तारीख हुक्म
परिवाद संख्या 170/13
हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
मैसर्स श्याम एसोसियेट जरिये प्रोपराईटर बनाम प्रबंध निदेषक,अ.विवि.नि.लि. सीटी
पावर हाउस, हाथी भाटा अजमेर
(कामर्सियल विंग) वगैरह।
नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
11.08.2015
परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री कैलाष जांगिड़ उपस्थित। विपक्षीगण की ओर से वकील श्री राजेष खेदड़ उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने अपने नाम से विपक्षीगण के यहां से एक क्रेषर मषीन का विधुत कनेक्षन ले रखा है जिसका खाता संख्या जे.जे.एच.सी.-1-3-0066 है। परिवादी उक्त विधुत कनेक्षन का समय-समय पर विपक्षीगण को बिल जमा कराता आ रहा है। इसलिए परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है।
विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी ने अपने क्रेषर मषीन पर अलग से फीडर लेने हेतु विपक्षीगण के यहां प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया था। जिस पर सम्पूर्ण जांच कर विपक्षीगण ने दिनांक 06.06.2010 को डिमाण्ड नोटिस जारी किया। परिवादी ने दिनांक 29.07.2010 को डिमाण्ड नोटिस की राषि 5,13,223/-रूपये जरिये रसीद संख्या 8788/77 विपक्षीगण के कार्यालय में जमा करवादी जिसकी रसीद की फोटो प्रति परिवाद में संलग्न है। विपक्षीगण ने आज तक अलग से परिवादी के क्रेषर पर फीडर नहीं लगाया है। परिवादी ने विपक्षीगण को दिनांक 24.08.2011, 25.08.2011 व 23.06.2011 को पत्र लिखेे लेेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई, जो विपक्षी की सेवामें घोर लापरवाही है।
विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी ने दिनांक 29.08.2012 को सूचित किया कि विलम्ब के कारण उसे अब फीडर लगाने की आवष्यकता नहीं है तथा उक्त राषि परिवादी के सी.एस.डी. खाते में समायोजित कर ली जावे अथवा मय ब्याज वापिस लौटाई जावे। लेकिन विपक्षीगण ने आज तक परिवादी को राषि नहीं लौटाई है। दिनांक 21.12.2012 को विपक्षीगण द्वारा परिवादी को एक रिवाईज नोटिस जारी कर परिवादी से 17,60,821/-रूपये सी’एस.डी. के रूप में मांग की गई, जिसमें परिवादी की 8,36,000/-रूपये राषि जमा होने अंकित कर शेष राषि
9,24,821/-रूपये सात दिवस में जमा करवाने हेतु लिखा तथा सात दिवस में जमा नहीं करवाने पर विद्युत सम्बध विच्छेद करने का कथन किया गया। परिवादी ने उसके द्वारा डीमाण्ड नोटिस की जमा राषि समायोजन के बाद शेष राषि 4,11,598/-रूपये जमा करवाने का कथन किया है । विपक्षीगण द्वारा न तो परिवादी के 5,13,223/-रूपये मय ब्याज उसके सी.एस.डी. खाते में जमा नहीं किये हैं और न ही परिवादी को लौटाये हैं बल्कि विद्युत सम्बंध विच्छेद करने की धमकी दे रहे हैं, जबकि परिवादी अब भी नियमानुसार राषि जमा करवाने को तैयार है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के यहां जमा करवाई गई राषि 5,13,223/-रूपये दिनांक 29.07.2010 से मय ब्याज 18 प्रतिषत वार्षिक दर से उसके सी.एस.डी. खाते में समायोजित किये जाने अथवा उसे वापिस लौटाये जाने का निवेदन किया है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी द्वारा अलग फीडर लेने की राषि जमा होने पर कार्यालय आदेष जारी किया हुआ है तथा सम्बन्धित ठेकेदार की रिपोर्ट के अनुसार 70 प्रतिषत कार्य हो चुका है लेकिन विवाद आ जाने के कारण कार्य पूरा नहीं किया जा सका है। सम्बंधित के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने हेतु संबंधित थाने में लिखा हुआ है परन्तु अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। ऐसी स्थिति में उक्त राषि धरोहर राषि में समायोजित करना संभव नहीं है । इस संबंध में आवष्यक निर्देष हेतु उच्चाधिकारियों को निवेदन किया गया है। अलग से फीडर लेने की राषि जो लाईन खडी करने की कीमत से संबंधित होती है एवं सी.एस.डी. (अमानत राषि) अलग मद में आती है। इसलिये दोनो मदों की राषि का समायोजन होना निगम के नियमानुसार नहीं है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
प्रस्तुत प्रकरण में यह तथ्य निर्विवादित है कि परिवादी ने अपनी क्रेषर मषीन पर अलग से विधुत फीडर लगाने हेतु नियमानुसार प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर
विपक्षीगण के निर्देषानुसार डिमाण्ड नोटिस की राषि 5,13,223/-रूपये जरिये रसीद संख्या 8788/77 दिनांक 29.07.2010 को विपक्षीगण के कार्यालय में जमा करवाये है। जिसकी रसीद की फोटो प्रति पत्रावली में संलग्न है ।
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ है कि परिवादी को अलग से फीडर लगाने हेतु विपक्षीगण द्वारा जारी डिमाण्ड नोटिस की राषि परिवादी द्वारा जमा कराने के बावजूद विपक्षीगण द्वारा अलग से फीडर नहीं लगाया गया । विपक्षीगण द्वारा अपने जवाब में यह तथ्य उजागर किया गया है कि सम्बन्धित ठेकेदार की रिपोर्ट के अनुसार 70 प्रतिषत कार्य किया जा चुका है लेकिन इस सम्बन्ध में ठेकेदार की कोई रिपोर्ट पत्रावली में पेष नहीं हुई है। परिवादी द्वारा विपक्षीगण के यहां डीमांड नोटिस की राषि जमा करवाये जाने के बावजूद परिवादी को अलग से फीडर स्थापित क्यों नहीं किया गया, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण विपक्षीगण द्वारा पत्रावली में पेष नहीं किया गया है । यदि परिवादी के क्रेषर पर फीडर स्थापित किये जाने में किसी प्रकार की कोई अड़चन/बाधा आ रही थी तो विपक्षीगण बिजली विभाग को परिवादी की डिमाण्ड नोटिस की राषि जमा करने से पहले ही विचार किया जाना चाहिये था। परिवादी के क्रेषर पर अलग से फीडर नहीं देना विपक्षीगण की घोर लापरवाही का द्योतक है।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्य व परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि परिवादी के क्रेषर पर अलग से फीडर स्थापित किये जाने से सम्बन्धित कार्य एक माह के अन्दर पूर्ण कर फीडर स्थापित किया जावे अन्यथा स्थिति में परिवादी अपनी जमाषुदा राषि 5,13,223/-रूपये (अक्षरे रूपये पांच लाख तेरह हजार दो सौ तेईस मात्र) विपक्षीगण से वापिस प्राप्त करने अधिकारी है तथा उक्त राषि पर दायरी परिवाद पत्र दिनांक 20.02.2013 से ता वसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
आदेश आज दिनांक 11.08.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।