Rajasthan

Jhunjhunun

cc/153/2014

Bhagavatee Devi - Complainant(s)

Versus

AVVNL Bagad - Opp.Party(s)

Rajes Sunda

19 Nov 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. cc/153/2014
 
1. Bhagavatee Devi
Tah. &Dist. Jhunjhunu (Raj)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


तारीख हुक्म
    
                      हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
     श्रीमती भगवती देवी ब. सहायक अभियंता अ.वि वि. नि. लि0 ग्रामीण कार्यालय, बगड़ जिला झुंझुनू
                      परिवाद संख्या 153/14    
    नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
  

13.01.2015             
      परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादिया की ओर से वकील श्री राजेष सुण्डा उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री विद्याधर सिंह महला उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।     
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादिया ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादिया ने अपने  पति के नाम से विपक्षीगण के यहां से घरेलू विधुत कनेक्षन ले रखा है जिसका खाता संख्या 2041-2208-0230 है। परिवादिया उक्त विधुत कनेक्षन का समय समय पर विपक्षी को बिल जमा कराती आ रही है, इसलिए परिवादिया विपक्षी की उपभोक्ता है। 
         विद्वान् अधिवक्ता परिवादिया ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादिया के एवरेज 50 यूनिट प्रतिमाह उपभोग का बिल आता था तथा मीटर बंद हो गया जिस पर परिवादिया ने विभाग को सूचित कर दिया व लाईनमैन ने मीटर चैक कर बंद मीटर की रिपोर्ट करदी तत्पष्चात परिवादिया को एवरेज 150 यूनिट प्रति दो माह का बिल जारी किया जाने लगा, जिसे वह जमा करवाती रही तथा मीटर बदलने के लिये बार-बार निवेदन करती रही परन्तु विपक्षी ने इस ओर ध्यान नहीं तथा लापरवाही पूर्ण रवैया अपनाते हुये माह फरवरी,2014 के बिल में 2608 यूनिट कुल दो माह के उपभोग दिखा कर 13732/-रूपये का विद्युत बिल जारी किया गया जबकि परिवादिया का जब से कनेक्षन स्थापित हुआ है तब से कभी भी इतना बिल नहीं आया है।
       अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादिया ने परिवादिया का परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर माह फरवरी, 2014 के विद्युत बिल में दिखाई गई कुल विद्युत खर्च राषि 13732 रूपये को निरस्त किये जाने का निवेदन किया है।
      विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि उपरोक्त खाता परिवादिया के नाम नहीं होने से वह विपक्षी की उपभोक्ता नहीं है तथा उक्त खाता संख्या 2208-0230 के लिये मीटर संख्या 894725 लगा हुआ था बिलिंग माह जून, 2013 में पठन 1479 तथा तथा बिलिंग माह अगस्त, 2013 में मीटर पठन साफ दिखाई नहीं देने पर औसत 150 यूनिट माह अक्टुबर, 2013 में 150 यूनिट और दिसम्बर, 2013 में औसत 150 यूनिट कुल 1929 यूनिट तक का बिल जारी हो गया तथा पूर्व में स्थापित मीटर नम्बर 894725 बदलने हेतु मीटर परिवर्तन आदेष संख्या 44/24 दिनांक 07.10.2013 के तहत दिनांक 28.12.2014 को नया मीटर 232724 लगा कर पूर्व में स्थापित मीटर का अन्तिम पठन 4532 पर उतारा गया व इस मीटर की जांच करवाई गई तथा मीटर लेब जांच रिपोर्ट के तहत पूर्व में स्थापित मीटर नम्बर 894725 का अंतिम पठन 4532 पाई गई। परिवादिया से इस मीटर का पठन 1929 यूनिट तक की बिलंग ले ली गई व बिल माह फरवरी, 2014 में हटाये गये मीटर नम्बर 894725 का पठन 1929 से 4532 तक 2603 यूनिट के चार्ज की राषि का बिल जारी किया गया जो नियमानुसार सही है। 
      अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादिया का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
       उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
       प्रस्तुत प्रकरण मे यह निर्विवादित तथ्य है कि परिवादिया के पति के नाम से घरेलु विधुत कनेक्षन विपक्षी के यहां से ले रखा है तथा परिवादिया समय समय पर विपक्षी के कार्यालय में विद्युत बिल जमा कराती आ रही है।
       पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हुआ है कि परिवादिया का विवादित विद्युत बिल माह फरवरी,2014 का है, जिसमें नये मीटर व पुराने मीटर के विद्युत युनिट के उपभोग के अनुसार  विद्युत बिल की कुल राषि 13,732/रुपये अंकित है।
       विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी ने अपने जवाब में यह तथ्य अंकित किया है कि परिवादिया का मीटर 28.12.2014 को बदला गया। माह फरवरी, 2014 का बिल नये पुराने दोनो मीटरों के विद्युत उपभोग के अनुसार भेजा गया। नये मीटर के अनुसार परिवादिया के उक्त विवादित बिल में वर्तमान पठन 4532 विद्युत युनिट का उपभोग बताया गया है तथा माह अगस्त में परिवादिया के पुराने मीटर की स्क्रीन धुंधली हो जाने के कारण उसमें रिडींग साफ दिखाई नहीं दे रही थी, इस तथ्य को स्वंय विपक्षी ने अपने जवाब में स्वीकार किया है। विपक्षी ने पुराने मीटर की स्क्रीन धुंधली होने व उसमें रिडींग साफ दिखाई नहीं देने के बावजूद विवादित विद्युत बिल माह फरवरी, 2014 में परिवादिया द्वारा कुल विद्युत युनिट 4532 का उपभोग किया जाना किस आधार पर बताया है, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पेष नहीं किया है तथा विपक्षी ने परिवादिया का विद्युत मीटर खराब होने के लगभग पांच माह बाद अत्यधिक विलम्ब से नया मीटर बदला है व उक्त अवधि में एवरेज बिल जारी किया गया है। इस प्रकार जो पुराने मीटर की विद्युत युनिट उक्त विवादित बिल में अंकित करके परिवादिया को भेजा है, जो त्रुटिपूर्ण होने से निरस्त किए जाने योग्य है। 
      अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए ृिवपक्षी को आदेश दिया जाता है कि परिवादिया के माह फरवरी, 2014 के विवादित बिल की राषि 13,732/रुपये त्रुटिपूर्ण होने से निरस्त की जाती है तथा परिवादिया को माह जुलाई, 2013 के पिछले तीन बिलों के एवरेज के आधार पर जो स्वंय परिवादिया ने वास्तविक विधुत युनिट का उपभोग किया है उसके आधार पर संषोधित बिल जारी किया जावे तथा परिवादिया द्वारा यदि विपक्षी के कार्यालय में अधिक राषि जमा करादी गई है तो उसे परिवादिया के आगामी विद्युत बिलों में समायोजित की जावे। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है। ृ
      पक्षकारान खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेगें।
      आदेश आज दिनांक 13.01.2015 को लिखाया जाकर मंच द्वारा सुनाया गया। 
      पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफतर हो।

 

 

 

 

 

 

 

 


       
    
        

 

 

 

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