Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/1590

Amit Sharma - Complainant(s)

Versus

Aviva Life Insurance - Opp.Party(s)

R.K. Mishra

20 Jul 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/1590
( Date of Filing : 16 Jul 2013 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Amit Sharma
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Aviva Life Insurance
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vijai Varma PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 20 Jul 2018
Final Order / Judgement

मौखिक

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या :1590/2013

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, द्धितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या-464/2009 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 23-02-2011 के विरूद्ध)

 

अमित शर्मा निवासी मकान नम्‍बर-538 क/114अ, त्रिवेणी नगर-1, सीतापुर रोड, लखनऊ।                                        .......अपीलार्थी/परिवादी

बनाम्

  1. अवीवा लाईफ इंश्‍योरेंस द्वारा प्रबन्‍ध निदेशक, कार्यालय-पंचम तल (फिप्‍थ फ्लोर) जे0एम0डी0, रीजेंट स्‍क्‍वैयर, गुडगॉंव महरौली रोड, गुडगॉंव (हरियाणा)।
  2. अवीवा लाइफ इंश्‍योरेंस द्वारा शाखा प्रबन्‍धक, शाखा कार्यालय-प्रथम तल, जीत पैलेस, 6-ए, सप्रू मार्ग, लखनऊ उ0प्र0।
  3.  

 

अपीलार्थी  की ओर से उपस्थित-          श्री आर0 के0 मिश्रा।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-            श्री अंग्रेज नाथ शुक्‍ला।

समक्ष  :-

  1. मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता,              पीठासीन सदस्‍य।
  2. मा0 श्री महेश चन्‍द,                    सदस्‍य

दिनांक :  22-11-2018

मा0 श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित निर्णय

परिवाद संख्‍या-464/2009 अमित शर्मा बनाम् अबीबा लाईफ इंश्‍यारेंस में जिला उपभोक्‍ता फोरम, द्धितीय, लखनऊ द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय एवं आदेश दिनां‍क 23-02-2011 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्‍तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

2

इस प्रकरण में विवाद के संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि  परिवादी ने दिनांक 20-05-2005 को अवीवा लाइफ इंश्‍योरेंस का एक उत्‍पाद यूनिट लिंक्‍ड प्‍लान खरीदने के लिए प्रस्‍ताव दिया जिसके अन्‍तर्गत बीमित राशि रू0 1,90,000/- व सालाना प्र‍ीमियम रू0 10,000/-था।  परिवादी ने प्रस्‍ताव पत्र के साथ रू0 10,000/- प्रथम प्रीमियम हेतु इलाहाबाद बैंक का एक चेक विपक्षी को दिया जो कि विपक्षी द्वारा स्‍वीकार कर लिया गया। विपक्षी द्वारा प्रथम प्रीमियम की रसीद दिनांक 30-05-2005 को जारी की गयी थी। दिनांक 02-07-2005 को विपक्षी द्वारा परिवादी के पक्ष में पालिसी बाण्‍ड जारी किया गया। परिवादी द्वारा द्धितीय प्रीमियम की धनराशि भी चेक के माध्‍यम से दिनांक 24-08-2006 को दी गयी। जब परिवादी तीसरे वर्ष का प्रीमियम विपक्षी के यहॉं जमा करने गया तो विपक्षी द्वारा बताया गया कि उसकी पालिसी समाप्‍त कर दी गयी है। जब परिवादी द्वारा विपक्षी से पालिसी समाप्‍त होने का कारण पूछा तो बताया गया कि उसकी बीमित राशि (सम एश्‍योर्ड) अधिक होने के कारण पालिसी रू0 2,00,000/- कर दी गयी है और उसका प्रीमियम भी रू0 10,000/- से अधिक है और परिवादी द्वारा रू0 10,000/- जो प्रीमियम दिया गया है वह कम है इसलिए उसकी पासिली समाप्‍त कर दी गयी है।   परिवादी द्वारा विपक्षी से कहा गया कि उससे बिना अनुमति लिये बीमित राशि बढ़ाई गयी है जो कि विपक्षी के स्‍तर पर सेवा में कमी है इसलिए परिवादी ने परिवाद संख्‍या-464/2009 जिला फोरम, द्धितीय, लखनऊ के समक्ष योजित करते हुए निवेदन किया है कि उसे विपक्षी से मानसिक एवं आर्थिक कष्‍ट की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 2,00,000/- दिलाया जाए तथा परिवादी को विपक्षी से प्रीमियम की राशि को मय 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दिलाया जाए। इसके अतिरिक्‍त परिवादीको विपक्षी से अन्‍य अनुतोष जो फोरम उचित समझे दिलाया जाए।‘’

परिवाद की सुनवाई के समय परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। विपक्षीगण की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री विकास अग्रवाल उपस्थित हुए।

जिला फोरम ने परिवादी की अनुपस्थित में परिवाद खारिज कर दिया।

उपरोक्‍त आक्षेपित आदेश से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री आर0 के0 मिश्रा उपस्थित हुए। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री अंग्रेज नाथ शुक्‍ला उपस्थित हुए।

3

पीठ द्वारा उभयपक्षों के विद्धान अधिवक्‍ताओं के तर्कों को सुना गया तथा आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

समस्‍त तथ्‍यों पर सम्‍यक विचारोपरान्‍त यह पीठ इस मत की है कि विद्धान जिला फोरम ने आदेश दिनांक 23-02-2011 के द्वारा परिवादी का परिवाद उसकी अनुपस्थिति में खारिज कर दिया। तब परिवादी द्वारा एक पुर्नस्‍थापन प्रार्थना पत्र परिवाद की पुन: सुनवाई हेतु दिया गया जिस पर जिला फोरम ने दिनांक 14-09-2011 के द्वारा परिवादी के अनुपस्थिति एवं पैरवी न किये जाने के कारण परिवादी का परिवाद खारिज कर दिया। परिवादी द्वारा पुन: पुर्नस्‍थापन प्रार्थना पत्र जिला फोरम के समक्ष परिवाद की पुन: सुनवाई हेतु दिया गया और जिस पर जिला फोरम ने आदेश दिनांक 04-03-2013 के द्वारा परिवादी का पुर्नस्‍थापन प्रार्थना पत्र विधि सम्‍मत नहीं होने के आधार पर खारिज कर दिया।

पत्रावली के अवलोकन करने से यह विदित होता है कि परिवादी द्वारा आदेश दिनांक 23-02-2011 को उसकी अनुपस्थिति में परिवाद खारिज होने के बाद अनावश्‍यक रूप से यह जानते हुए कि जिला फोरम को अपने आदेश को रिकाल/पुर्नस्‍थापित करने का अधिकार प्राप्‍त नहीं है, पुर्नस्‍थापन प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया जिसे जिला फोरम ने खारिज कर दिया तो दोबारा परिवादी द्वारा पुर्नस्‍थापन प्रार्थना पत्र दिये जाने का कोई औचित्‍य ही नहीं
था जबकि परिवादी को चाहिए था कि वह अपीलीय कोर्ट/राज्‍य आयोग के समक्ष प्रकरण को प्रस्‍तुत करता किन्‍तु उसके द्वारा ऐसा न करके पुर्नस्‍थापन प्रार्थना पत्र जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया जिसका कोई औचित्‍य नहीं था।

पत्रावली के अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट है कि परिवादी के विद्धान अधिवक्‍ता ने परिवादी को सही समय पर सही राय नहीं दी। तत्‍समय जिला फोरम द्वारा पारित आदेश दिनांक 23-02-2011 के विरूद्ध राज्‍य आयोग के समक्ष अपील दायर की जानी चाहिए थी। पुर्नस्‍थापन का प्रार्थना पत्र भी आदेश दिनांक 14-09-2011 द्वारा परिवादी की अनुपस्थिति में एकपक्षीय रूप से खारिज किया गया था। पुर्नस्‍थापना का द्धितीय प्रार्थना पत्र भी पोषणीय न होने के कारण आदेश दिनांक 04-03-2013 द्वारा खारिज हुआ।

चूंकि प्रश्‍नगत प्रकरण में गुणदोष के आधार पर निस्‍तारण हेतु पर्याप्‍त आधार है अत: न्‍यायहित में यह उचित है कि यह प्रकरण गुणदोष के आधार पर

 

4

निस्‍तारण हेतु जिला फोरम को प्रति प्रेषित किया जाए। अत: अपीलार्थी की अपील स्‍वीकार करने योग्‍य है।

आदेश

अपीलार्थी की अपील स्‍वीकार की जाती है। प्रश्‍नगत आदेश दिनांक 23-02-2011, आदेश दिनांक 04-09-2011 तथा 04-03-2013 निरस्‍त किया जाता है और प्रकरण को विद्धान जिला फोरम, महराजगंज को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि वह पक्षकारों को पुन: साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करने तथा सुनवाई का अवसर देने के उपरान्‍त गुणदोष के आधार पर प्रकरण का निस्‍तारण करें। उभयपक्ष विद्धान जिला फोरम के समक्ष दिनांक 07-01-2019 को उपस्थित हों।

उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

इस निर्णय एवं आदेश की प्रति उभयपक्षों को नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाए।

 

(राज कमल गुप्‍ता)                                   (महेश चन्‍द)

 पीठासीन सदस्‍य                                       सदस्‍य

 

कोर्ट नं0-3 प्रदीप मिश्रा, आशु0

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Vijai Varma]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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