राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
पुनरीक्षण सं0-१२६/२०१२
(जिला मंच, उन्नाव द्वारा निष्पादन वाद सं0-५१/२०१२ में पारित आदेश दिनांक २२-०६-२०१२ के विरूद्ध)
मै0 गुप्ता कोल्ड स्टोरेज एवं आइस फैक्ट्री ग्राम व तहसील सफीपुर, जिला उन्नाव (यू.पी.) द्वारा पार्टनर श्री काशी प्रसाद गुप्ता।
................... पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षी।
बनाम्
अवधेश कुमार पुत्र श्री महावीर प्रसाद वर्मा निवासी मोहल्ला बब्बर अली खेड़ा, परगना व तहसील सफीपुर, जिला उन्नाव।
.................... प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१- मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य।
२- मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित :- श्री अनूप श्रीवास्तव विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : १७-०८-२०१६.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
आज यह पत्रावली प्रस्तुत हुई। पुनरीक्षणकर्ता की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अनूप श्रीवास्तव उपस्थित हैं। अधिवक्ता प्रत्यर्थी/परिवादी के तर्क सुने गये तथा अभिलेखों का अवलोकन किया गया।
प्रस्तुत पुनरीक्षण, जिला मंच, उन्नाव द्वारा निष्पादन वाद सं0-५१/२०१२ में पारित आदेश दिनांक २२-०६-२०१२ के विरूद्ध योजित की गयी है।
प्रश्नगत आदेश द्वारा विद्वान जिला मंच ने उपरोक्त निष्पादन वाद के सन्दर्भ में जारी किए गये बसूली प्रमाण पत्र को वापस लिए जाने हेतु प्रस्तुत प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया। यह पुनरीक्षण याचिका वर्ष २०१२ से सुनवाई हेतु लम्बित है। पुनरीक्षणकर्ता की ओर से कोई उपस्थित नहीं हो रहा है। दिनांक १८-०६-२०१५ को पारित आदेश में यह तथ्य उल्लिखित है कि
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प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका में पारित आदेश दिनांक १७-०७-२०१२ के द्वारा जिला मंच की कार्यवाही स्थगित है। अत: पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र का अन्तिम रूप से निस्तारण हेतु दिनांक १७-०७-२०१५ तिथि नियत की गयी थी। आज पुन: पुनरीक्षणकर्ता की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। जबकि वाद सूची में अधिवक्ता श्री नीलिश आनन्द का नाम अंकित है। ऐसी परिस्थिति में सुनवाई की तिथि स्थगित किए जाने का कोई औचित्य नहीं है।
पुनरीक्षण के आधारों के अवलोकन से यह विदित होता है कि पुनरीक्षणर्ता ने पुनरीक्षण इस आधार पर योजित किया है कि प्रश्नगत आदेश मात्र अध्यक्ष द्वारा पारित किया गया है, अन्य सदस्यों के इस पर हस्ताक्षर नहीं हैं। अधिनियम के प्राविधानों के अन्तर्गत एक सदस्य द्वारा आदेश पारित नहीं किया जा सकता। पुनरीक्षणकर्ता का यह भी कथन है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-२४ के अन्तर्गत परिवाद में पारित निर्णय के विरूद्ध अपील योजित किए जाने की स्थिति में परिवाद में पारित निर्णय अन्ति नहीं माना जा सकता। अत: प्रश्नगत परिवाद में पारित निर्णय का निष्पादन नहीं किया जा सकता।
उल्लेखनीय है कि स्वयं पुनरीक्षणकर्ता यह स्वीकार करता है कि परिवाद में पारित निर्णय के विरूद्ध अपील, अपीलार्थी की अनुपस्थिति में आयोग द्वारा निरस्त की जा चुकी थी। अपील के निरस्तीकरण के विरूद्ध पुनर्स्थापान प्रार्थना पत्र लम्बित था। मात्र पुनर्स्थापन प्रार्थना पत्र के लम्बित होने के आधार पर स्वत: यह नहीं माना जा सकता कि अपील सुनवाई हेतु पुनर्जीवित हो गयी थी। ऐसी परिस्थिति में यह नहीं माना जा सकता कि परिवाद में पारित निर्णय के विरूद्ध कोई अपील सुनवाई हेतु लम्बित थी।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-१४(२)(क) के अन्तर्गत नि:संदेह जिला मंच द्वारा पारित आदेश अध्यक्ष एवं सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित किया जाना आवश्यक है, किन्तु प्रस्तुत मामले के तथ्यों के आलोक में सम्बन्धित जिला मंच के अध्यक्ष का यह निष्कर्ष कि पुनरीक्षणकर्ता द्वारा उनके समक्ष प्रस्तुत किया गया प्रार्थना पत्र जिला मंच में पोषणीय नहीं था, हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण नहीं है। यदि परिवाद में पारित निर्णय के विरूद्ध कोई अपील सुनवाई हेतु लम्बित नहीं है तब स्वाभाविक रूप से प्रश्नगत निर्णय के क्रियान्वयन की कार्यवाही की
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जायेगी। मात्र इस आधार पर कि अपील के पुनर्स्थापन हेतु प्रस्तुत किया गया प्रार्थना पत्र आयोग में लम्बित है, बसूली प्रमाण पत्र वापस लेने के सन्दर्भ में प्रस्तुत किया गया प्रार्थना पत्र जिला मंच के समक्ष पोषणीय नहीं माना जा सकता। ऐसी परिस्थिति में प्रस्तुत मामले की परिस्थितियों के आलोक में मात्र इस आधार पर कि प्रश्नगत आदेश में सभी सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं है, मामले को जिला मंच को प्रतिप्रेषित किये जाने का कोई औचित्य नहीं होगा।
जिला मंच द्वारा पारित यह आदेश एक अन्तरिम आदेश है। पुनरीक्षण याचिका में बल नहीं है। प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका निरस्त की जाती है।
पुनरीक्षण व्यय-भार के सम्बन्ध में कोई आदेश पारित नहीं किया जा रहा है।
पक्षकारों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(जितेन्द्र नाथ सिन्हा)
पीठासीन सदस्य
(उदय शंकर अवस्थी)
सदस्य
दिनांक : १७-०८-२०१६.
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.