SMT. RAJNI PARTE filed a consumer case on 04 Apr 2014 against ATUL INTERPISESS in the Seoni Consumer Court. The case no is CC/11/2014 and the judgment uploaded on 16 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक 112014 प्रस्तुति दिनांक-27.01.2014
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
श्रीमति रजनी, पतिन ष्याम परते, उम्र
लगभग 21 वर्श, निवासी ग्राम-बगलर्इ
(उगली रोड), पोस्ट केवलारी, तहसील
केवलारी, जिला सिवनी (म0प्र0)।.........................आवेदकपरिवादी।
:-विरूद्ध-:
(1) अतुल इंटरप्रार्इजेज,
प्रोपरार्इटर अतुल जैन, मेन रोड
लखनादौन, जिला सिवनी (म0प्र0)।
(2) प्रबंधक,
केल लिमिटेड, आटो कार कम्पाउंड,
अदालत रोड, औरंगाबाद, 431005
महाराश्ट्र।...........................................अनावेदकगणविपक्षीगण।
:-आदेश-:
(आज दिनांक- 04.04.2014 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादी ने यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, अनावेदक क्रमांक-2 निर्माता कम्पनी के उत्पाद, केल्वीनेटर फि्रज जो अनावेदक क्रमांक-1 से क्रय किया गया था, उसमें रहे दोश को दूर करने या बदलकर दूसरा फि्रज दिलाये जाने एवं हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2) अनावेदक-पक्ष मामले में उपसिथत नहीं हुये, उनके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गर्इ है।
(3) संक्षेप में परिवाद का सार यह है कि-अनावेदक क्रमांक-1 ने, परिवादी को अनावेदक क्रमांक-2 की कम्पनी का फि्रज अच्छी गुणवत्ता वाला होना कहकर और यह कहकर, दिनांक-25.04.2013 को विक्रय किया था कि-कोर्इ खराबी आने पर सर्विस इंजीनियर घर आकर सुधार कार्य आदि बिना परेषानी के कर देते हैं, तो परिवादी ने उक्त केल्वीनेटर माडल-आर.र्इ.एफ.के.डब्ल्यू.र्इ.-183एस.जी.-एस.आर.नंबर- 904822 राषि 10,290-रूपये में क्रय किया था, खरीदी के बाद से ही फि्रज में कूलिंग नहीं हो रही थी, जिसकी तुरंत सूचना देने पर, अनावेदक क्रमांक-1 ने सर्विस इंजीनियर बुलाकर ठीक करा देने का आष्वासन दिया था, जो कि- दो माह बीत जाने पर भी कोर्इ कार्यवाही न होने पर, अनावेदक क्रमांक-1 ने, परिवादी से कस्टमर केयर पर फोन लगाने कहा, परिवादी ने कस्टमर केयर पर भी दिनांक-27.06.2013 को षिकायत दर्ज करार्इ, जिसका षिकायत नंबर दिया गया, फिर भी कोर्इ कार्यवाही न होने पर, दिनांक-11.10.2013 को पुन: षिकायत की गर्इ, तो नया षिकायत नंबर दिया गया, फिर भी कोर्इ कार्यवाही न होने पर, दिनांक-23.10.2013 को रजिस्टर्ड- डाक के माध्यम से अनावेदकों को लिखित षिकायत भेजी गर्इ, जो कि- अनावेदक क्रमांक-1 ने डाक लेने से इंकार कर दिया और अनावेदक क्रमांक-2 निर्माता कम्पनी द्वारा न तो कोर्इ षिकायत का जवाब दिया गया, न ही षिकायत का समाधान किया गया। इस तरह परिवादी के प्रति- अनुचित व्यापार प्रथा व घोर उपेक्षा एवं लापरवाही का कृत्य अनावेदकों ने किया है, जबकि-फि्रज अभी वारंटी अवधि में है, जो कि-फि्रज में यदि कोर्इ सुधार योग्य दोश है, तो उसे सुधार कराये जाने अथवा बदलकर, नया फि्रज दिलाये जाने व हर्जाना 5,000-रूपये चाहा गया है।
(4) अनावेदकगण मामले में उपसिथत नहीं हुये, पर परिवादी ने ही साक्ष्य में षपथ-पत्र पेष कर, यह दर्षाया है कि-दिनांक-11.02.2014 को अनावेदकगण द्वारा, परिवादी के उक्त फि्रज को सुधारकर ठीक कर दिया गया है, परन्तु षिकायत पर कार्यवाही करने में अत्याधिक अनुचित विलंब किया गया है, ऐसे में जब फि्रज में परिवादी के संतोशप्रद रूप से दोश को दूर कर दिया गया है, तो मात्र निम्न विचारणीय प्रष्न षेश हैं:-
(5) (अ) क्या अनावेदकगण ने परिवादी द्वारा क्रय किये गये
उक्त फि्रज के दोश का सुधार करने में अनुचित
विलंब कारित कर, सेवा में कमी किया है?
(ब) सहायता एवं व्यय?
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(6) परिवादी-पक्ष की ओर से प्रदर्ष सी-1 की फि्रज खरीदी के बिल से यह पुश्ट है कि-परिवादी ने, अनावेदक क्रमांक-2 निर्माता कम्पनी के उत्पाद, केल्वीनेटर फि्रज को अनावेदक क्रमांक-1 की दुकान से दिनांक-25.04.2013 को क्रय किया था और परिवादी के अखणिडत षपथ- पत्र से यह भी स्पश्ट है कि-अनावेदक क्रमांक-1 को षिकायत किये जाने के अलावा, अनावेदक क्रमांक-2 निर्माता कम्पनी के कस्टमर केयर पर दिनांक-27.06.2013 को और पुन: दिनांक-11.10.2013 को परिवादी द्वारा षिकायत भेजी गर्इ थी, लेकिन उक्त षिकायत के समाधान का कोर्इ प्रयास न किये जाने पर, दिनांक-23.10.2013 को रजिस्टर्ड-डाक के माध्यम से अनावेदकों को नोटिस भेजा गया था, उक्त नोटिस की प्रति प्रदर्ष सी-2 और अनावेदक क्रमांक-2 को दिनांक-26.10.2013 को नोटिस प्राप्त हो जाने का पोस्टल अभिस्वीकृति-पत्र प्रदर्ष सी-4 पेष गया है, जबकि- अनावेदक क्रमांक-1 को भेजे गये रजिस्टर्ड-डाक से नोटिस की डाक लौटा दिये जाने पर, उक्त डाक लिफाफा प्रदर्ष सी-3 भी परिवादी की ओर से पेष किया गया है, जो कि-उक्त दस्तावेजों से यह सिथति तो स्पश्ट है कि-परिवादी के द्वारा, बार-बार षिकायत किये जाने पर भी और रजिस्टर्ड-डाक से नोटिस देने पर भी जब लगभग 7 माह तक फि्रज के दोश का सुधार नहीं किया गया, तब परिवादी ने यह परिवाद पेष किया है।
(7) लेकिन जहां-तक अनावेदक क्रमांक-1 जो परिवादी को उक्त फि्रज का मात्र विक्रेता है और अनावेदक क्रमांक-1 केल्वीनेटर फि्रज का कोर्इ डीलर या सर्विस सेन्टर हो, ऐसा परिवादी-पक्ष का भी कहना नहीं है, जो कि-अनावेदक क्रमांक-1 ने, अनावेदक क्रमांक-2 कम्पनी के कस्टमर केयर पर षिकायत दर्ज कराने का मार्गदर्षन ही परिवादी को दिया, ऐसे में अनावेदक क्रमांक-1 का कोर्इ दायित्व परिवादी के फि्रज को ठीक कराने का नहीं रहा है, इसलिए अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी किया जाना स्थापित नहीं।
(8) लेकिन अनावेदक क्रमांक-2 के कम्पनी का उत्पाद जो प्रदर्ष सी-5 के वारंटी षर्तों के आधीन वारंटी अवधि में था, तो वारंटी अवधि में षिकायत प्राप्त होने पर, तत्काल सुधारकर दोश दूर करने का दायित्व अनावेदक क्रमांक-2 का रहा है। अनावेदक क्रमांक-2 ने परिवादी की बार-बार षिकायत प्राप्त होने के बावजूद, लगभग नौ माह तक परिवादी के क्रयषुदा फि्रज का सुधार नहीं किया और जब परिवादी के द्वारा दो बार षिकायत दर्ज कराने फिर रजिस्टर्ड-डाक से लिखित नोटिस भेजने पर भी अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा षिकायत का समाधान नहीं किया गया। और जब परिवादी द्वारा यह परिवाद पेष किया गया और संमंस अनावेदक क्रमांक-2 पर तामिल हो गया, तब कहीं जाकर, अनावेदक क्रमांक-2 ने फि्रज में सुधार कर दोश को दूर किया है, तो अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, परिवादी की बार-बार की गर्इ षिकायतों की उपेक्षा करने और वारंटी अवधि के अंदर खराब हुये फि्रज के दोश को दूर करने के लिए मैकेनिक भेजने में अनुचित, अत्याधिक विलम्ब कर, परिवादी के प्रति-सेवा में कमी की गर्इ है, जिसके फलस्वरूप परिवादी लगभग 10 माह तक फि्रज का उपयोग कर पाने से वंचित रहा है और बार-बार की गर्इ षिकायतों पर कोर्इ आष्वासन न मिलने से परिवादी को जो असुविधा व मानसिक कश्ट हुआ है, उक्त हेतु अनावेदक क्रमांक-2, परिवादी को हर्जाना अदा करने दायित्वाधीन है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(9) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श के आधार पर मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
(अ) अनावेदक क्रमांक-2 ने वारंटी अवधि में रहे परिवादी के
फि्रज के दोश का सुधार करने के षर्त की उपेक्षा करते
हुये, जो अनुचित विलम्ब कर, परिवादी के प्रति-सेवा में
कमी की है, उससे परिवादी को हुर्इ असुविधा व मानसिक कश्ट हेतु अनावेदक क्रमांक-2, परिवादी को 3,000-रूपये (तीन हजार रूपये) हर्जाना अदा करे।
(ब) अनावेदक क्रमांक-2, परिवादी को कार्यवाही-व्यय के रूप में 1,000-रूपये (एक हजार रूपये) अदा करे।
(स) उक्त अदायगी आदेष की प्रति प्राप्त होने से दो माह की अवधि के अंदर अनावेदक क्रमांक-2 करेगा।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी प्रतितोषण फोरम,सिवनी
(म0प्र0) (म0प्र0)
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