जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
विजय यादव ,निवासी- गणेषगढ के नीचे, टी-20 के सामने, ष्षास्त्री नगर, अजमेर ।
प्रार्थी
बनाम
अवीवा लाईफ इन्ष्योरेंस कम्पनी, टीटी काॅलेज के सामने, जयपुर रोड, अजमेर ।
अप्रार्थी
परिवाद संख्या 454/2012
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. विजेन्द्र कुमार मेहता सदस्य
3. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1. प्रार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं
2.श्री तेजभान भगतानी, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 13.03.2015
1. प्रार्थी ने एक बीमा पाॅलिसी अविवा लाईफ इन्ष्योरेंस कम्पनी (जो इस निर्णय में आगे मात्र बीमा कम्पनी ही कहलाएगी ) जिसका नम्बर एल.बी.डी. 2013934 दिनांक 16.5.2008 को रू. 25,000/- प्रतिवर्ष की प्रमियम के साथ ली एवं 3 साल तक बीमा प्रीमियम की किषत जमा करानी थी उक्त पाॅलिसी को प्रार्थी ने दिनंाक 3.10.2011 को समर्पित किया । ये सभी तथ्य स्वीकृतषुदा है । प्रार्थी के अनुसार समर्पन के वक्त अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी को सरेण्डर वेल्यू रू. 75,500/- बतलाई जबकि उसे दिनांक 21.11.2011 का चैक संख्या 619547 तादादी रू. 67155/- का दिनंाक 9.12.2011 को प्राप्त हुआ । इस तरह से अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने सरेण्डर वेल्यू दिनंाक 30.10.2011 को जो थी, का चैक नहीं देकर दिनंाक 21.11.2011 की सलेण्डर वेल्यू पर जो भुगतान किया वह गलत था । अतः प्रार्थी ने एक षिकायत बीमा लोकपाल को की जिसके संबंध में प्रकरण संख्या एलआई/591/11 विजय यादव बनाम अविवा लाईफ के नाम से दर्ज हुआ तथा लोकपाल के अवार्ड दिनंाक
के अनुसार अप्रार्थी बीमा कम्पनी को निर्देषित किया कि वह प्रार्थी को दिनंाक 30.10.2011 को जो सलेण्डर वेल्यू थी, के आधार पर भुगतान करें तथा अन्तर की राषि का भुगतान 8 प्रतिषत ब्याज सहित करें । प्रार्थी का कथन है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने बीमा लोकपाल के निर्णय अनुसार अन्तर की राषि का भुगतान नहीं कर सेवा मे कमी कारित की हे । अतः परिवाद स्वीकार कर अन्तर की राषि के संबंध में आदेष दिया जावे ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से जवाब पेष हुआ जिसमें दर्षाया कि प्रार्थी को रू. 67155/- का भुगतान जो नियमानुसार बनता था, कर दिया गया है एवं भुगतान की राषि का चैक भी प्रार्थी ने प्राप्त कर लिया है अतः अब प्रार्थी का यह परिवाद चलने योग्य नहीं है । अपने जवाब में यह भी कथन किया कि विवाद पूर्व में बीमा लोकपाल द्वारा निस्तारित किया जा चुका है एवं प्रार्थी बीमा लोकपाल के अवार्ड की पालना इस मंच से करवाना चाह रहा है । इस तरह से पक्षकारान के मध्य कोई विवाद लम्बित नहीं है । बीमा लोकपाल के अवार्ड की पालना हेतु प्रार्थी मामला इस परिवाद के रूप में नहीं ला सकता है एवं परिवाद खारिज होने योग्य दर्षाया ।
3. प्रार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं। हमने अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी की बहस सुनी एवं पत्रावली का अवलोकन किया । प्रार्थी का यह कथन कि दिनांक 31.10.2011 को उसके द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी के कार्यालय से बीमा पाॅलिसी के सरेण्डर वेल्यू के संबंध में जानकारी की तो रू. 75,500/- की राषि बनना बतलाया लेकिन प्रार्थी को रू. 67,155/- का ही भुगतान किया गया है । दूसरा यह भी दर्षाया कि बीमा पाॅलिसी दिनंाक 3.0.10.2011 को ही सरेण्डर कर दी गई थी एवं सरेण्डर वेल्यू दिनंाक 21.11.2011 को तय की गई जिसके संबंध में बीमा लोकपाल के समक्ष विवाद ले जाए जाने पर अप्राथी्र बीमा कम्पनी के विरूद्व अवार्ड पारित हुआ है ।
4. हमने पत्रावली पर उपलब्ध उक्त अवार्ड का अध्ययन किया तथा परिवाद जो पेष हुआ एवं जो अनुतोष प्रार्थी ने चाहा है उसके अनुसार प्रार्थी बीमा लोक पाल के अवार्ड का निष्पादन इस मंच द्वारा इस परिवाद के जरिए करवाना चाहता है । हमारे विनम्र मत में जो विवाद प्रार्थी की ओर से इस परिवाद के द्वारा लाया गया है उक्त विवाद का निपटारा बीमा लोकपाल के अवार्ड द्वारा हो चुका है जिसे प्रार्थी स्वयं ने स्वीकार किया है । इस प्रकार मूल विवाद एक सक्षम मंच के द्वारा निर्णित हो चुका है एवं प्रार्थी ने इस परिवाद से एक तरह से बीमा लोकपाल के अवार्ड की क्रियान्विति संबंधी आदेष चाहे है । इस संबंध में प्रार्थी की ओर से ऐसा कोई दृष्टान्त नहीं बतलाया गया है जिससे विदित हो कि बीमा लोक पाल के अवार्ड की क्रियान्विति इस मच द्वारा हेागी जबकि बैकिंग लोक पाल स्कीम, 2002 की क्रम संख्या 33 में बैंकिंग लोकपाल जो अवार्ड पारित करता है उसकी क्रियान्विति किस तरह से होगी, वर्णित है । जिसके अनुसार बैंकिंग लोक पाल द्वारा पारित निर्णय की पालना आरबिट्रल अवार्ड की क्रियान्विति संबंधी जो प्रक्रिया आरबीट्रेषन एण्ड रिकंसीलेषन एक्ट के अध्याय 8 में दी गई, प्रक्रिया के अनुसार होगी, दर्षाया हुआ है ।
5. उपरोक्त सारे विवेचन से हमारा मत है कि प्रार्थी का यह परिवाद जिसमें वर्णित विवाद चूंकि पूर्व में बैंकिंग लोकपाल द्वारा निर्णित किया जा चुका है एवं इस परिवाद के द्वारा प्रार्थी बैंकिंग लोकपाल के निर्णयानुसार ब्याज जुडवाते हुए अन्तर की राषि की प्राप्ति हेतु यह वाद लाया गया है , एक तरह से प्रार्थी इस मंच से बैंिकंग लोकपाल के निर्णय की क्रियान्विति ही चाहता है । किन्तु इस हेतु प्रार्थी इस मंच में परिवाद पेष कर सकता है या प्रार्थी द्वारा ऐसा परिवाद चलने योग्य है, हम नही ंपाते है और ना ही इस संबंध में प्रार्थी की ओर से कोई विधि बतलाई गई है । परिणामस्वरूप प्रार्थी का यह परिवाद स्वीकार होने योग्य नही ंहै । अतः आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
6. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
(विजेन्द्र कुमार मेहता) (श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
7. आदेष दिनांक 13.03.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
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