जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, झुन्झुनू (राज0)
परिवाद संख्या - 239/14
अध्यक्ष - महेन्द्र शर्मा
सदस्य - शिवकुमार शर्मा
अनिता पत्नी राकेश जाति जाट निवासी फ्रांस का बास, तहसील व जिला झुन्झुनूं (राज0)
- प्रार्थी/परिवादिया
बनाम
1. डायरेक्टर AVIVA Life Insurance Company Ltd. हैड आॅफिस AVIVA Tower, Sctor Road,गोल्फ कोर्स के सामने, डी0एल0एफ0 फेज वी0 सेक्टर 43, गुडगांव (हरियाणा) 122003
2. सुनिल कुमार शाखा कार्यालय इण्डसलैण्ड बैंक झुन्झुनू।
- अप्रार्थी/विपक्षीगण
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री संदीप सैनी, एडवोकेट - प्रार्थी/परिवादिया की ओर से।
2. श्री फुलचन्द सैनी, एडवोकेट - अप्रार्थी नं. 1 की ओर से।
- निर्णय - दिनांक 15.11.2018
प्रार्थीया/परिवादिया की ओर से दिनांक 07.04.2014 को प्रस्तुत परिवाद अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, (जिसे इस निर्णय में आगे अधिनियम कहा जावेगा) के संक्षिप्त तथ्य इस प्रकार है कि अप्रार्थी सं. 1 ने अपने एजेन्ट के माध्यम से दिनांक 30.11.2009 को परिवाद के चरण सं. 1 में वर्णित बीमा किया था जिसकी वार्षिक किश्तें 12,000/रुपये थी तथा प्रार्थीया द्वारा 3 किश्तें जमा करवाई गई थी बीमा करते समय प्रार्थीया को यह आश्वासन दिया गया था कि यदि वह लम्बे समय तक बीमा पाॅलिसी चालू नही रखना चाहती है तो भी आवश्यक रुप से मात्र 3 किश्तें जमा करानी होगी व उक्त तीनो किश्ते हितलाभ सहित रिटर्न कर दी जायेगीं। अप्रार्थी ने दिनांक 07.01.2013 को प्रार्थीया को 12000/रुपये का चैक दिया लेकिन शेष 24,000/रुपये व हितलाभ का भुगतान नही किया है जिसके लिए यह परिवाद पेश कर मानसिक संताप व परिवाद व्यय पेटे 40,000/रुपये अतिरिक्त दिलवाये जाने की प्रार्थना की गई है।
2 अप्रार्थी नं. 1 की ओर से प्रस्तुत जवाब में, यह प्रारम्भिक आपत्ति ली गई है कि प्रार्थीया ने वर्ष 2009 में बीमा पाॅलिसी लेने के बावजूद दो वर्ष से अधिक समय व्यतीत होने के बाद अवधि से परे यह परिवाद पेश किया है। प्रार्थीया का यह परिवाद उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम के अन्तर्गत नही आता है। प्रार्थीया ने बीमा प्रस्ताव में स्वंय का स्नातकोत्तर व स्वःनियोजित होना बतलाया था पाॅलिसी के साथ भेजे गये दस्तावेजों मे अगे्रषण पत्र में यह स्पष्टतया अंकित किया गया था कि यदि बीमाधारी नियमो व शर्तो से संतुष्ट न हो तो 15 दिन में पाॅलिसी वापिस भेज सकता है लेकिन प्रार्थीया ने उपरोक्त फ्री लुक अवधि में कोई जवाब अथवा शिकायत नही भेजी थी मौजुदा मामले में प्रार्थीया द्वारा विनिवेशित राशि एक किश्त वैल्यू से कम होने के कारण समर्पित की है मदवार जवाब में यह अंकित किया गया है कि बीमा पाॅलिसी की शर्तो के अनुसार प्रिमीयम 20 वर्ष तक जमा करवाना था प्रार्थीया को बीमा पाॅलिसी कराते समय कोई मौखिक आश्वासन नही दिया गया था बल्कि प्रार्थीया ने बीमा प्रस्ताव में अंकित यह तथ्य पढ व समझकर अपने हस्ताक्षर किये है कि उसने बीमा सम्बन्धी सभी बातें समझ ली है और वह बीमा कराने के लिए तैयार है। परिवादिया द्वारा 3 किश्तें जमा कराई थी प्रार्थीया की पाॅलिसी फोर क्लोज होने से टर्मीनेट हो चुकी है और इसी कारण उसे एक प्रिमीयम की राशि लौटाई गई है प्रार्थीया को भेजे गये चैक की राशि उसने प्राप्त कर ली थी जिसके बाद पक्षकारान के बीच सम्बन्ध समाप्त हो चुके है। प्रार्थीया का परिवाद खारिज करने की प्रार्थना की गई है।
प्रार्थीया की ओर से विधिक नोटिस व मुल बोन्ड की प्रति पेश की गई है जबकि अप्रार्थी की ओर से लिखित बहस के साथ प्रपोजल फार्म, बेनिफिट इलस्टेªशन, पाॅलिसी की नियम व शर्ते एंव रतनेश केसरी सीनीयर मैनेजर का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रार्थीया की ओर से अप्रार्थी सं. 2 के रुप में सुनिल कुमार, शाखा कार्यालय इन्डसलैण्ड बैंक झुन्झुनू को पक्षकार बनाया गया था जिसे दिनांक 03.07.2014 को भेजे गये नोटिस पर इस आशय की रिपोर्ट प्राप्त हुई थी कि उसे बैंक से रिलिव हुए 3 साल से अधिक समय हो चुका है उसका नया पता पेश कर तामिल कराने हेतु प्रार्थीया को कई अवसर दिये गये परन्तु दिनांक 14.11.2018 तक उसकी तामिल का कोई प्रयास प्रार्थीया की ओर से नही किया गया है और न ही उसका अप्रार्थी सं. 1 से क्या सरोकार था इसका कोई विवरण परिवाद में दिया गया है। अतः अप्रार्थी सं. 2 का नाम वाद शीर्षक से डिलीट करने का आदेश दिया जाता है।
3 उपस्थित पक्षकारो को सुना गया एंव पत्रावली का परिशीलन किया गया।
4 प्रार्थी द्वारा परिवाद के चरण सं. 1 में वर्णित बीमा पाॅलिसी अप्रार्थी नं. 1 के कार्यालय से जारी होने, प्रार्थीया द्वारा 12-12 हजार रुपये की मात्र तीन किश्तें जमा कराने व दिनांक 07.01.2013 को अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी को प्रेषित 12,000/रुपये के चैक का भुगतान प्रार्थीया द्वारा प्राप्त करने के सम्बन्ध में पक्षकारो के बीच कोई विवाद नही है।
प्रार्थीया यह केस लेकर मंच के समक्ष उपस्थित हुई है कि बीमा पाॅलिसी करते समय उसे यह आश्वासन एजेन्ट द्वारा दिया गया था कि प्रार्थीया को न्यूनतम 3 प्रिमीयम का भुगतान करना होगा और यदि प्रार्थीया लम्बे समय तक बीमा पाॅलिसी चालू नही रखना चाहती है तो उसे उसके द्वारा जमा कराई गई राशि मय हितलाभ के लौटा दी जावेगी। इस सम्बन्ध में यह उल्लेखनीय है कि बीमा प्रस्ताव स्वंय प्रार्थीया द्वारा हस्ताक्षरित है जिसमें यह तथ्य स्पष्ट रुप से अंकित है कि उसने बीमा सम्बन्धी सभी बातें समझ ली है और वह बीमा कराने के लिए तैयार है प्रार्थीया को भेजे बेनिफिट इलस्टेªशन की प्रति भी अप्रार्थी की ओर से अभिलेख पर पेश की गई है। स्वंय प्रार्थीया द्वारा स्वेच्छा से बीमा पाॅलिसी सम्पूर्ण अवधि के लिए प्रभावी नही रखी जाकर मात्र तीन वार्षिक प्रिमीयम जमा कराये गये है और एक प्रकार से तीन वर्ष केे पश्चात अपनी बीमा पाॅलिसी समर्पित की गई है। इस सम्बन्ध में बीमा पाॅलिसी का क्लोज 5 महत्वपूर्ण है जो निम्नानुसार है -
Surrender Value & Auto-foreclosure
- This policy may be surrendered and a surrender value shall be payable provided the Regular premium due for at least one (1) Policy Year has been received by Us. The surrender Value shall be payable only after the completion of the first three (3) Policy years and will be equal to the value of Units pertaining to Regular Premium as on the date of surrender less the surrender charge on units pertaining to Regular premium, as mentioned in the schedule, plus the value of units pertaining to Top up premium, if any on the date of surrender.
- After paying at least first three years premium, if the premium payment is discontinued and then in any case the surrender value of units of pertaining to regular premium reaches an amount equivalent to regular premium paid in the first policy year, then the policy shall be terminated with advances notice by paying the surrender value (as on the date of termination) calculated in accordance with Article 5a) to the policyholder.
उक्त क्लोज के अनुरूप प्रार्थीया को 12,000/रुपये की राशि अदा की जा चुकी है और इस लिखित क्लोज के विपरित प्रार्थीया की ओर से बताया गया तथाकथित मौखिक आश्वासन विश्वसनीय नही है।
बहस के दौरान हमारे समक्ष और कोई बिन्दू नही उठाया गया है। अतः प्रार्थीया का यह परिवाद सारहीन होने से खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप प्रार्थीया/परिवादिया का परिवाद विरूद्ध अप्रार्थी/विपक्षी खारिज किया जाता है। परिस्थितियों को देखते हुये दोनो पक्षकार खर्चा अपना-अपना वहन करेगें।
निर्णय आज दिनांक 15 नवम्बर, 2018 को सुनाया गया।
शिवकुमार शर्मा महेन्द्र शर्मा