Rajasthan

Jhunjhunun

324/2014

SARWAN KUMAR - Complainant(s)

Versus

AU FINANCE COMPANY - Opp.Party(s)

KAYAM SINGH

25 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 324/2014
 
1. SARWAN KUMAR
NAVALGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. AU FINANCE COMPANY
JHUNJHUNU
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 324/14

समक्ष:-    1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।     
            2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
            3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।

श्रवण कुमार पुत्र कुल्डाराम जाति जाट निवासी बसावा तहसील नवलगढ जिला झुन्झुनू (राज.)                                                  - परिवादी
                         बनाम
1.    एयु फाईनेन्स प्राईवेट लिमिटेड जरिये प्रबंधक कार्यालय घूमचक्कर के पास, पुलिस थाना के सामने, उदयपुरवाटी जिला झुंझुनू (राज0) 
2.    एयु फाईनेन्स प्राईवेट लिमिटेड जरिये प्रबंधक एच.ओ. 19-ए धोलेष्वर गार्डन अजमेर रोड़, जयपुर (राज0)                             - विपक्षीगण
        परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986 

उपस्थित:-
1.    श्री कायम सिंह, अधिवक्ता -  परिवादी की ओर से।
2.    श्री मनोज वर्मा, अधिवक्ता -  विपक्षीगण की ओर से।

                      - निर्णय -        दिनांक: 25.02.2015
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक         16.06.2014 को संस्थित किया गया। 
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी ने विपक्षीगण से दिनांक       31.03.2012 को वाहन टाटा एलपीटी 2515 रजिस्ट्रेषन नम्बर आर.जे. 14-2जी-5918 पर 6,00,000/-रूपये का फाईनेंस लिया था, जिसकी 25,000/-रूपये मासिक किष्त की गई थी। परिवादी द्वारा उक्त किष्ते हर महिने जमा करवाई जाती थी । अन्त में परिवादी द्वारा फाईनेन्स की सम्पूर्ण राषि मय ब्याज 3,21,000/-रूपये दिनांक         20.01.2014 को विपक्षीगण के यहां नगद जमा करवादी गई । परिवादी ने जब विपक्षीगण से उक्त वाहन की एन.ओ.सी. प्रमाण पत्र की मांग की तो विपक्षीगण द्वारा एन.ओ.सी. प्रमाण पत्र देने से इन्कार कर दिया गया।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षीगण से एन.ओ.सी. (ऋण चुकता प्रमाण पत्र) दिलवाया जाने का निवेदन किया।   
विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी व मिन विपक्षी कम्पनी के मध्य उत्पन्न विवाद का निपटारा अनुबंध की शर्त संख्या 27 के अनुसार जयपुर में ही करने का प्रावधान है, इसलिये यह परिवाद पत्र पोषणीय नहीं है। परिवादी को विपक्षीगण द्वारा वाहन टाटा एलपीटी 2515 रजिस्ट्रेषन नम्बर आर.जे. 14-2जी-5918 पर 6,00,000/-रूपये की ऋण सुविधा उपलब्ध करवाई गई थी जिसकी अदायगी परिवादी को अनुबंध के अनुसार 25500/-रूपये की 30 नियमित मासिक किष्तों में अदा की जानी थी परन्तु परिवादी द्वारा विपक्षी कम्पनी की तयषुदा शर्तो के अनुसार अदायगी नहीं की एवं अदायगी में चूक कर विवाद उत्पन्न कर दिया। 
परिवादी किष्तों की अदायगी में डिफाल्टर रहा, जिस पर विपक्षी कम्पनी द्वारा प्रष्नगत वाहन को अनुबंध की शर्तोनुसार अपने आधिपत्य में लिया जाकर बेचान कर बेचान राषि सुनिल कुमार दूत के खाते में समायेाजित करदी गई तथा बेचान राषि समायोजित किए जाने के पश्चात सुनिल कुमार दूत के जिम्में 1,75,795/-रूपये की राषि बकाया रही जिसकी अदायगी नहीं की गई है, इसलिये परिवादी वाहन टाटा एलपीटी 2515 रजिस्ट्रेषन नम्बर आर.जे. 14-2जी-5918 के संबंध में एन.ओ.सी. प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी द्वारा वाहन टाटा एलपीटी 2515 रजिस्ट्रेषन नम्बर आर.जे. 14-2जी-5918 पर विपक्षीगण से 6,00,000/-रूपये की ऋण सुविधा प्राप्त की गई। 
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ है कि परिवादी द्वारा दिनांक 20.01.2014 को ब्याज सहित सम्पूर्ण राषि नगद विपक्षीगण के यहां जमा करवादी गई है परन्तु उसे विपक्षी द्वारा एन.ओ.सी. जारी नहीं की गई जबकि विपक्षी की ओर से राषि सुनिल कुमार दूत के खाते में समायोजित किए जाने के पश्चात सुनिल कुमार दूत के जिम्में 1,75,795/-रूपये की राषि बकाया रही, जिसकी अदायगी नहीं की जाना बताया है।

 

 

 

 

विपक्षीगण की ओर से न्यायदृष्टांत 2003;2द्ध।तइण् स्त् 666 ;ैब्द्धए 1999;2द्ध।तइण् स्त् 638 ;ठवउइंलद्धए ;1997द्ध1 ैनचतमउम ब्वनतज ब्ंेमे 131ए  1997;1द्ध।तइण् स्त् 23 ;ैब्द्धए  ;1996द्ध4 ैनचतमउम ब्वनतज ब्ंेमे 704ए ।प्त्   1989 ैन्च्त्म्डम् ब्व्न्त्ज् 1239ए 1971;1द्ध ैनचतमउम ब्वनतज ब्ंेमे 286ए 1;1991द्धब्च्श्र 78ए ब्पअपस ।चचमंस 4168ध्2003. डध्ै ै ै ठ च् - डध्ै च्ंजमा म्दहपदममतपदह स्जकण् - ।दतण् छण्ब्ण् ब्वउचसंपदज छवण् 38ध्09 - थ्तपेज ।चचमंस छव 218ध्2004 के आदेष की प्रति पेष किये ।
उपरोक्त न्यायदृष्टांतों में माननीय न्यायाधिपति महोदय एवं माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा जो सिद्वंात प्रतिपादित किये गये हैं उनसे हम पूर्ण रूप से सहमत हैं लेकिन इस प्रकरण के तथ्य व परिस्थितियां भिन्न होने के कारण उपरोक्त न्यायदृष्टांत पूर्ण रूप से विपक्षी को मदद नहीं करते हैं। 


विद्वान् अधिवक्ता परिवादी की ओर से न्यायदृष्टांत 2014 क्छश्र ;ब्ब्द्ध 72 .  डनजीववज स्मंेपदह - थ्पदंदबम स्जकण् ;डध्ेद्धटेण् ैंइन ज्ञण् पेष किया।
उक्त न्यायदृष्टांतों का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। उपरोक्त न्यायदृष्टांतों में माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पालिसी के उल्लंघन के मामले में परिवादी को ग्राह्य दावे की राषि का 75 प्रतिषत हेतु हकदार होना माना है, जिनसे हम पूर्ण रूप से सहमत हैं। इस प्रकार से विपक्षी बीमा कम्पनी किसी भी तरह से अपने उत्तरदायित्व से विमुख नहीं हो सकती ।
इस प्रकार हस्तगत परिवाद में विपक्षी बीमा कम्पनी के उपरोक्त कथन को तर्क के तौर पर मान भी लिया जावे कि परिवादी के पति द्वारा वाहन को वाणिज्यक उपयोग हेतु चलाया जा रहा था तो भी उपरोक्त न्यायदृष्टांतों की रोषनी में विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी के पति स्व0 कालूराम की दुर्घटना में हुई मृत्यु के सम्बंध में ग्राह्य दावे की राषि की 75 प्रतिषत  क्षतिपूर्ति राषि परिवादी विपक्षी से प्राप्त करने की अधिकारी है।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी बीमा कम्पनी आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि ग्राह्य दावे की राषि की 75 प्रतिषत राषि विपक्षी बीमा कम्पनी, परिवादी को 1,50,000/रुपये (अक्षरे रूपये एक लाख पचास हजार मात्र) बीमा क्लेम राषि परिवादी के पति स्व0 कालूराम की दुर्घटना में हुई मृत्यु के लिये बतौर क्षतिपूर्ति के रूप में एक मुष्त अदा करे। परिवादी उक्त राषि पर विपक्षी से संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 16.04.2013 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।  
   निर्णय आज दिनांक 10.12.2014 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 

 

 

 

 

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