राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-579/2022
(जिला उपभोक्ता आयोग, वाराणसी द्धारा परिवाद सं0-163/2019 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.02.2022 के विरूद्ध)
हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड द्वारा ऑथराइज्ड सिग्नेचरी, दि ग्रैंड प्लाजा, प्लॉट नं0-2, नेल्सन मंडेला मार्ग, वसंत कुंज, फेज-II नई दिल्ली-110070
........... अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1
बनाम
1- अवनीश कुमार वर्मा पुत्र श्री शिव प्रकाश वर्मा, निवासी मकान नं0-26/42ए-2, जे0 अशोकपुरम कालोनी, मीरापुर बसही, वाराणसी।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी
2- यू0एस0 अग्रवाल एण्ड कम्पनी डी 64/152 माधोपुर सिगरा, वाराणसी द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर।
3- जे0पी0 आटो मोबाइल, सिन्धोरा बाजार, वाराणसी द्वारा प्रोपराइटर।
…….. प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता :- श्री प्रशांत कुमार
प्रत्यर्थी की ओर से :- श्री अवनीश कुमार वर्मा, व्यक्तिगत रूप से उपस्थित
दिनांक :- 15.12.2022
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/ हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, वाराणसी द्वारा परिवाद सं0-163/2019 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.02.2022 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 17.10.2017 को प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-2 द्वारा नियुक्त सब डीलर प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-3 जे0पी0 आटो मोबाइल सिन्धोरा बाजार, वाराणसी के प्रतिष्ठान से Maestro Edge Scooter मु0 61,000.00 रू0 में क्रय किया गया एवं अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा
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उक्त स्कूटर का निर्माण किया गया है तथा उपरोक्त वाहन के इंजन निर्माण में दोष होने के कारण प्रत्यर्थी/परिवादी वाहन का प्रयोग करने में असमर्थ हो गया एवं प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-3 बार-बार स्कूटर को प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-2 के यहॉ स्कूटर की खराबी दूर करने के लिए भेजता रहा, किन्तु स्कूटर में यांत्रिक त्रुटि होने के कारण प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-2 के यहॉ दुरूस्त नहीं किया जा सका। प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-3 को स्कूटर वापस कर दिया और दूसरा स्कूटर देने अथवा मु0-61,000.00 रू0 वापस करने के लिए अनुरोध किया तो प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-3 ने दिनांक 13.7.2018 को प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-2 को यह रिपोर्ट प्रेषित करते हुए कि इस स्कूटर के इंजन में बार-बार खराबी होती है, इसको यू0एस0 अग्रवाल कम्पनी में तीन-चार बार इंजन बन चुका है, फिर भी यह सही नहीं हुआ एवं इसमें निर्माणीय त्रुटि है इसलिए नहीं बन पा रहा है। प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-3 ने स्कूटी को प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-2 के पास भेज दिया एवं विपक्षीगण ने न तो प्रत्यर्थी/परिवादी को दूसरा नया वाहन दिया और न ही प्रत्यर्थी/परिवादी को क्रय मूल्य का भुगतान किया। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा विपक्षीगण को इस संबंध में विधिक नोटिस दिया गया जिसका विपक्षीगण द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया, अत्एव विपक्षीगण की सेवा में कमी के दृष्टिगत प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद प्रस्तुत किया गया।
विपक्षीगण जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख उपस्थित नहीं हुए अत्एव जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गई।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने प्रत्यर्थी/परिवादी के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विचार करने के उपरांत परिवाद को एक पक्षीय रूप से अंशत: स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
"प्रस्तुत परिवाद एक पक्षीय रूप से अंशत: स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को संयुक्तत: एवं पृथक्तत: आदेशित किया जाता है कि वे इस आदेश की तिथि से
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30 (तीस दिन) के अन्दर परिवादी को प्रश्नगत वाहन का क्रय मूल्य मु0-61,000.00 (इकसठ हजार रूपये) मय 07 प्रतिशत(सात प्रतिशत) वार्षिक दर से ब्याज परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अंतिम रूप से भुगतान की तिथि तक अदा करें। साथ ही साथ परिवादी विपक्षीगण से वाद व्यय के रूप में मु0-3,000.00 (तीन हजार रूपये) वाद व्यय भी पाने का अधिकारी होगा।"
जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/ हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड द्वारा प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री प्रशांत कुमार एवं प्रत्यर्थी/परिवादी श्री अवनीश कुमार वर्मा जो कि व्यक्तिगत रूप से उपस्थित है, के तर्कों को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसके द्वारा प्रश्नगत स्कूटर को खरीदने के बाद इंजन में त्रुटि होने के कारण बार-बार उसे सर्विस सेंटर ले जाया गया, क्योंकि इंजन में त्रुटि थी इसलिए यह स्कूटर स्वीकृत रूप से यू0एस0 अग्रवाल एण्ड कम्पनी जो कि अपीलार्थी हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड के डीलर हैं, उनकी कम्पनी में तीन-चार बार बनाया गया, फिर भी सही नहीं हुआ, क्योंकि इसमें निर्माणाधीन त्रुटि थी। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा बताया गया कि यह स्कूटर वर्तमान में यू0एस0 अग्रवाल एण्ड कम्पनी में खड़ा हुआ है।
अपीलार्थी हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये जॉब कार्ड में किसी विशिष्ट खराबी होने का कोई वर्णन नहीं आया है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि कौन सी विशिष्ट त्रुटि इस स्कूटर में पाई गई है, न ही इससे सम्बन्ध में कोई विशेषज्ञ की राय अथवा आख्या प्रस्तुत की गई है अत: निर्माण सम्बन्धी त्रुटि होने के आधार पर अपीलार्थी हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड निर्माणकर्ता का उत्तरदायित्व स्कूटर के सम्बन्ध में नहीं माना जा सकता है। प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से जे0पी0 आटो मोबाइल जो यू0एस0
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अग्रवाल एण्ड कम्पनी के सब डीलर हैं, की ओर से प्रस्तुत किये गये इनवाइस की प्रतिलिपि प्रस्तुत की गई, जिसमें यह अंकित है कि, ''यह गाड़ी अवनीष वर्मा के नाम से है जिसक नम्बर-यू0पी0 65 सीडब्लू9076 Maestro Edge Scooty J.P. Automobiles से खरीदे है इस स्कूटी में इंजन में बार-बार खराबी होती रहती इसको यू0एस0 अग्रवाल कं0 में 3-4 बार इंजन बन चुका है फिर भी सही नहीं हुआ। इसमें निर्माण त्रुटि है इसलिए नहीं बन पा रहा है। कृपया समस्या का समाधान करें।''
उपरोक्त लिखत से यह स्पष्ट नहीं होता है कि यह इंद्राज किस व्यक्ति द्वारा किया गया है स्वयं प्रत्यर्थी/परिवाद की ओर से किया गया इंद्राज है व जे0पी0 मोटर्स के किसी कर्मचारी अथवा मैकेनिक द्वारा यह इंद्राज किया गया है। इस प्रपत्र एवं प्रत्यर्थी/परिवादी के सशपथ कथन से यह स्पष्ट हो जाता है कि यह स्कूटर बार-बार खराब हुआ और अंतत: यू0एस0 अग्रवाल एण्ड कम्पनी के वर्कशॉप पर खडी कर दी गई, जिसे डीलर के रूप में यू0एस0 अग्रवाल एण्ड कम्पनी तथा जे0पी0 आटो मोबाइल सुधार नहीं सके। अत: डीलर यू0एस0 अग्रवाल एण्ड कम्पनी तथा सब डीलर जे0पी0 आटो मोबाइल के उत्तरदायित्व से इंकार नहीं किया जा सकता कि उनके द्वारा वारण्टी अवधि में स्कूटी में सुधार नहीं किया गया, दूसरी ओर विशिष्ट रूप से प्रत्यर्थी/परिवादी किसी विशिष्ट तकनीकी एवं निर्माण सम्बन्धी त्रुटि को साबित करने में असफल रहा है, इसलिए निर्माणकर्ता/अपीलार्थी हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड का उत्तरदायित्व इस सम्बन्ध में नहीं माना जा सकता है। अत: अपीलार्थी हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड की अपील स्वीकार किये जाने योग्य है एवं उनको प्रश्नगत निर्णय में पारित आदेश से उन्मोचित किया जाना उचित है। अब प्रत्यर्थी/परिवादी के शेष प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-2 एवं 3 यू0एस0 अग्रवाल एण्ड कम्पनी तथा जे0पी0 आटो मोबाइल के विरूद्ध निर्णय पूर्ववत बना रहेगा एवं प्रत्यर्थी/परिवादी उनके विरूद्ध प्रश्नगत निर्णय के
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निष्पादन के लिए स्वतंत्र है। तद्नुसार अपील अपीलार्थी को उन्मोचित करते हुए स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थी हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड की ओर से प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, वाराणसी द्वारा परिवाद सं0-163/2019 में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांकित 23.02.2022 मेंे अपीलार्थी हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड को उन्मोचित किया जाता है, शेष विपक्षीगण के विरूद्ध प्रश्नगत निर्णय/आदेश संयुक्तत: एवं पृथक्तत: पूर्ववत कायम रहेगा।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं बहन करेंगे।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज अपीलार्थी को नियमानुसार एक माह की अवधि में वापस की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट नं0-1