परिवाद संख्या 600/13
तारीख
हुक्म
हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
प्रताप सिंह बनाम सहायक अभियंता (ग्रामीण)अ.वि.वि.नि.लि., कार्यालय बगड रोड झुंझुनू तह. व जिला झुंझुनू।
नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
26.03.2015
परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री रामसिंह काला उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री फूलचंद सैनी उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई । पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादीे ने सरकार की बी.पी.एल. परिवार को निःषुल्क योजना के तहत विपक्षी के यहां से घरेलू विधुत कनेक्षन ले रखा है, जिसका खाता संख्या 2044-2409-0322 है। इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है।
विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी द्वारा विद्युत उपभोग का बिल समय पर विपक्षी को भुगतान नहीं किया गया इस कारण दिनांक 09.02.2013 को परिवादी का विद्युत सम्बंध विच्छेद कर दिया। परिवादी को विपक्षी द्वारा माह फरवरी का विद्युत उपभोग का दिनांक 10.02.2013 को जारी कर पिछला बकाया 10573/-रूपये का भेजा गया जिसका पार्ट पेमेंट आदेष करवाकर परिवादी ने दिनांक 06.06.2013 को 10,000/-रूपये तथा पुनः विद्युत कनेक्षन जारी करने के लिए 200/-रूपये जमा करवा दिये परन्तु विपक्षी के कार्यालय में मीटर उपलब्ध नहीं होने के कारण दिनांक 10.07.2013 को मीटर स्थापित कर विद्युत कनेक्षन जारी किया गया। माह अगस्त, 2013 के बिल में विपक्षी द्वारा ऐवरेज के आधार पर 144 युनिट का बिल जारी किया जो 746/-रूपये व पिछला बकाया 2535/-रूपये कुल 3381/-रूपये का जारी किया गया जो गलत जारी किया है। परिवादी ने विपक्षी से माह अगस्त,2013 के बिल को संषोधन के लिये मिला तो संषोधित नहीं किया।
विद्वान अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी तर्क दिया है कि परिवादी का मंच द्वारा स्टे किये जाने के बावजूद विद्युत कनेक्षन विपक्षी द्वारा विच्छेद कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त माह फरवरी,2013 से अगस्त, 2013 के विद्युत बिल की राषि 2099/-रूपये परिवादी से वास्तविक विद्युत युनिट के उपभोग के आधार पर जारी नहीं किया गया है बल्कि अधिक राषि का जारी
किया गया है। विपक्षी ने परिवादी द्वारा जमा कराई गई अधिक राषि 2099/-रूपये को बिलों में समायोजित नहीं की है।
अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर माह अगस्त, 2013 के बिल में माह फरवरी का 9 दिन का उपयोग का विद्युत बिल तथा दिनांक 09.02.2013 से 10.07.2013 तक परिवादी का विद्युत संबंध विच्छेद रहा है उसका दिया गया बिल निरस्त कर दिनांक 10.07.2013 से आगे का बिल रीडिंग के आधार पर जारी करने एवं माह फरवरी,13 के बिल में दर्ज शेष रषि 574/-रूपये परिवादी के बिल में जोडकर वसूल किए जाने का निवेदन किया है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी का कनेक्षन दिनांक 09.02.2013 को विच्छेद किया गया था तथा परिवादी द्वारा दिनांक 06.06.2013 को 10,000/-रूपये पी.पी. के आदेष करवाकर जमा करवाये तथा पुनः विद्युत संबंध जुडवाने हेतु शुल्क जमा कराने पर पुनः विद्युत संबंध स्थापित कर दिया गया तथा कनेक्षन स्थापित करने के बाद परिवादी के खाते में कुल राषि 2099/-रूपये दिनांक 03.04.2014 को समायोजित करदी गई है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
विद्वान् अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह तर्क होना कि इस प्रकरण में मंच द्वारा स्थगन आदेष जारी करने के बावजूद विपक्षी बिजली विभाग ने परिवादी का विद्युत संबंध विच्छेद कर दिया । पत्रावली में उपलब्ध विपक्षी की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट से यह साबित होता है कि परिवादी का विद्युत कनेक्षन मौके पर विपक्षी द्वारा स्थापित कर दिया गया है । स्वंय परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह तथ्य स्वीकार किया है कि पुनः विद्युत कनेक्षन जारी करने के लिये उसके द्वारा 200/-रूपये विपक्षी बिजली विभाग में जमा करवा दिये गये हैं और नियम से विद्युत कनेक्षन पुनः परिवादी को दे दिया गया है।
विद्वान् अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह तर्क होना कि 2099/-रूपये जो विपक्षी बिजली विभाग द्वारा विवादित विद्युत संबंध के पेटे अधिक लिये थे, वह आज तक कम नहीं किया । पत्रावली पर उपलब्ध रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि विपक्षी बिजली विभाग ने 2099/-रूपये परिवादी के विद्युत
बिलों में समायोजित कर दिये हैं। अब प्रकरण में ऐसा कोई विवादित बिन्दु शेष नहीं रहा है जिससे कि आगे कोई कार्यवाही की जावे।
अतः परिवादी का परिवाद पत्र सारहीन होने से खारिज किए जाने योग्य है जो एतद्द्वारा खारिज किया जाता है।
आदेश आज दिनांक 26.03.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।
पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।