Rajasthan

Pratapgarh

CC/25/2014

MOHAN LAL SINDHI - Complainant(s)

Versus

AVVNL, Aen. URBAN , Sen. , STATE Aen. - Opp.Party(s)

19 Sep 2014

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच प्रतापगढ (राज.)
                   प्र.सं. 25/2014
मोहनलाल पुत्र चंचल कुमार सिंधी निवासी नई आबादी प्रतापगढ़(राज.) 
                    बनाम
            1. सहायक अभियंता(श.)अ.वि.वि.नि.लि. प्रतापगढ़
   2. अधिक्षण अभियंता अ.वि.वि.नि.लि. प्रतापगढ़
   3. राज्य अ.वि.वि.नि.लि. प्रतापगढ़ जरिये विपक्षी सं. 1

  उपस्थिति   1. श्री जगदीशचन्द्र पुरोहित एडवोकेट परिवादी से 
                   2. श्रीहरिश बाठी ़ एडवोकेट विपक्षीगण से 
                              
                     निर्णय                        दिनांक 19.09.14
परिवादी से दिनांक 20.02.14 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत यह परिवाद पेश हुआ कि उसने विपक्षी से स्वरोेजगार हेतु अपनी दुकान पर  विद्युत कनेक्शन वर्तमान खाता संख्या 1703-0465 लिया, के विपक्षी जारी बिलो को जमा कराया , उसने विपक्षी संख्या 1 को सित. 2009 मे आवेदन प्रस्तुत कर विद्युत कनेक्शन का उपभोग नही होने से विच्छेद कर देने का निवेदन किया फिर 20.07.10 को दुसरा आवेदन दिया इस पर विपक्षी संख्या 1 ने अपने अधिनस्थ लच्छीराम मीटर रीडर से जांच कराई जिसने जांच में “उवनेम दुकान खाली“ का अंकन किया उसने फिर विपक्षी संख्या 1 को 02.02.2012 को आवेदन प्रस्तुत कर कनेक्शन विच्छेद करने का निवेदन किया फिर 29.05.12 को आवेदन किया व फिर जमा कराई धरोहर राशि 4475/- की मांग की । विपक्षी ने नवं. 2009 से नवं. 2011 तक बिल भेजकर 4886/- वसूल लिये को वह प्रार्थी प्राप्त करने का अधिकारी है। विपक्षी ने नवं. 13 का 3861/- का बिल भेजा जो विपक्षी प्राप्त करने का अधिकारी नही है। अतः नव.ं 09 से नवं. 2011 तक बिल भेजकर वसूली राशि 4886/- मय ब्याज वापस दिलाई जावें, धरोहर राशि 4475/- मय ब्याज वापस दिलाई जावें नव.ं 2013 के बिल को निरस्त किया जावे, मानसिक संताप की क्षति के 30000/- एवं अन्य अनुतोष दिलाया जावे ।
    विपक्षीगण से पेश जवाब मे लिखा गया सितम्बर 09 मे कोई आवेदन परिवादी ने नही दिया 20.07.10 को आवेदन देने की बात भी गलत है, शेष तथ्य भी इस संबंध मे के मनगढंत व बनावटी है। जवाब मे लिखा है नवं. 09 से नवं. 11 की वसूली का परिवाद मियाद बाहर का है। जवाब मे लिखा है धरोहर राशि हेतु नियमानुसार फार्म जमा कराना पड़ता है, फार्म जमा होने पर कार्यवाही की जावेगी। जवाब मे लिखा है 3861/- (नवं. 13 के बिल की) राशि मई 2012 से बकाया चल रही है साथ ही जवाब मे मे लिखा है परिवादी बकाया राशि जमा करावे तो धरोहर राशि दी जावेगी।
    परिवादी से नवं. 09 से मार्च 12, सित. 13 व नवं. 13 के बिलो की प्रतियां पेश की गई है। 
    बहस उभय पक्ष सुनी गयी। परिवाद पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
    बहस में विद्वान वकील परिवादी की ओर से परिवाद मे के कथनो की पुनरावृत्ति करते हुए परिवाद को स्वीकार किये जाने का निवेदन किया गया व कनेक्शन काटने के लिए दिये गये अपने 20.07.10 के आवेदन की प्रति पेश की गई । बहस में विद्वान वकील विपक्षीगण  से जवाब मे के कथनो की पुनरावृत्ति करते हुए एवं आवेदन की प्रति आज पेश करने से स्वीकार नही किये जाने का  कथन करते हुए परिवाद के परिवाद को निरस्त किये जाने का निवेदन किया गया।
    परिवादी की ओर से अपने दुकान पर के विद्युत कनेक्शन खाता संख्या 1703-0465 को काटने का निवेदन करते हुए पत्र 20.07.10 को दिये जाने का जो कथन किया जा रहा है उसे विपक्षीगण की ओर से नकारा जा रहा है “................अभियोगी द्वारा 20.07.10 को आवेदन देने की बात गलत है..............“ जबकी परिवादी की ओर से इसकी प्रति पेश की गई है जिससे परिवादी के कथन की पुष्टि होती है और विपक्षी के जवाब मे का कथन गलत प्रमाणित हो जाता है विपक्षी विपक्षी विभाग द्वारा ऐसे गलत करने की आशा भी नही की जा सकती, विपक्षी के ऐसे गलत कथन करने के आधार मात्र से ही परिवादी का परिवाद स्वीकार करने योग्य हो जाता है।
    यह सही है परिवादी की ओर से 20.07.10 के आवेदन की प्रति दौराने बहस पेश की गई है जिस पर विपक्षीगण से आपत्ति की गई है, मगर पेश आवेदन की प्रति का परिवादी की ओर से परिवाद मे उल्लेख किया गया है एवं परिवाद मे लिखा गया है उसके इस आवेदन पर विपक्षी की ओर से अपने अधिनस्थ लच्छीराम से जांच कराई गई जिसके पश्चात रिपोर्ट की गई मे दवनेम दुकान खाली का अंकन किया गया इसका भी समर्थन पेश आवेदन की प्रति से होता है लच्छीराम विपक्षी का अधिनस्थ नही होने के संबंध मे कोई कथन नही है ऐसे मे इस आवेदन की प्रति को अस्वीकार किये जाने का कोई आधार नही रहता ।
    इस प्रकार परिवादी की ओर से अपने विद्युत कनेक्शन को काटने के लिए 20.07.10 को आवेदन देने के पश्चात भी विपक्षी विभाग द्वारा परिवादी के कनेक्शन को न काटना व परिवादी को बिल भेजना विपक्षी के सेवा दोष को प्रमाणित करता है ऐसे मे 20.07़.10 के पश्चात के भेजे गये वसूल किये गये व बकाया रहे बिलो की राशि विपक्षीगण प्राप्त करने के अधिकारी नही रहते।
    परिवादी से अपने विद्युत कनेक्शन को काटने के आवेदन देने के पश्चात जमा धरोहर राशि की मांग की गई है जिसे दिलाये जाने का भी निवेदन किया गया है। इस संबंध मे विपक्षीगण का कथन है की इसके लिए नियमानुसार फार्म जमा कराना पड़ता है तो ऐसे किसी निर्धारित फार्म के तय किये होने का कही कोई उल्लेख नही है न कथन है और यदि विपक्षी विभाग की ओर से इसके लिए कोई फार्म निर्धारित किया हुआ है तो भी ऐसा निर्धारित फार्म(प्रफोर्मा) विपक्षी विभाग द्वारा ही उपभोक्ता परिवादी को उपलब्ध कराना होता है इस प्रकार विपक्षी विभाग द्वारा परिवादी के कनेक्शन काटने के आवेदन  के पश्चात कनेक्शन नही काटना व फिर बिल जारी कर राशि वसूलना तथा जमा धरोहर राशि नही लौटाना सेवा दोष ही रहता है ऐसे मे उपभोक्ता /परिवादी को मानसिक संताप होना भी प्रमाणित होता है ।
    परिणामस्वरूप विपक्षीगण को आदेश किया जाता है परिवादी कि दुकान पर के विद्युत कनेक्शन खाता संख्या 1703-0465 को परिवादी द्वारा काटने के लिए दिये आवेदन 20.07.10 के पश्चात जारी व वसूले गये बिलो अर्थात सित 10, नवं.10, जनवरी 11, सितं. 11, व नवं. 11 की राशियां परिवादी को छः सप्ताह मे लौटायी जावें। परिवादी के इस खाता के विद्युत कनेक्शन के लिए विपक्षीगण से जारी बिल जन. 12 से जो बकाया बताये जा रहे है जिनकी नवं. 13  राशि 3861/- बताई जा रही है को निरस्त किया जाता है ।
    विपक्षीगण को आदेश किया जाता है परिवादी कि उक्त विद्युत कनेक्शन की जमा धरोहर राशि परिवादी को छः सप्ताह मे लौटायी जावें परिवादी, विपक्षीगण के चाहने पर असल रसीद पेश करेगा। 
    विपक्षीगण को यह भी आदेश किया जाता है परिवादी को मानसिक संताप व परिवाद व्यय के एक मुश्त 5000/- छः सप्ताह मे अदा करें। 
    बिलो की राशियां व धरोहर राशि उक्त आदेशित अवधि मे नही लौटाये जाने पर परिवादी इन राशियो पर परिवाद पेश करने की दिनांक से ता. अदायगी 9 वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
    र्निएाय लिखा जाकर सुनाया।
    

 

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