तारीख
हुक्म
परिवाद संख्या 246/13
हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
राजेष कुमार, सुरेष कुमार बनाम सहायक अभियंता,अ.वि.वि.नि.लि. (ग्रामीण) झुंझुनू (राज0)
नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
10.08.2015
परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
दिनांक 08.08.2015 का अवकाष होने से पत्रावली आज पेषी में ली गई।
परिवादीगण की ओर से वकील श्री राजेष सूण्डा उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री अनवर हसन उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
विद्वान् अधिवक्ता परिवादीगण ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादीगण ने अपने पिता के नाम सेे विपक्षी के यहां से कृषि विधुत कनेक्षन ले रखा है। जिसका खाता संख्या 2025-2201-0030 है। परिवादीगण के पिता की मृत्यु हो चुकी है। परिवादीगण उक्त विधुत कनेक्षन काम में लेते हैं तथा समय-समय पर विपक्षी को बिल जमा कराते आ रहे हंै। इसलिए परिवादीगण विपक्षी के उपभोक्ता हैं।
विद्वान् अधिवक्ता परिवादीगण ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादीगण विपक्षी को समय पर बिल चुकाते आ रहे हैं तथा अन्तिम बिल माह मार्च, 2013 दिनांक 07.03.2013 को बनवाकर परिवादीगण ने 12460/-रूपये जमा करवा दिये परन्तु बिल जमा कराने के बावजूद विपक्षी के लाईनमैन द्वारा दिनांक 08.03.2013 के बाद परिवादीगण के कनेक्षन के तार हटा दिये। परिवादीगण ने विपक्षी से सम्पर्क किया तो कहा आपका कनेक्षन बहुत पहले से पी.डी.सी. कर रखा है। आप 90,000/-रूपये जमा करवा देगे तब आपका कनेक्षन चालू करेगे। यह विपक्षी की घोर लापरवाही है।
अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादीगण ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर परिवादीगण का कनेक्षन तुरंत जोडे जाने का निवेदन किया है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि खाता संख्या 2025-2201-0030 परिवादीगण के पिता जगन सिंह के नाम से है तथा बकाया राषि पर उक्त कनेक्षन पी.डी.सी. कर दिया गया। परिवादीगण ने पुनः कनेक्षन अपने नाम से करवाने हेतु कोई आवेदन नहीं किया है। इसलिये परिवादीगण विपक्षी के उपभोक्ता नहीं है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि दिनांक 03.03.2013 को मौके पर जांच अधिकारी द्वारा जांच की गई तो परिवादीगण ने बिना विधिवत कनेक्षन लिये ट्रांसफार्मर से डाइरेक्ट केबिल जोडकर बेईमानी पूर्वक विद्युत चोरी कर अपना कृषि कुआ चलाकर फसल काष्त कर रखी थी। जिसकी मौके पर वी.सी.आर. संख्या 14778/15 विद्युत संबंध जगन सिंह के नाम होने से उसी के नाम से भरी गई। जगन सिंह फौत हो चुका है परन्तु उक्त कृषि कनेक्षन जगनसिंह के नाम से ही था तथा प्रथम सूचना रिपोर्ट भी उसी के नाम से दर्ज हुई। परिवादीगण ने जगन सिंह की मृत्यु के उपरांत उक्त कनेक्षन को उपयोग व उपभोग में लिया जाना व समय-समय पर इसका बिल विपक्षी के यहां जमा कराया जाना स्वीकार किया है। उक्त वी.सी.आर. के बाद परिवादी राजेष ने उक्त कृषि कुये की पूर्व की बकाया राषि 23,353/-रूपये के एवज में 12460/-रूपये छूट योजना का लाभ लेते हुये दिनांक 07.03.2013 को जमा करवाये । यह कनेक्षन दिनांक 14.01.2012 से कटा हुआ था। नियमानुसार परिवादीगण वी.सी.आर. दिनांक 03.03.2013 की राषि 1,26,605/-रूपये जमा नहीं करवा देते तब तक उपभोक्ता का विद्युत सम्बंध पुनः स्थापित नहीं किया जा सकता।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादीगण द्वारा विद्युत चोरी करने पर वी.सी.आर के मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस मंच को नहीं होना कथन करते हुए परिवादीगण का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया तथा परिवादीगण की ओर से बहस के दौरान प्रस्तुत दस्तावेजात का भी अवलोकन किया गया।
प्रकरण में वी.सी.आर. से संबंधित विद्युत चोरी का विवाद प्रकट होता है। वी.सी.आर. सही है अथवा गलत ? इस सम्बन्ध में सुनवाई का अधिकार इस मंच को नहीं है।
माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2014 (3) सीपीआर, 534 - निर्मला देवी बनाम पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एवं अन्य के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा U.P. POWER CORPORATION LIMITED & ORS Vs. ANISH AHMAD- (2013) 8 S.C.C. 491 में दिये गये आदेष का अवलम्बन लेते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 एवं 135 से 140 तक
सम्बन्धित प्रकरण जिला मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। उक्त न्यायिक विनिष्चयों की रोषनी में यह परिवाद विद्युत अधिनियम की उक्त धाराओं के अंतर्गत विद्युत चोरी से सम्बंधित होने के कारण इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। चूंकि यह परिवाद इस मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
अतः परिवादीगण का परिवाद पत्र निरस्त किए जाने योग्य होने से खारिज किया जाता है ।
आदेश आज दिनांक 10.08.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।
पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।