तारीख
हुक्म
हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
हजारी लाल बनाम सहायक अभियंता अ.वि.वि.नि.लि., गुढागौड़जी तहसील उदयपुरवाटी
जिला झुंझुंनू
नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
16.04.2015
परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता अधिनियम
परिवादी की ओर से वकील श्री शाहिद अली खां उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री फूलचंद सैनी उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने अपनेे नाम से विपक्षी के यहां से कृषि विधुत कनेक्षन ले रखा है, जिसका खाता संख्या 2031-2207-0505 है। इसलिए परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है।
विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी ने कृषि प्रयोजन के लिये विपक्षी के यहां बूंद बूंद फव्वारा पद्धति योजना के अंतर्गत कृषि कनेक्षन के लिए आवेदन किया व पत्रावली जमा करवाई, जिस पर परिवादी को दिनांक 27.08.2013 को विपक्षी द्वारा पत्र क्रमांक 3677 जारी कर 1,21,435/-रूपये जमा करवाने के निर्देष दिये। परिवादी ने मांग पत्र की राषि जमा करानी चाही तो विपक्षी ने इन्कार कर दिया तथा कहा कि परिवादी के विरूद्ध वी.सी.आर. संख्या 8769/16 दिनांक 29.06.2008 की बकाया राषि 30,000/-रूपये तथा वी.सी.आर. संख्या 8769/17 दिनांक 29.06.2008 की बकाया राषि 4000/-रूपये जमा नहीं करवाने के कारण मांग पत्र की राषि जमा नहीं की जा रही है। इससे पहले परिवादी के विरूद्ध एक झूंठी वी.सी.आर. संख्या 8712/11 दिनांक 21.05.2011 को भरी जाकर माह सितम्बर,2011 के बिल में जोडकर कुल 81,064/-रूपये का गलत बिल भेजा गया तथा परिवादी द्वारा इस संबंध में जिला मंच के समक्ष परिवाद पेष करने पर जब जिला मंच ने परिवादी के परिवाद पत्र का निस्तारण करते हुए विपक्षी द्वारा परिवादी के बिल में जोडी गई राषि निरस्त करदी तो विपक्षी ने फर्जी तरीके से उक्त वी.सी.आर. की राषि 40,105/-रूपये की गलत वसूली के लिए परिवादी के विरूद्ध दोनो फर्जी वी.सी.आर. भरी हैं, जो निरस्त किए जाने का निवेदन किया।
अन्त में विद्वान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार फरमाया जाकर वी.सी.आर नम्बर 8769/16 एवं 8769/17 दिनांक 29.06.2008 निरस्त किए जाने तथा जारी किए गए मांग पत्र की राषि जमा किए जाने का निवेदन किया है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी के नये कृषि कनेक्षन हेतु जारी मांग पत्र की राषि जमा नहीं होने से परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता नहीं है। परिवादी ने अपनेे जिम्में निगम की पूर्व की बकाया/वीसीआर बकाया राषि जमा नहीं करवाई इसलिए विपक्षी द्वारा मांग पत्र की राषि जमा नहीं की गई। वी.सी.आर नम्बर 8769/16 एवं 8769/17 दिनांक 29.06.2008 की बकाया राषि नोटिस के बावजूद परिवादी द्वारा जमा नहीं करवाई गई है जबकि परिवादी का प्रकरण विद्युत चोरी का पाया जाने से ही सक्षम अधिकारियों द्वारा मौके पर वी.सी.आर भरी गई है, जो राषि परिवादी द्वारा जमा कराये जाने योग्य है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी द्वारा विद्युत चोरी करने पर वी.सी.आर के मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस मंच को नहीं होना कथन करते हुए परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
परिवाद में विद्युत चोरी के आरोप से सम्बंधित विवाद प्रकट होता है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2014 (3) सीपीआर, 534 - निर्मला देवी बनाम पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड एवं अन्य के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा न्ण्च्ण् च्व्ॅम्त् ब्व्त्च्व्त्।ज्प्व्छ स्प्डप्ज्म्क् - व्त्ै टेण् ।छप्ैभ् ।भ्ड।क् - ;2013द्ध 8 ैण्ब्ण्ब्ण् 491 में दिये गये आदेष का अवलम्बन लेते हुए यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 126 एवं 135 से 140 तक सम्बन्धित प्रकरण जिला मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। उक्त न्यायिक विनिष्चयों की रोषनी में यह परिवाद विद्युत अधिनियम की उक्त धाराओं के अंतर्गत विद्युत चोरी से सम्बंधित होने के कारण इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है। चूंकि यह परिवाद इस मंच के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
अतः परिवादी का परिवाद पत्र निरस्त किए जाने योग्य होने से खारिज किया जाता है ।
आदेश आज दिनांक 16.04.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।
पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।