Uttar Pradesh

StateCommission

A/1997/1276

D. M. Sonbhadra - Complainant(s)

Versus

Avadh Narain - Opp.Party(s)

Dipak Seth

19 Aug 1999

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1997/1276
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. D. M. Sonbhadra
A
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Jitendra Nath Sinha PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज् उपभोक्ता  विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ।

                                 मौखिक

          अपील संख्‍या-1276/1997  

1-जिलाधिकारी सोनभद्र उ0 प्र0।

2-जिला पूर्ति अधिकारी सोनभद्र उ0 प्र0।                                                                          अपीलार्थीगण

                         बनाम

1-अवध नारायण पुत्र श्री राम दुलारे निवासी ग्राम जोगिनी पोस्‍ट तितौली कला परगना बड़हर तहसील राबर्ट्सगंज जिला सोनभद्र।

2-अध्‍यक्ष जिला उपभोक्‍ता संरक्षण फोरम, सोनभद्र।                                                                    प्रत्‍यर्थीगण

समक्ष:-

1 मा0 श्री जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा पीठासीन सदस्‍य।

2-मा0 श्रीमती बाल कुमारी सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित।                कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित।                  कोई नहीं।

दिनांक-05-12-2014 

           मा0 श्री जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा पीठासीन, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

   निर्णय

     परिवाद संख्‍या-303/1997 अवध नारायण बनाम जिलाधिकारी सोनभद्र व अन्‍य में जिला मंच सोनभद्र द्वारा प्रश्‍नगत निर्णय के माध्‍यम से परिवाद के संदर्भ में यह निष्‍कर्ष दिया कि परिवादी लगभग 2 साल से आशुलिपिक का कार्य सम्‍पादित कर रहा है और परिवादी के नियुक्ति के लिए जनपद न्‍यायाधीश द्वारा जिला फोरम के अध्‍यक्ष के रूप में विपक्षीगण/अपीलार्थी पक्ष को अवगत भी कराया गया था परन्‍तु विपक्षीगण द्वारा इस संदर्भ में कोई कार्यवाही नहीं की गयी और ऐसी स्थिति में परिवादी की नियमित नियुक्ति के लिए विपक्षी बाध्‍य है और विपक्षी का कृत्‍य सेवा की कमी की श्रेणी में स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है और परिवाद को पोषणीय मानते हुए जिला मंच द्वारा उपरोक्‍त वर्णित निष्‍कर्ष के अनुसार परिवाद निर्णीत करते हुए परिवादी को नियमित माने जाने का आदेश पारित किया गया एवं परिवादी की पूर्व सेवा को प्रश्‍नगत निर्णय के माध्‍यम से अनुमन्‍य किया गया एवं विपक्षीगण अपीलार्थी पक्ष को इस आशय का निर्देश दिया गया कि वह परिवादी के संदर्भ में जो औपचारिकताएं हैं उनको एक माह के अन्‍दर पूरा करे और जिला फोरम को अवगत करावे एवं यह भी निर्देश दिया गया कि जो अन्‍य पद जिला उपभोक्‍ता फोरम में रिक्‍त हैं उनको अनुसूचित जाति या सामान्‍य जैसा भी वह चाहे उनको भरे तथा फोरम को भी उक्‍त

 

2

तथ्‍य से अवगत करावे एवं प्रश्‍नगत आदेश के माध्‍यम से जिला मंच द्वारा इस आशय का भी उल्‍लेख किया गया कि विपक्षीगण/अपीलार्थीगण का यह कार्य आचरण के विपरीत नहीं होगा उपरोक्‍त वर्णित आदेश दिनांक 14-05-1997 से क्षुब्‍ध होकर विपक्षी/अपीलार्थी पक्ष की ओर से वर्तमान अपील योजित किया गया। वर्तमान प्रकरण में कोई पक्ष उपस्थित नहीं है विपक्षीगण को पंजीकृत डाक के माध्‍यम से नोटिस निर्गत होना पाया जाता है परन्‍तु विपक्षीगण/प्रत्‍यर्थीगण वर्तमान प्रकरण में उपस्थित नहीं हुए। यह अपील सन् 1997 से लम्बित है अत: गुण-दोष के आधार पर अपील को निर्णीत किया जाना उचित प्रतीत होता है।

     आधार अपील एवं प्रश्‍नगत निर्णय का गम्‍भीरता से परिशीलन किया गया मुख्‍य रूप से यह अभिवचित किया कि प्रश्‍नगत परिवाद जिला मंच के समक्ष पोषणीय नहीं था एवं परिवादी/प्रत्‍यर्थी को उपभोक्‍ता स्‍वीकार नहीं किया जा सकता अपील दिनांक 25-09-1997 को योजित किये जाते समय भी पीठ द्वारा इस आशय का स्‍पष्‍ट उल्‍लेख किया गया कि प्रथम दृष्‍टया प्रश्‍नगत आदेश जिला मंच के प्रश्‍नगत आदेश के क्षेत्राधिकार से परे है। परिवाद पत्र के अभिवचन को देखते हुए भी वर्तमान परिवाद जिला मंच के समक्ष पोषणीय नहीं था जिला मंच द्वारा विपक्षीगण को नियुक्ति के संदर्भ में आदेश पारित किये जाने का किसी भी दृष्टिकोण से स्‍वीकार किये जाने के योग्‍य नहीं है प्रश्‍नगत आदेश अपास्‍त किये जाने योग्‍य है   

                     आदेश

      अपील स्‍वीकार की जाती है जिला मंच द्वारा परिवाद संख्‍या-303/1997 अवध नारायण बनाम जिलाधिकारी सोनभद्र व अन्‍य में जिला मंच सोनभद्र में पारित आदेश दिनांक 14-05-1997 अपास्‍त किया जाता है तदनुसार परिवाद खण्डित किया जाता है।

वाद व्‍यय पक्षकार अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

     इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।  

 

 

 

 

(जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा)                                    (बाल कुमारी)

 पीठासीन सदस्‍य                                             सदस्‍य

 मनीराम आशु0-2

 कोर्ट- 4  

 
 
[HON'ABLE MR. Jitendra Nath Sinha]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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