल दुरूस्त कराने व उक्त विद्युत कनेक्षन नाम परिवर्तन के लिये विपक्षी संख्या 1 से पुनः मिला तो विपक्षी संख्या 1 ने नाम परिवर्तन आवेदन लेने से इन्कार कर दिया तथा विभाग वी.सी.आर. राषि वसूलने के लिये तत्पर है।
      अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर खाता संख्या 2041-1707-0004 का विद्युत कनेक्षन परिवादी के नाम परिवर्तन की पत्रावली जमा कर नियमानुसार शुल्क जमा कर प्रहलाद के स्थान पर परिवादी के नाम जारी किये जाने व उक्त खाता में प्रहलाद के नाम से भरी गई वी.सी.आर. राषि 25,000/-रूपये माह मार्च, 2013 में जमा दी गई वह परिवादी के अगामी बिलों में समायोजित किये जाने तथा वी.सी.आर. की राषि हटाई जाने का निवेदन किया है। 
       विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण  ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि कृषि खाता संख्या 1707-0004 प्रहलाद पुत्र लेखराम के नाम से है तथा सर्तकता जांच संख्या 8824/04 दिनांक 14.10.2006 राषि 25000/-रूपये औसत सतर्कता जांच सख्या 10797/08 दिनांक 06.11.2006 की राषि 25,000/-रूपये बिलिंग माह 7/07 में नाम दर्ज की गई है, यह विद्युत चोरी की रिपोर्ट प्रहलाद पुत्र लेखराम के नाम से है तथा कृषि खाता में भी प्रहलाद पुत्र लेखराम नाम दर्ज है। सतर्कता जांच संख्या 8824/04 दिनांक 14.10.2006 का सक्षम न्यायालय में प्रहलाद के विरूद्ध इस्तगासा विचाराधीन होने तथा कनेक्षन बकाया व चालू 


बिल जमा नहीं करवाने पर कनेक्षन काटा गया, जो पुनः विद्युत शुल्क जमा करवाने पर कनेक्षन पुनः चालू कर दिया गया। परिवादी द्वारा नाम परिवर्तन पत्रावली विपक्षीगण के कार्यालय में जमा नहीं करवाई गई। प्रकरण संख्या 7/05 अ.वि.वि.नि.लि. बनाम प्रहलाद के निर्णय दिनांक 10.12.2010 की पालना करदी गई है। प्रहलाद के नाम से गैर उपभोक्ता की विद्युत चोरी की है, जांच की गई। इसकी राषि प्रष्नगत खाते में नहीं जोडी गई थी। 
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादी द्वारा विद्युत चोरी करने पर वी.सी.आर के मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस मंच को नहीं होना कथन करते हुए परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
        उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
        परिवाद में विद्युत चोरी के आरोप से सम्बंधित विवाद प्रकट होता है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2014 (3) सीपीआर, 534 - निर्मला देवी बनाम पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एवं अन्य के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा U.P. POWER  CORPORATION  LIMITED & ORS  Vs. ANISH AHMAD  –  (2013) 8 S.C.C  491  में दिये गये आदेष का अवलम्बन लेते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 एवं 135 से 140 तक सम्बन्धित प्रकरण जिला मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। उक्त न्यायिक विनिष्चयों की रोषनी में यह परिवाद विद्युत अधिनियम की उक्त धाराओं के अंतर्गत विद्युत चोरी से सम्बंधित होने के कारण इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। चूंकि यह परिवाद इस मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
      अतः परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किए जाने योग्य होने से खारिज किया जाता है ।
      आदेश आज दिनांक 15.05.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 


       
    
    

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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