Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/432/2014

Sudha Mishra - Complainant(s)

Versus

Avadh Hospital - Opp.Party(s)

12 Jan 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/432/2014
 
1. Sudha Mishra
Alambagh
Lucknow
Uttar Pradesh
...........Complainant(s)
Versus
1. Avadh Hospital
Singarnagar
lucknow
Uttar Pradesh
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vijai Varma PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Anju Awasthy MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम, लखनऊ।
वाद संख्या 432/2014

श्रीमती सुधा मिश्रा, आयु लगभग 25 वर्ष, 
पत्नी श्री कृष्ण मोहन मिश्रा,
निवासिनी- मकान नं.ई-7एम, 
पंजाब नगर रेलवे कालोनी,
आलमबाग, लखनऊ।
                                     ......... परिवादिनी
बनाम

1.    प्रबंध निदेशक/प्रबंधक,
अवध हास्पिटल चैराहा,
सिंगार नगर, लखनऊ-226005

2.    प्रबंध निदेशक/प्रबध्ंाक,
केयर पैथालोजी,
कानुपर रोड, लखनऊ।                              
                                  ..........विपक्षीगण
उपस्थितिः-
श्री विजय वर्मा, अध्यक्ष।
श्रीमती अंजु अवस्थी, सदस्या।
निर्णय
    परिवादिनी द्वारा यह परिवाद विपक्षी सं.1 से क्षतिपूर्ति हेतु          रू.5,00,000.00 तथा विपक्षी सं.2 से गलत रिपोर्ट तैयार करने हेतु    रू.5,00,000.00 दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया गया है।
    संक्षेप में परिवादिनी का कथन है कि वह विपक्षी सं.1 से नियमित रूप से इलाज कराती रही है। दिनांक 02.05.2014 को परिवादिनी को प्रसव पीड़ा के उपरांत विपक्षी सं.1 के यहां भर्ती कराया गया। परिवादिनी का ईलाज तथा डिलीवरी डा0 मिताली दास शाह द्वारा किया गया तथा डिलीवरी सामान्य हुई। परिवादिनी ने सुबह 7.39 बजे बच्चे को जन्म दिया और जन्म के समय बच्चा स्वस्थ था और उसका 

-2-
वजन 3 किलो 800 ग्राम था। इसके बावजूद वहां पर उपलब्ध डाक्टरों की टीम ने बच्चे को माॅं से दूर रखा और डाक्टरों की टीम द्वारा सलाह दी जाती रही कि जच्चा तथा बच्चा दोनों की जान को खतरा बना हुआ है। विपक्षी सं.1 के यहां बच्चे के जन्म के समय कार्यरत डा0 पी0 गुप्ता, डा0 आर0के0 ठाकुर, डा0 जे मुखर्जी एवं भावना ने परिवादिनी को गलत तरीके से सलाह दी कि बच्चे की धड़कन तेज चल रही है और यदि बच्चे को आक्सीजन न लगायी गयी व एन0आई0सी0यू0 में तुरंत भर्ती न कराया गया तो बच्चे की जान को खतरा बना हुआ है तथा बच्चे की माॅं को ऐसा संक्रमण है जिससे बच्चे को दूध पिलाने से संक्रमण का खतरा बना हुआ है जबकि बच्चा तथा माॅं दोनों स्वस्थ थे। विपक्षी सं. 1 द्वारा अत्यधिक पैसा कमाने के लालच की वजह से परिवादिनी को गलत सलाह दी गयी तथा गलत तरीके से पैसे की मांग भी करते रहे, कुछ बिल की रसीदें दी और कुछ की नहीं। उपरोक्त डाक्टरों की टीम ने परिवादिनी को उसके नवजात शिशु की प्लेटलेटस की जांच कराने के लिए कहा और यह भी कहा कि वे केवल विपक्षी सं.2 से ही जांच कराए क्योंकि अन्य किसी जांच को वे लोग नहीं मानते है। डाक्टरों की मिली भगत से विपक्षी सं.2 ने गलत तरीके से प्लेटलेटस की रिपोर्ट तैयार की जिसमें प्लेटलेटस की संख्या को न्यूनतम से बहुत कम दिखाया गया। इसके पश्चात् परिवादिनी ने आर0एम0एल0 मल्होत्रा पैथोलाजी प्रा0 लि0 अजन्ता हास्पिटल से जांच करायी जहां प्लेटलेटस सामान्य थे। इसके पश्चात् परिवादिनी ने राज पैथोलाजी आलमबाग से जांच करायी जहां पर भी प्लेटलेटस सामान्य पाये गये। विपक्षी सं.2 ने अधिक पैसे कमाने के लालच में प्लेटलेटस की रिपोर्ट 16000 बताई जबकि अन्य जांचों से प्लेटलेटस की रिपोर्ट सामान्य आई। यदि विपक्षी सं.2 की रिपोर्ट पर विश्वास कर लिया गया होता तो परिवादिनी के बच्चे की जान भी जा सकती थी। दिनांक   23.06.2014 को परिवादिनी ने विपक्षीगण को विधिक नोटिस भेजा जिसका जवाब विपक्षीगण द्वारा नहीं दिया गया। विपक्षीगण के उपरोक्त कृत्य से परिवादिनी को शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक क्षति हुई है। अतः परिवादिनी द्वारा यह परिवाद विपक्षी सं.1 से क्षतिपूर्ति हेतु          रू.5,00,000.00 तथा विपक्षी सं.2 से गलत रिपोर्ट तैयार करने हेतु    रू.5,00,000.00 दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया गया है।
    
-3-
विपक्षीगण को रजिस्टर्ड नोटिस भेजी गयी, परंतु समय लेने के उपरांत भी लिखित कथन दाखिल नहीं किया गया, अतः उनके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही आदेश दिनांक 01.04.2015 के अनुसार चली।
    परिवादिनी की ओर से अपना शपथ पत्र एवं 29 प्रपत्र दाखिल किये गये।
    परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गयी एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। 
    इस प्रकरण में परिवादिनी के अनुसार विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी के बच्चे का सही तरीके से इलाज नहीं किया गया। साथ ही गलत तरीके से पैसे की मांग करते रहे तथा कुछ बिल की रसीद दी और कुछ की नहीं तथा विपक्षी सं0 2 द्वारा गलत तरीके से प्लेटलेटस की रिपोर्ट तैयार की गयी और इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी की गयी।
    परिवादिनी ने विपक्षी सं0 1 के यहां इलाज कराने के संबंध में जमा की गयी धनराशि की रसीदें दाखिल की है और चतमेबतपचजपवद के पर्चे तथा दवाओं के संबंध में भुगतान की गयी धनराशि की फोटोप्रति तथा पैथोलाॅजी जांच की रसीदों की फोटोप्रति दाखिल करने के अतिरिक्त डिस्चार्ज कार्ड आदि की फोटोप्रति भी दाखिल की है। परिवादिनी द्वारा अपने कथन के समर्थन में शपथ पत्र भी दाखिल किया गया है। विपक्षीगण की ओर से न तो कोई प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया और न ही प्रति शपथ पत्र दाखिल किया गया, किंतु परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण द्वारा किये गये इलाज के संबंध में जो तथ्य प्रस्तुत किये गये हैं उनके आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि विपक्षीगण द्वारा वास्तविकता में जान-बूझकर इलाज में कोई लापरवाही की गयी है अथवा पैथोलाॅजी की रिपोर्ट गलत तरीके से दी गयी क्योंकि मात्र इस आधार पर कि प्लेटलेटस की संख्या विपक्षी सं0 2 द्वारा 16,000 दर्शायी गयी है वह वास्तविकता में गलत थी क्योंकि बाद में बच्चे के प्लेटलेटस की संख्या आर0एम0एल0 पैथोलाॅजी के अनुसार 1,86,000.00 पायी गयी, जबकि राज पैथोलाॅजी के अनुसार प्लेटलेटस की संख्या 2,60,000.00 पायी गयी। उक्त आधार पर परिवादिनी की ओर से यह तर्क दिया गया है कि प्लेटलेटस की संख्या की रिपोर्ट सही तैयार नहीं की गयी थी, किंतु यह मान्य तथ्य है कि प्लेटलेटस की संख्या बहुत 

-4-
जल्दी घट या बढ़ जाती है। अतः इन परिस्थितियों में यह नहीं कहा जा सकता कि चूंकि आर0एम0एल0 पैथोलाॅजी और राज पैथोलाॅजी में प्लेटलेटस की संख्या बढ़ी हुई पायी गयी थी तो विपक्षी सं0 2 द्वारा दी गयी रिपोर्ट गलत ही थी। इसके अतिरिक्त इसका भी कोई साक्ष्य नहीं है कि जान-बूझकर इस तरह की रिपोर्ट विपक्षी सं0 2 द्वारा दी गयी। इसके अतिरिक्त परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध यह आरोप तो लगाया गया है कि उनके द्वारा सही तरीके से बच्चे का इलाज नहीं किया गया, लेकिन विपक्षीगण के विरूद्ध ऐसा कोई साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया है जिससे यह स्थापित हो सकता कि वस्तुतः विपक्षीगण द्वारा लापरवाही से इलाज किया गया जिससे परिवादिनी को क्षति पहुंची। उल्लेखनीय है कि वस्तुतः बच्चे को कोई भी क्षति नहीं हुई है। इन परिस्थितियों में मात्र परिवादिनी द्वारा यह कथन कि उसके बच्चे का सही तरीके से इलाज नहीं किया गया अथवा विपक्षी सं0 2 की पैथोलाॅजी द्वारा सही रिपोर्ट नहीं दी गयी सिद्ध नहीं होता है। साक्ष्य से यह सिद्ध नहीं होता है कि पैथोलाॅजी द्वारा गलत तरीके से रिपोर्ट तैयार की गयी। परिणामस्वरूप, विपक्षीगण को पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर सेवा में कमी के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता, अतः यह परिवाद निरस्त होने योग्य है।
आदेश
    परिवाद निरस्त किया जाता है।
    उभय पक्ष अपना-अपना व्ययभार स्वयं वहन करेंगे।

(अंजू अवस्थी)                        (विजय वर्मा)
   सदस्य                           अध्यक्ष
दिनांकः    12 जनवरी, 2016

 
 
[HON'BLE MR. Vijai Varma]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Anju Awasthy]
MEMBER

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