जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
महेन्द्र दत्त मिश्रा पुत्र श्री ष्यामलाल मिश्रा, आयु-73 वर्ष, जाति-ब्राह्मण, निवासी- प्लाॅट नं. 83, सियारामनगर, चन्द्रवरदाई सी- ब्लाॅक के पास, अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. मैसर्स अवन्तिका एण्टरप्राईजेज जरिए स्वामी/प्रबन्धक, रावण की बगीची, अजमेर ।
2. रसद अधिकारी, जिला रसद कार्यालय, अजमेर
3. इण्डियन आॅयल काॅर्पोरेषन जरिए एरिया मैनेजर, अजमेर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 335/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री जे.एस. राणा, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री नरेन्द्र ंिसंह , अधिवक्ता अप्रार्थी सं.1
3. श्री एस.के.सेठी, अधिवक्तार, अप्रार्थी सं. 3
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-30.08.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसने अप्रार्थी संख्या 2 द्वारा प्रदत्त राषनकार्ड पर अप्रार्थी संख्या 1 से एक गैस कनेक्षन प्राप्त किया । जिसका उपभोक्ता क्रमांक 4837 है और वह उक्त उपभोक्ता क्रमांक से लगातार गैस का उपयोग करता आ रहा है । प्रार्थी के पुत्र हेमेन्द्र ने अपने विवाह के बाद एक अलग गैस कनेक्षन अपने स्वयं के नाम से मातृछाया गैस सर्विस, अजमेर से दिनांक 9.2.2008 को प्राप्त किया । जिसका उपभोक्ता क्रमांक 716089 है । गैस एजेन्सियों द्वारा गैस उपभोक्ताओं से राषन कार्ड मंगवाकर गैस कनेक्षन की पुष्टि की प्रक्रिया प्रारम्भ की गई और इसी क्रम में उसके पुत्र ने अपने कनेक्षन को सुचारू रखने के लिए अपना अलग राषनकार्ड बनवाना चाहा । किन्तु अप्रार्थी संख्या 2 द्वारा अलग से राषन कार्ड बनाने से इस आधार पर इन्कार कर दिया कि अभी नए राषनकार्ड नहीं बन रहे है । तत्पष्चात् प्रार्थी के पुत्र ने अपने गैस कनेक्षन की पुष्टि करवाते हुए राषन कार्ड पर अपने गैस वितरक मातृछाया गैस एजेन्सी की सील लगवा ली । इसी आधार पर जब वह अप्रार्थी संख्या 1 से गैस प्राप्त करने गया तो अप्रार्थी संख्या 1 ने गैस देने से मना कर दिया और करीब डेढ वर्ष से उसे गैस नही ंदी जा रही है। इस संबंध में अप्रार्थी संख्या 2 को दिनंाक 24.8.2011 व 9.9.2011 को लिखित में षिकायत भी की गई किन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई । प्रार्थी ने अप्रार्थीगण द्वारा गैस की सप्लाई नहीं किए जाने को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने अपना षपथपत्र भी पेष किया है ।
2. अप्रार्थी संख्या 1 ने जवाब प्रस्तुत कर प्रार्थी द्वारा उनके यहां से गैस कनेक्षन प्राप्त करने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि उत्तरदाता अप्रार्थी संख्या 2 व 3 के निर्देषानुसार कार्य करते है और उनके निर्देषानुसार ही एक पते पर दो कनेक्षन चालू नहीं रह सकते । प्रार्थी ने जो राषन कार्ड प्रस्तुत किया उसमें मातृछाया गैस एजेन्सी से कनेक्षन लिया हुआ है । ऐसी स्थिति में एक ही राषन कार्ड पर दूसरा कनेक्षन अवैध होने से गैस की सप्लाई किया जाना सम्भव नहीं है और ना ही प्रार्थी ने गैस आपूर्ति हेतु कोई मांग ही की है । प्रार्थी ने अपने राषन कार्ड पर अन्य कोई दूसरा कनेक्षन प्राप्त नहीं करने बाबत् षपथपत्र भी प्रस्तुत नहीं किया है । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई है । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में श्री गोविन्द गर्ग, प्रबन्धक ने अपना ष्षपथपत्र पेष किया है ।
3. अप्रार्थी संख्या 3 ने अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा प्रस्तुत जवाब में अंकित तथ्यों को ही दोहराते हुए आगे यह कथन किया है कि तेल मंत्रालय के निर्देषानुसार गैस एजेन्सियों द्वारा एक ही राषन कार्ड पर दो कनेक्षन की जांच की गई । जांच में यह तथ्य सामने आया कि प्रार्थी के राषनकार्ड पर मातृछाया गैस एजेन्सी की मोहर लगी हुई है । इससे जाहिर होता है कि प्रार्थी मातृछाया गैस एजेन्सी से नियमित रूप से गैस की सप्लाई प्राप्त कर रहा है । अपने अतिरिक्त कथन में दर्षाया है कि मातृछाया गैस एजेन्सी व हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कम्पनी जो परिवाद में आवष्यक पक्षकार है, को प्रार्थी ने पक्षकार नहीं बनाया है क्योंकि प्रार्थी ने पूर्व में अप्रार्थी संख्या 1 से गैस कनेक्षन प्राप्त कर रखा था और उसी राषन कार्ड पर मातृछाया गैस एजेन्सी से नया गैस कनेक्षन प्राप्त कर लिया । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।
4. प्रार्थी पक्ष का तर्क है कि उसके द्वारा प्रारम्भ से ही अप्रार्थी संख्या 1 से गैस की सप्लाई प्राप्त की जाती रही है । उसके पुत्र के विवाह के बाद उसके अलग से खाना बनाने के कारण उसके द्वारा मातृछाया गैस एजेन्सी से गैस कनेक्षन प्राप्त कर लिया गया और प्रार्थी के राषन कार्ड में इस आषय की सील मोहर लगा दी गई । ऐसा करने से अप्रार्थी संख्या 1 ने प्रार्थी की जो गैस सप्लाई बन्द की है वह कतई उचित नहीं है । ऐसा करना अप्रार्थी गैस कम्पनी का सेवा में दोष रहा है । परिवाद स्वीकार किया जाकर वाछित अनुतोष दिया जाना चाहिए ।
5. अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया कि अप्रार्थी संख्या 2 व 3 के दिषा निर्देषों के अनुसार एक ही राषन कार्ड पर एक ही व्यक्ति को गैस कनेक्षन दिया जाना चाहिए । चूंकि प्रार्थी के पुत्र द्वारा प्रार्थी के राषनकार्ड के माध्यम से गैस कनेक्षन ले लिया गया है । अतः एक राषनकार्ड केे आधार पर एक ही कनेक्षन लिए जाने के कारण दूसरा कनेक्षन अवैध होने से सप्लाई किया जाना सम्भव नहीं है ।
6. अप्रार्थी संख्या 3 की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया कि तेल मंत्रालय द्वारा समस्त आयल कम्पनियों को निर्देष दिए गए थे कि एक परिवार में एक ही गैस कनेकषन दिया जाए । उक्त अधिसूचना के तहत जांच किए जाने के निर्देष दिए गए थे । इसी के परिणामस्वरूप एक राषनकार्ड पर एक ही कनेक्षन दिया जाना सम्भव था । प्रार्थी ने मातृछाया गैस एजेन्सी व हिन्दुस्तान पेट्रोलियम को पक्षकार नही ंबनाया है । इस कारण भी परिवाद निरस्त होने योग्य है । प्रार्थी ने सर्वप्रथम अप्रार्थी संख्या 1 अवन्तिका एण्टरप्राईजेस से गैस कनेक्षन लिया है व उसके बाद मातृछाया गैस एजेन्सी से गैस कनेक्षन लिया है । अपने परिवाद में उसने अवन्तिका एण्टप्राईजेज जो नियमित रूप से गैस सप्लाई कर रहा था, उसमें कोई सेवा में कमी अथवा सप्लाई विलम्ब से होना अभिकथित नहीं किया है ,इस कारण भी परिवाद निरस्त होन योग्य है ।
7. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
8. हस्तगत प्रकरण में विवाद मात्र यह है कि क्या एक ही राषनकार्ड पर दो गैस कनेक्षन लिए जा सकते है ? या क्या प्रार्थी पूर्व से ही अप्रार्थी संख्या 1 से आवंटित गैस कनेक्षन से गैस की सप्लाई प्राप्त कर रहा है और इस तथ्य की अनदेखी करते हुए मातृछाया गैस एजेन्सी ने उक्त राषनकार्ड में प्रार्थी के पुत्र को राषनकार्डधारी मानते हुए गैस कनेक्षन दिया है और इस कारण प्रार्थी अब गैस सप्लाई प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है ?
9. स्वीकृत रूप से प्रार्थी प्रारम्भ से ही अवन्तिका एण्टरप्राईजेज से गैस सप्लाई प्राप्त करता रहा है । उसके इन अभिवचनों का भी कोई खण्डन सामने नहीं आया है कि उसके पुत्र हेमेन्द्र के विवाह के बाद उसने अपना अलग भोजन बनाना ष्षुरू कर दिया तथा वह भोजन बनाने की दृष्टि से अलग रहने लगा । प्रार्थी का जो परिवार राषन कार्ड बनाया गया है, उसमें परिवार के मुखिया का नाम महेन्द्र दत्त मिश्रा होकर इसी कार्ड में मातृछाया गैस एजेन्सी की सील अंकित की गई है जो उसके पुत्र हेमेन्द्र कुमार द्वारा इस एजेन्सी से लिए गए गैस कनेक्षन के संबंध में है । स्पष्ट है कि प्रार्थी के अप्रार्थी संख्या 1 से ली जा रही गैस सेवाओं के बाबत् मैसर्स अवन्तिका एण्टरप्राईजेज ने गैस कनेक्षन के प्रमाण हेतु अपनी रबड़ सील मोहर अंकित नहीं की है । मातृछाया गैस एजेन्सी ने प्रार्थी के पुत्र हेमेन्द्र कुमार को बाद में गैस कनेक्षन देते समय इस तथ्य पर गौर भी नहीं किया कि उक्त राषन कार्ड का मुखिया हेमेन्द्र नहीं है अपितु महेन्द्र दत्त मिश्रा है । प्रार्थी ने हालांकि अप्रार्थी संख्या 2 के समक्ष इस आषय का प्रार्थना पत्र भी भेजा है कि उसके पुत्र हेमुन्द्र ने अलग होकर अपने परिवार की व्यवस्था हेतु मातृतछाया गैस एजेन्सी से गैस कनेक्षन ले लिया है व उसके परिवार की गैस सप्लाई अवन्तिका एण्टरप्राईजेज के व्यवस्थापक ने यह कारण बताते हुए बन्द कर दी है कि एक ही राषनकार्ड पर दो गैस सप्लाई नहीं हो सकती । अतः उसके पुत्र हेमेन्द्र का राषनकार्ड अलग से बनाया जावे व उसकी अवन्तिका एण्टरप्राईजेज से गैस सप्लाई सुचारू रूप से चालू की जावे ।
10. यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रार्थी ने अप्रार्थी संख्या 2 को दो प्रार्थना पत्र इस बाबत लिखे है कि उसके पुत्र का अलग से राषनकार्ड बनाया जावे । बहरहाल जो भी स्थिति है , यह मंच अप्रार्थी संख्या 2 को उक्त श्री हेमेन्द्र का राषनकार्ड बनाए जाने का निर्देष दिया जाना उचित नहीं समझता है व यह बिन्दु उनके विचारार्थ न्यायोचित निर्णय हेतु उन पर छोड़ते हुए यह उचित पाते है कि अप्रार्थी संख्या 1 प्रार्थी की गैस सप्लाई अब भविष्य में इस आधार पर नहीं रोकेगें कि उसके पुत्र ने इस राषनकार्ड के आधार पर एक अन्य गैस कनेक्षन प्राप्त कर लिया है । मंच की राय में यह भी प्रार्थी को निर्देष देना उचित है कि वह इस आदेष के 15 दिन के अन्दर अन्दर अप्रार्थी संख्या 1 के समक्ष एक ष्षपथपत्र प्रस्तुत करें जिसमें वह यह उल्लेख करेगा कि वह परिवार का मुखिया है व उक्त जारी किए गए राषनकार्ड में उसके पुत्र ने विवाह उपरान्त अपनी अलग भोजन व्यवस्था करते हुए अन्य गैस एजेन्सी से गैस कनेक्षन प्राप्त कर लिया है । स्वयं प्रार्थी ने इस राषनकार्ड के आधार पर पूर्व में जारी गैस कनेक्षन के अलावा अन्य कोई गैस कनेक्षन प्राप्त नहीं किया है । परिवाद उपरोक्त अनुसार स्वीकार किया जाकर निर्णित किया जाता है । प्रकरण की परिस्थितियों मद्देनजर रखते हुए पक्षकारान खर्चा अपना अपना स्वयं वहन करेगें ।
आदेष दिनांक 30.08.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष