राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ।
(मौखिक)
परिवाद सं0-२४/२००८
- Km. Srajita Pathak, aged about 21 years Daughter of Smt, Sushma Pathak, resident of Hostel Of D.J. College of Dental Sciences and Research Newani Road Modi Nagar District Ghaziabad.
- Smt. Sushma Pathak aged about 51 years Daughter of Shri S.K. Jaiman, resident of House No. 3 Tupe-IV Firoz Handhi Potytechnic, Raibareilly.
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Versus
- Avadh Institute of Dental Sciences, Dewa Road Chinhat, lucknow-226019 (Uttar Pradesh) through its Chairman/Promotor.
- The Dean, Avadh Institute of Dental Sciences, Dewa Road Chinhat Lucknow-226019 (Uttar Pradesh).
- Dr. Rajuma Baudha Chairman/Promotor Avadh Institute of Dental Sciences, Dewa Road, Chinhat, Lucknow-226019(Uttar Pradesh).
…………Opposite Parties.
समक्ष:-
1 मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य।
2 मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित: श्री सर्वेश कुमार शर्मा विद्वान अधिवक्ता ।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
दिनांक:21-09-2015
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित।
निर्णय
परिवादीगण ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध मु0 २,४५,०००/-रू0 मय ब्याज २४ प्रतिशत, फीस रिफण्ड एवं ४०००/-रू0 अन्य खर्चें, १०,००,०००/-रू0 कीमती वर्ष का नुकसान, विवाह में विलम्ब होने के कारण क्षति १५,००,०००/-रू0, ५०,०००/-रू0 विपक्षी के कार्यालय में आने-जाने हेतु, ६०,०००/-रू0 स्टडी मटेरियल खरीदने में खर्च, १,२०,०००/-रू0 १३ माह बोर्डिंग एवं लोडिंग खर्च एवं ३१०००/-रू0 अन्य खर्च दिलाने हेतु योजित किया है।
परिवादीगण का कथन है कि परिवादी ने विपक्षीगण के निर्देश में रिफण्ड २,४५,०००/-रू0 २४ प्रतिशत ब्याज के साथ प्राप्त करने हेतु प्रार्थना पत्र दिया था जो परिवादी सं0-२ द्वारा जमा किया गया था। परिवादी ने उ0प्र0 कामन एडमिशन टेस्ट के माध्यम से विपक्षी के यहां प्रवेश लिया था। विपक्षी ने परिवादी को सूचित किया कि सत्र २००५-२००६ प्रथम वर्ष बी0डी0एस0 कोर्स हेतु स्थान रिक्त है। विपक्षी द्वारा २,४५,०००/-रू0 काशनमनी के रूप में मांगा गया। विपक्षी का संस्थान राज्य सरकार एवं डा0 राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद उ0प्र0
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से संबंधित है। परिवादी ने डिमाण्ड ड्राफ्ट सं0-६८११२४ दिनांक २३/०६/२००५ द्वारा १ लाख रूपये एवं ड्राफ्ट सं0-१२६३३२ दिनांक २२/०८/२००५ से जमा किया। इस प्रकार परिवादी ने २,४५,०००/-रू0 फीस बी0डी0एस0 प्रथम वर्ष सत्र २००५-२००६ के लिए जमा किया था। विपक्षी के प्रमाण पत्र दिनांक ३०/०७/२००५ एवं ०१/०९/२००५ के द्वारा परिवादी सं0-१ बी0डी0एस0 प्रथम वर्ष का छात्र रहा है तथा फीस के रूप में २,००,०००/-रू0 जमा किया था। परिवादी द्वारा १२००/-रू0 दिनांक १८/०१/२००६ को बस चार्च, १२००/-रू0 दिनांक २७/०९/२००५ को बस चार्ज दिया है। ६००/-रू0 प्रासपेक्टस एवं चिकित्सा शुल्क दिनांक २७/०६/२००६ को दिया गया। १०००/-रू0 दिनांक २७/०६/२००६ को लाकर फीस जमा किया गया । परिवादी ने कक्षा में नियमित रूप से अध्ययन किया। प्रथम वर्ष सत्र २००५-२००६ पूरा होने के बाद एवं परीक्षा विपक्षी द्वारा संचालित की गयी, जबकि परिवादी सं0-१ ने विपक्षी से परीक्षा कराए जाने से संपर्क किया । परिवादी अपनी पढ़ाई पूरी कर चुका है। विपक्षी द्वारा परीक्षा कराए जाने का आश्वासन भी दिया गया था परन्तु परीक्षा नहीं कराई गयी। जांच करने पर यह ज्ञात हुआ कि विपक्षी सं0-1 का संस्थान डेंटल कांउसिल आफ इंडिया एवं राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय द्वारा एप्रूव्ड (Approved) नहीं है। यह कार्य विपक्षी की सेवा में कमी का प्रतीक है। विपक्षी से परीक्षा के संबंध में संपर्क करता रहा परन्तु विपक्षी द्वारा आश्वासन दिया जाता रहा कि शीघ्र ही परीक्षा संपन्न कराई जाएगी।
परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में अवध इंस्टीट्यूट आफ डेंटल साईंस के विज्ञापन की छायाप्रति, १ लाख रू0 के ड्राफ्ट सं0-६८११२४ दिनांक २३/०६/२००५ की छायाप्रति, दिनांक २२/०८/२००५ ड्राफ्ट सं0-१२६३३२ अवध इंजीनियरिंग आफ डेंटल साईंस की छायाप्रति, सुप्रीटेंडेंट अवध इंस्टीट्यूट आफ डेंटल साईंस लखनऊ द्वारा जारी प्रमाण पत्र दिनांक ३०/०७/२००५ एवं दिनांक ०१/०९/२००५ की छायाप्रति, मु0 १२००/-रू0 रसीद दिनांकित १८/०१/२००६ की छायाप्रति, रसीद दिनांक २७/०६/२००५ मु0 ६००/-रू0 एवं दिनांक २७/०६/२००५ मु0 १०००/-रू0 की रसीद, भारतीय दण्ड परिषद का प्रमाण पत्र दिनांक ०९/०७/२००६, गेट पास दिनांक २०/०९/२००७ एवं २२/०८/२००७ की छायाप्रति दाखिल की है।
परिवादीगण की ओर से श्री सर्वेश कुमार शर्मा को अंगीकरण के स्तर पर विस्तार से सुना गया एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखीय साक्ष्य का परिशीलन किया गया।
परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी सं0-1 ने विपक्षीगण के विद्यालय में बी0डी0एस0 प्रथम वर्ष सत्र २००५/२००६ में प्रवेश लिया था। परिवादीगण ने विपक्षीगण संस्थान में २,४५,०००/-रू0 फीस जमा की थी तथा लगातार विद्यालय में अध्ययन करता रहा । विपक्षी ने प्रथम वर्ष की परीक्षा नहीं कराई, तब छात्र चिंतित हो गया और परीक्षा के संबंध में जानकारी की तब उसे
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ज्ञात हुआ कि विपक्षी का विद्यालय/संस्थान डा0 राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय एवं डेंटल काउंसिल आफ इंडिया मान्यता प्राप्त नहीं है। विपक्षी ने परिवादी का कीमती समय बर्बाद किया है। परिवादीगण को क्षतिपूर्ति एवं जमा फीस ब्याज सहित दिलाई जाए।
परिवाद पत्र के आधार एवं संपूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया गया जिससे यह प्रतीत होता है कि परिवादी ने विपक्षी के विद्यालय में बी0डी0एस0 की कक्षा में प्रवेश लिया था तथा फीस जमा की थी। विपक्षी ने परिवादी को प्रथम वर्ष की परीक्षा संपन्न नहीं कराई जिसके लिए यह परिवाद योजित किया गया है।
शिक्षा कोई वस्तु नहीं है जो किसी विद्यालय द्वारा सेवा में के रूप में प्रदान की जाती है। इस संबंध में मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा III (2014) CPJ (NC) REGIONAL INSTITUTE OF COOPERATIVE MANAGEMENT VERSUS NAVEEN KUMAR CHAUDHARY, SHITANSHU RANJAN, ANSHUL SAINI, ANAMIKA SINGH, NISHA, AARIF FARIDI.
The learned counsel for petitioner has also referred to the judgment of Hon’ble Apex Court titled P.T. Koshy & Anr. V. Ellen Charitable Trust & Ors., in Civil appeal N0. 22532/2012, decided of 09.08.2012, wherein it was held as under:
“In view of the judgment of this Court in Maharshi Dayanand University v Surjeet Kaur, 2010 (11) SCC 159, wherein this Court Placing reliance of all earlier judgments has categorically held that education is not a commodity. Educational institutions are not providing any kind of service, therefore, in the matter of admission, fees, etc., there cannot be a question of deficiency of service, Such matters cannot be entertained by the Consumer forum under the consumer Protection Act, 1986.
In view of the above, we are not inclined to entertain the special leave petition. Thus, the Special Leave Petition is dismissed”.
उपरोक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों में विचार करने के बाद हम हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि शिक्षा कोई वस्तु नहीं है और न ही शिक्षण संस्था कोई सेवा प्रदाता नहीं है। ऐसी परिस्थितियों में परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। परिवाद अंगीकरण के स्तर पर ही खारिज किए जाने योग्य है। परिवादी जमा फीस प्राप्त करने के लिए सक्षम न्यायालय में अपना परिवाद प्रस्तुत कर सकता है।
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आदेश
परिवाद अंगीकरण के स्थर पर ही खारिज किया जाता है ।
(जितेन्द्र नाथ सिन्हा) (संजय कुमार)
पीठा0सदस्य सदस्य
सत्येन्द्र कुमार
आशु0 कोर्ट0 ३