SHAMBHU LALMEGHWAL filed a consumer case on 10 Feb 2016 against AVVNL, AEN RURAL SEN STATE AEN RURAL in the Pratapgarh Consumer Court. The case no is cc/26/2010 and the judgment uploaded on 16 Feb 2016.
सरकार बनाम सत्यनारायण सोनी
पीठासीन अधिकारी:- श्रीकन्हैयालाल जोगी, अध्यक्ष
श्रीनिखिल चैबिसा, सदस्य
दिनांक:-08.02.2016
इस प्रकरण में इस मंच के प्रकरण संख्या 26/2010 में पारित अंतिम आदेष मे विपक्षी सत्यनारायण सोनी सहायक अंभियता छोटीसादडी के विरुद्ध झूठा षपथ पत्र पेष करने इस संबंध मे भारतीय दण्ड सहिता की धारा 193 की कार्यवाही प्रस्तावित की गई थी जिस के लिये प्रारम्भिक जांच हेतु दिनांक 23.11.2011 को नोटिस जारी किया गया था जिसके संबंध में विपक्षी सोनी द्वारा जवाब पेष किया जिसमें अंकित किया की पूर्व परिवाद मे विपक्षी को जवाब पेष हेतु विभाग द्वरा नियुक्त किया गया विभाग के रेकार्ड के अनुसार परिवाद का जवाब प्रस्तुत किया था एवं रेकार्ड के मुताबिक कनेक्षन चालु इसलिये जवाब में कनेक्षन चालु बाबत् कथन अंकित कर दिया परन्तु ठेकेदार द्वारा लाईन सुधार कार्य चल रहा था तो उसने खम्भे पर तार नहीं लगाने के चककर मेे लाईन उतार दी इस वजह से परिवादी का कनेक्षन बंद था परिवाद के जवाब मे जानबुझकर गलत तथ्य अंकित नही किये है जो गलती सवहन से हुई है वह सद्भाविक है परिवादी लाईन के तार ठेकेदार द्वारा हटा दी गई, उसे पुन सही तरिके से नही लगाई इसकी सुचना परिवादी ने विभाग को नही दी ओर अंत मे कार्यवाही को निरस्त करने का निवेदन किया। जवाब के साथ विभागीय रेकार्ड की प्रति प्रस्तुत की।
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 195 में लोक न्याय के विरुद्ध अपराधों के लिये और साक्ष्य में दिये गये अपराधों के लिए, लोक सेवकों के विधि पूर्ण अधिकार के अवमान के लिए अभियोजन की कार्यवाही बाबत् प्रावधान है इसकी उपधारा ख 1 में प्च्ब् की धारा 193 से 196 तक एवं 199 से 200 और 205 से 211 एवं धारा 228 में वर्णित अपराध जब ऐसे अपराध के बारे में यह अभिकथित है कि वह किसी न्यायालय में की गई कार्यवाही या उसके संबंध में किया गया है का सज्ञान ऐसे न्यायालय के/ न्यायालय के अधिकारी द्वारा जिसे न्यायालय ने लिखित में प्राधिकृत किया है या किसी अन्य न्यायालय के जिसके वह अधिनस्त है, लिखित परिवाद पर ही करेगा। उक्त खण्ड ख के प्रयोजन में न्यायालय षब्दों सिविल, राजस्व या दण्ड न्यायालय अभिप्रेत हैं।इसके अन्तर्गत अधिकरण को भी षामिल किया गया हैं।
धारा 340 ब्त्च्ब् के तहत् उपरोक्त अपराधों के संबंध में प्रक्रिया के अनुसार न्यायालय की कार्यवाही में पेष की गई साक्ष्य में दी गई दस्तावेज के बाबत् अपराध है प्रारंभिक जांच की जानी अपेक्षित हैं
विपक्षी द्वारा प्रकरण सं. 26/2010 में जवाब प्रस्तुत किया था जिसके पेरा नं. 06 में उपभोक्ता का कनेक्षन चालु होने का तथ्य अंकित किया था जिसके प्रमाणिकरण में ही स्वयं का षपथ पत्र दिनांक 10.01.2011 पेष किया था। दिनांक 20.05.2011 को मोके की स्थिति कमीष्नर द्वारा देखी गई थी जिसमें अंकित किया कि विद्युत कनेक्षन नहीं लगा हुआ हैं। इन दोनों दस्तावेजात में अंकित तिथियों के मध्य करीब 04 माह का अन्तराल है, एवं उक्त जवाब परिवाद में अंकित अवधी के संदर्भ में दिया गया जो पूर्व की तिथी का था। जिसने मौके की स्थिति में लम्बी अवधी में परिवर्तन होना संभाव्य हैं। विपक्षी ने अपने कार्यालय का जो अभिलेख पेष किया है उसके अनुसार उपभोक्ता का विद्युत संबंध चालु था। उक्त दस्तावेजात के बाबत् भी षपथ पत्र प्रस्तुत किया था चुकि विपक्षी के अधीन कार्यक्षैत्र के अनुसार बहुत सारे कर्मचारी कार्यरत है जिनका कार्यक्षैत्र बटां हुआ हैं। उनके द्वारा बताये गये तथ्यों के आधार पर कार्यालय रेकार्ड संधारित किया जाता हैं। उपरोक्त परिपेक्ष्य हमारे विनम्र मत में विपक्षी ने अपने कार्यालय रेकार्ड के अनुसार जवाब एवं षपथ पत्र प्रस्तुत किये थे विपक्षी का यह कृत्य दुरभावना/दुराषयपूर्ण नहीं माना जा सकता है जब विपक्षी अपने सामान्य कर्तव्य में कोई जवाब या षपथ पत्र प्रस्तुत करता है तो वह पदिय हेसियत में कार्यालय अभिलेखों के अनुसार निर्मित करवाता हैं।
अतः निश्कर्श रुप में हमारे विनम्र मत में प्रथम द्रश्टया विपक्षी का कोई आपराधिक आषय प्रकट नहीं होता हैं। विपक्षी सत्यनारायण सोनी सहायक अभियन्ता के विरुद्ध कार्यवाही ड्राॅप की जाती हैं।
पत्रावली में कोई कार्यवाही षेश नहीं रहती अतः नियमानुसार दाखिल दफ्तर हों।
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