राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील सं0-814/2008
(जिला मंच फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0-३३/२००५ में पारित आदेश दिनांक १२/१२/२००७ के विरूद्ध)
भारत संघ द्वारा महा प्रबन्धक उत्तर रेलवे बड़ौदा हाउस नई दिल्ली।
अपीलार्थी/विपक्षी बनाम
- अवधेश सिंह पुत्र शमशेर सिंह निवासी सहादतगंज फैजाबाद।
- राम बिलास जायसवाल पुत्र श्री राम निवासी बेगमगंज मकबरा परगना हवेली अवध सहसील सदर जिला फैजाबाद।
प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण
समक्ष:-
1 मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्यायिक सदस्य।
2 मा0 श्री राम चरन चौधरी सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री पी0पी0 श्रीवास्तव विद्वान अधिवक्ता ।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री अरूण कुमार पाण्डेय विद्वान अधिवक्ता ।
दिनांक 30/12/2014
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्यायिक सदस्य द्वारा उद्घोषित।
निर्णय
अपीलार्थी ने उपरोक्त दोनों अपीलें विद्वान जिला मंच फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0-३३/२००५ अवधेश सिंह बनाम भारत संघ में पारित आदेश दिनांक १२/१२/२००७ के विरूद्ध प्रस्तुत की है जिसमें विद्वान जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है।
‘’ परिवादी का परिवाद एक पक्षीय रूप से विपक्षी के विरूद्ध पारित किया जाता है। परिवादीगण विपक्षी से २००००/-रू0 क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के अधिकारी हैं। विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादीगण को उपरोक्त धनराशि का भुगतान निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर करे अन्यथा उपरोक्त धनराशि पर निर्णय की तिथि से वसूली के दिन तक ६ प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज देय होगा।‘’
यह परिवाद परिवादीगण ने १०००००/-रू0 क्षतिपूर्ति एवं २५००/-रू0 वाद व्यय हेतु प्रस्तुत किया है। संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि वादी सं0-२ शहर का व्यवसायी है तथा दोनों परिवादीगण सामाजिक कार्यों में संलग्न है जिससे उनकी अच्छी प्रतिष्ठा है। दिनांक २८/०२/२००४ को फैजाबाद रेलवे स्टेशन से जयपुर की यात्रा के लिए मरूधर एक्सप्रेस ट्रेन द्वारा आर0ए0सी0/५३,४६,५४ व ४७ टिकट प्राप्त किया तथा नियत दिनांक व समय पर यात्रा के लिए फैजाबाद रेलवे स्टेशन
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पहुंचे । जब यह आरक्षित डिब्बे में पहुंचे तो स्लीपर कोच के टी0टी0ई0 ने बताया कि उसके लिस्ट में बैठने के लिए कोई स्थान नहीं है बल्कि उनका टिकट बेटिंग लिस्ट में है । टी0टी0ई0 ने ही वादीगण को कम्पार्टमेंट से बाहर जाने के लिए बलपूर्वक मजबूर कर दिया। चूंकि वादीगण को खाटू श्याम दर्शनार्थ जाना अति आवश्यक था और गाड़ी छोड़ नहीं सकते थे इसलिए वादीगण मजबूरीवश टी0टी0ई0 के व्यवहार से उन लोगों को अत्यंत मानसिक पीड़ा हुई। रेलवे द्वारा सेवा में कमी की गयी जिसके लिए १०००००/-रू0 क्षतिपूर्ति मांगी गयी है।
विपक्षी ने अपना प्रतिवाद प्रस्तुत कर परिवादी के अभिकथन का खण्डन करते हुए अभिकथित किया है कि परिवादीगण दिनांक २८/०२/२००४ को मरूधर एक्सप्रेस में समय से बैठने के लिए नहीं पहुंचे। यदि समय से पहुंचे होते तो उनके टिक्ट का आर0ए0सी0/४५,४७,५३ व ५४ लिस्ट में थ और उनको निर्धारित कोच भी ज्ञात हो जाता तथा वह यात्रा निर्धारित कोच में बैठकर कर पाते। रेलवे द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवादी ने स्वयं टिकटों की वास्तविक स्थिति समय से ज्ञात नहीं किया और न ही वह इस संबंध में सक्षम अधिकारी से मिले। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में किसी कोच के नम्बर का उल्लेख नहीं किया है इसलिए परिवादीगण को अपनी यात्रा के प्रति स्वंय की लापरवाही है। इसलिए परिवादीगण कोई भी अनुतोष पाने के अधिकारी नहीं हैं।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री पी0पी0श्रीवास्तव तथा प्रत्यर्थी की ओर से अरूण कुमार पाण्डेय के तर्कों को सुना गया। पत्रावली का परिशीलन किया गया।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता तर्क है कि विद्वान जिला मंच द्वारा अपीलकर्ता के विरूद्ध एकपक्षीय निर्णय पारित किया गया है जिससे कि उसे साक्ष्य प्रस्तुत किए जाने का अवसर नहीं मिला है।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलकर्ता द्वारा उत्तर पत्र दाखिल कर दिया गयाथा किन्तु वह न्यायालय में उपस्थित नहीं हुआ। अत: ऐसी परिस्थिति में विद्वान जिला मंच द्वारा विधि अनुसार निर्णय पारित किया गयाहै जिसमें हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है।
प्रश्नगत निर्णय एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का गंभीरतापूर्वक अनुशीलन किया गया। परिवादी/प्रत्यर्थी ने दिनांक २८/०२/२००४ को फैजाबाद रेवले स्टेशन से जयपुर की यात्रा के लिए मरूधर एक्सप्रेस ट्रेन में आरक्षित कराया था और आरएसी ५३, ४६, ५४ व ४७ टिकट प्राप्त किया था किन्तु जब वह आरक्षित डिब्बे में पहुंचे तो स्लीपर कोच के टीटीई ने बताया कि उसकी लिस्ट में बैठने के लिए कोई स्थान है, बल्कि उनका नाम वेटिंग लिस्ट में है। यह कहकर टी0टी0ई0
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ने परिवादीगण/प्रत्यर्थीगण को कम्पार्टमेंट से बाहर जाने के लिए बलपूर्वक मजबूरकर दिया। अपीलकर्ता/विपक्षी का यह कथन कि उत्तर पत्र में यह बताया है कि यदि परिवादी समय से पहुंचते तो उनके टिकट का आरएसी ४६,४७,५३ व ५४ लिस्ट में था और उनको निर्धारित कोच भी ज्ञात हो जाता तथा वह यात्रा निर्धारित कोच में बैठकर कर पाता। इस प्रकार रेलवे की कोई कमी नहीं है। अपीलकर्ता/विपक्षी ने अपने उत्तर पत्र के समर्थन में कोई शपथपत्र प्रस्तुत नहीं किया है जबकि परिवादी ने अपने कथन के समक्षमें अपना शपथपत्र प्रस्तुत किया है। अत: ऐसी परिस्थिति में यदि विद्वान जिला मंच द्वारा परिवादी/प्रत्यर्थी के शपथपत्र पर विश्वास करते हुए क्षतिपूर्ति २००००/-रू0 दिलाए जाने का आदेश पारित किया है वह तो वह विधि अनुसार है क्योंकि अपीलकर्ता के द्वारा जो भी अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत करने थे उसे अपने उत्तर पत्र के साथ करना चाहिए था किन्तु उसके द्वारा नहीं किया गया। जहां तक विद्वान जिला मंच द्वारा परिवादी/प्रत्यर्थी को २००००/-रू0 क्षतिपूर्ति दिलाए जाने का संबंध है यह अत्यधिक प्रतीत होता है। अत: अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है। अपीलार्थी द्वारा परिवादीगण/प्रत्यर्थीगण को २००००/-रू0 के स्थान पर १५०००/-रू0 की क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्यायोचित होगा।
अपील सं0-२०१६/२००८
(जिला मंच फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0-३३/२००५ में पारित आदेश दिनांक १२/१२/२००७ के विरूद्ध)
- अवधेश सिंह पुत्र शमशेर सिंह निवासी सहादतगंज फैजाबाद।
- राम बिलास जायसवाल पुत्र श्री राम निवासी बेगमगंज मकबरा परगना हवेली अवध सहसील सदर जिला फैजाबाद।
अपीलार्थीगण/परिवादीगण
बनाम
भारत संघ द्वारा महा प्रबन्धक उत्तर रेलवे बड़ौदा हाउस नई दिल्ली।
प्रत्यर्थी/विपक्षी
निर्णय
अपीलकर्तागण/परिवादीगण ने परिवाद को संपूर्ण रूप से स्वीकार किए जाने का अनुरोध किया है जिसमें उसने १ लाख रूप क्षतिपूर्ति दिलाए जाने की मांग की है।
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अपीलकर्ता ने अपील को प्रस्तुत किए जाने में हुए विलम्ब को क्षमा किए जाने का प्रार्थना पत्र मय शपथपत्र अवधेश सिंह का दिया है। अपील के आधारों में दिए गए विलम्ब के कारणों को समुचित मानते हुए विलम्ब को क्षमा किए जाने का प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाता है तथा विलम्ब को क्षमा किया जाता है।
उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना गया। पत्रावली का अवलोकन किया गया। चूंकि अपील सं0-८१४/२००८ में प्रश्नगत निर्णय के अनुसार संशोधित करते हुए २००००/-रू0 के स्थान पर १५०००/-रू0 क्षतिपूर्ति दिलाए जाने का आदेश पारित किया गया है । अत: ऐसी परिस्थिति कें विद्वान जिला मंच द्वारा पारित किए गए आदेश में क्षतिपूर्ति बढ़ाए जाने का कोई न्यायोचित आधार नहीं है। तदनुसार यह अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला मंच फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0-३३/२००५ अवधेश सिंह बनाम भारत संघ में पारित आदेश दिनांक १२/१२/२००७ को संशोधित करते हुए यह आदेशित किया जाता है कि अपीलकर्ता, प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण को २००००/-रू0 के स्थान पर १५०००/-रू0 की क्षतिपूर्ति अपीलके निर्णय के २ माह के अन्दर अदा करे ।
अपील सं0-२०१६/२००८ खारिज की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभयपक्षों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाए।
(अशोक कुमार चौधरी) (राम चरन चौधरी)
पीठा0सदस्य सदस्य
सत्येन्द्र कुमार
आशु0 कोर्ट0 ३