(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या- 511/2022
(जिला उपभोक्ता आयोग, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या- 396/2018 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07-04-2022 के विरूद्ध)
यूनियन आफ इण्डिया द्वारा जनरल मैनेजर, नार्थ इस्टर्न रेलवे गोरखपुर।
बनाम
अतुल कुमार पुत्र स्व0 देवसरन श्रीवास्तव, निवासी- हाउस नं० सी-102/963, ऊषा निकेतन मोहद्दीपुर पोस्ट कूड़ाघाट पुलिस स्टेशन कैण्ट जनपद गोरखपुर।
समक्ष :-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्ता श्रीमती संध्या दूबे
प्रत्यर्थी की ओर से - विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा
दिनांक : 15-12-2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी, यूनियन आफ इण्डिया द्वारा जनरल मैनेजर, द्वारा विद्वान जिला आयोग गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या- 396/2018 अतुल कुमार बनाम यूनियन आफ इण्डिया द्वारा जनरल मैनेजर, में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07-04-2022 के विरूद्ध इस आयोग के समक्ष योजित की गयी है।.
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वाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने ऑनलाइन आरक्षण अवध आसाम एक्सप्रेस के एसी-2 में गोरखपुर से सूरत जंक्शन जाने के लिए पारिवारिक सामारोह में शामिल होने हेतु कराया था। परिवादी दिनांक 29-07-2018 को गोरखपुर जंक्शन से उक्त ट्रेन में बैठ गये और अपना सामान रख दिया तथा अटैची को जंजीर से बांध दिया और परिवादी की पत्नी अपना पर्स अपने सिर के पास चादर से छिपा कर सो गयी, जब ट्रेन गोरखपुर से चली तो ट्रेन के दरवाजे खुले थे। परिवादी की पत्नी अपना पर्स सिर के नीचे रखे हुए थीं जिसमें उसका हीरा जडि़त हार, सोने की चेन, हीरा लगा सोने का कान का सेट एवं पर्स में रखा 1,00,000/-रू० नगद चोरी हो गया। परिवादी ने रेलवे को घटना की सूचना दी जिस पर रेलवे द्वारा यह कहा गया यदि चोरी की कोई घटना घटित हुयी है तो वह परिवादी की लापरवाही एवं उपेक्षा के कारण घटित हुयी है। रेलवे कर्मचारियों के सहयोग से जी०आर०पी० चारबाग रेलवे स्टेशन पर प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत की गयी। विवश होकर परिवाद जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
विपक्षी का कथन है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने के बाद विवेचना जारी है। परिवादी की पत्नी का रेलवे यात्रा के दौरान चोरी गया उक्त मोबाइल भी न्यायालय ने मुक्त कर दिया है। उनकी ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।
विद्वान जिला आयोग द्वारा विपक्षी की सेवा में कमी पाते हुए परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया है:-
साक्ष्य के उपरोक्त विवेचना के आधार पर विपक्षी भारत संघ जरिये महाप्रबन्धक पूर्वात्तर रेलवे गोरखपुर को आदेश दिया जाता है कि वे परिवादी को रेलवे यात्रा के दौरान विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा किये गये कर्तव्य भंग, जो सेवा में कमी है के कारण चोरी में हुयी हानि के रूप में रू० 3,83,296/- एवं उस पर वाद कारण की तिथि से 08 प्रतिशत
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वार्षिक ब्याज की दर से इस आदेश से दो माह के भीतर भुगतान करें। सामाजिक, आर्थिक व मानसिक क्षति के लिए मांगे गये अनुतोष के लिए 2,00,000/-रू० के एवज में 75,000/-रू० का भुगतान करें। उक्त अवधि में चूक की स्थिति में उक्त समस्त धनराशि 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से देय होगा।
जिला आयोग के निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी यूनियन आफ इण्डिया की ओर से यह अपील योजित की गयी है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्रीमती संध्या दूबे उपस्थित हुयीं एवं प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा उपस्थित हुए।
अपीलार्थी/विपक्षी की विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है। अत: प्रस्तुत अपील निरस्त की जावे।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के अनुकूल है जिसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
मेरे द्वारा उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्ताद्व्य के तर्क को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का गम्भीरता से परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
परिशीलनोपरान्त यह पाया गया कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधि अनुसार है। जिला आयोग द्वारा कर्मचारियों द्वारा सेवा में की गयी कमी को दृष्टिगत रखते हुए
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3,83,296/- परिवादी को दिलाए जाने हेतु विपक्षी को आदेशित किया है जो उचित है, परन्तु सामाजिक, आर्थिक एवं मानसिक कष्ट के एवज में प्रदान की गयी धनराशि रू० 75,000/ अत्यधिक है जिसे संशोधित करते हुए रूपये 20,000/- किया जाना उचित प्रतीत होता है। साथ ही वाद व्यय के रूप में 5000/-रू० प्रदान किया जाना उचित प्रतीत है। उपरोक्त समस्त धनराशि 08 प्रतिशत को संशोधित करते हुए 07 प्रतिशत वार्षिक दर से देय होगी। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को उपरोक्त प्रकार से संशोधित करते हुए विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वे रू० 3,83,296/- 07 प्रतिशत वार्षिक की दर से परिवादी को इस निर्णय की तिथि से 02 माह की अवधि में अदा करें। सामाजिक, आर्थिक एवं मानसिक कष्ट के एवज में प्रदान की गयी धनराशि रू० 75,000/ को संशोधित करते हुए रूपये 20,000/- किया जाता है। साथ ही वाद व्यय के रूप में 5000/-रू० प्रदान किया जाने हेतु भी विपक्षी को आदेशित किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।.
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
कृष्णा आशु० कोर्ट-1