Uttar Pradesh

StateCommission

A/2637/2015

Bank Of Baroda - Complainant(s)

Versus

Atul Cold Storage - Opp.Party(s)

Vinay Shankar

26 Sep 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2637/2015
(Arisen out of Order Dated 27/11/2015 in Case No. C/57/1996 of District Etawah)
 
1. Bank Of Baroda
Etawah
...........Appellant(s)
Versus
1. Atul Cold Storage
Etawah
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Bal Kumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 26 Sep 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

(सुरक्षित)

अपील संख्‍या-2637/2015

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, इटावा द्वारा परिवाद संख्‍या 57/1996 में पारित आदेश दिनांक 27.11.2015 के विरूद्ध)

Bank of Baroda, Etawah Branch, Near Mohalla – Naurangabad Chauraha, City & District – Etawah through its Manager.                               

                              ....................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

Atul Cold Storage Private Limited, Dabagran Road, Etawah through its Managing Director Sri Om Prasad Purwar.

                                 ................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

एवं

अपील संख्‍या-2639/2015

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, इटावा द्वारा परिवाद संख्‍या 69/1996 में पारित आदेश दिनांक 27.11.2015 के विरूद्ध)

Bank of Baroda, Etawah Branch, Near Mohalla – Naurangabad Chauraha, City & District – Etawah through its Manager.                               

                              ....................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

Atul Cold Storage Private Limited, Dabagran Road, Etawah through its Managing Director Sri Om Prasad Purwar.

                                 ................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

एवं

अपील संख्‍या-2641/2015

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, इटावा द्वारा परिवाद संख्‍या 95/1996 में पारित आदेश दिनांक 27.11.2015 के विरूद्ध)

Bank of Baroda, Etawah Branch, Near Mohalla – Naurangabad Chauraha, City & District – Etawah through its Manager.                               

                              ....................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

Atul Cold Storage Private Limited, Dabagran Road, Etawah through its Managing Director Sri Om Prasad Purwar.

                                 ................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

3. माननीय श्री विजय वर्मा, सदस्‍य।

 

 

-2-

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  :  श्री विनय शंकर,                     

                             विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    :  श्री उमेश कुमार शर्मा,                     

                              विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 24-11-2016

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-57/1996 अतुल कोल्‍ड स्‍टोरेज प्राईवेट लि0 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर श्री ओम प्रसाद पुरवार बनाम बैंक आफ बड़ौदा, परिवाद संख्‍या-69/1996 अतुल कोल्‍ड स्‍टोरेज प्राईवेट लि0 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर श्री ओम प्रसाद पुरवार बनाम बैंक आफ बड़ौदा और परिवाद संख्‍या-95/1996 अतुल कोल्‍ड स्‍टोरेज प्राईवेट लि0 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर श्री ओम प्रसाद पुरवार बनाम बैंक आफ बड़ौदा में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, इटावा ने दिनांक 27.11.2015 को तीन अलग-अलग निर्णय और      आदेश पारित किया है, जिससे क्षुब्‍ध होकर क्रमश: उपरोक्‍त अपील    संख्‍या-2637/2015, 2639/2015 और 2641/2015 विपक्षी बैंक आफ बड़ौदा की ओर से धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है। तीनों अपीलों के पक्षकार एक ही हैं और तीनों अपीलों में विचारणीय बिन्‍दु एक ही है। अत: तीनों अपीलों का निस्‍तारण एक संयुक्‍त निर्णय के द्वारा किया जा रहा है।

     तीनों अपीलों में अपीलार्थी बैंक की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री विनय शंकर और प्रत्‍यर्थी अतुल कोल्‍ड स्‍टोरेज की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री उमेश कुमार शर्मा उपस्थित आए हैं।

 

-3-

हमने तीनों अपीलों में उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता की परिधि में नहीं आता है। अत: उसके द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद ग्राह्य नहीं है और जिला फोरम द्वारा पारित तीनों आक्षेपित निर्णय और आदेश अधिकार रहित और विधि विरूद्ध हैं।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने अपील का विरोध किया है और तर्क किया है कि तीनों परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत ग्राह्य हैं। जिला फोरम ने तीनों परिवाद स्‍वीकार कर कोई गलती नहीं की है।

     हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

परिवाद संख्‍या-57/1996 में परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी अतुल कोल्‍ड स्‍टोरेज प्रा0लि0 एक प्रा0लि0 कम्‍पनी है और कम्‍पनी एक्‍ट के अन्‍तर्गत पंजीकृत संस्‍था है। उसके मैनेजिंग डायरेक्‍टर श्री ओम प्रसाद पुरवार हैं, जिन्‍हें परिवाद प्रस्‍तुत करने का अधिकार है। परिवाद पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने आगे कहा है कि परिवादी का चालू खात नं0 961 विपक्षी बैंक के यहाँ परिवादी कोल्‍ड स्‍टोरेज के नाम है, जिसमें दिनांक 08.04.1991 को बैंक कर्मचारियों की भूल के कारण साढ़े सात लाख रूपया प्रत्‍यर्थी/परिवादी के उक्‍त खाते में डाल दिया  गया,  जिसकी  जानकारी  दिनांक  08.04.1991  को

 

-4-

प्रत्‍यर्थी/परिवादी को नहीं हो सकी। जानकारी होने पर        दिनांक 24.12.1991 को उसने साढ़े सात लाख रूपया बैंक में जमा करा दिया, परन्‍तु बाद में उसे ज्ञात हुआ कि अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के कर्मचारियों ने नाजायज तरीके से एक लाख सत्‍ताइस हजार एक सौ बारह रूपया बतौर हर्जा ब्‍याज प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में डाल दिया है। यह जानकारी होने पर उसने आपत्ति प्रस्‍तुत की। फिर भी अपीलार्थी/विपक्षी बैंक ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विरूद्ध आर0सी0 जारी करने की धमकी दी। तब दबाव में आकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उपरोक्‍त धनराशि एक लाख सत्‍ताइस हजार एक सौ बारह रूपया अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को अदा कर दिया। परिवाद पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कहा है कि उपरोक्‍त धनराशि एक लाख सत्‍ताइस हजार एक सौ बारह रूपया पर जो अपीलार्थी/विपक्षी बैंक ने ब्‍याज रिजर्व बैंक आफ इण्डिया की दर से चार्ज किया है वह अनुचित है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी कोल्‍ड स्‍टोरेज पर उत्‍तर प्रदेश एग्रीकल्‍चर क्रेडिट एक्‍ट 1973 लागू होता है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी बैंक ने रिजर्व बैंक आफ इण्डिया की दर से जो ब्‍याज आरोपित किया है, वह अनुचित है।

परिवाद संख्‍या-69/1996 में भी परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी एक प्रा0लि0 कम्‍पनी है और कम्‍पनी एक्‍ट के अन्‍तर्गत पंजीकृत संस्‍था है। उसके मैनेजिंग डायरेक्‍टर श्री ओम प्रसाद पुरवार हैं, जिन्‍हें परिवाद प्रस्‍तुत करने का अधिकार है। इस परिवाद पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी कोल्‍ड स्‍टोरेज उत्‍तर प्रदेश एग्रीकल्‍चर क्रेडिट

 

-5-

एक्‍ट 1973 की परिधि में आता है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी बैंक ने परिवादी द्वारा दिनांक 02.04.1991 को विपक्षी बैंक से लिए गए उनतीस लाख रूपए के ऋण पर रिजर्व बैंक आफ इण्डिया की दर से जो ब्‍याज आरोपित किया है, वह अनुचित है।

परिवाद संख्‍या-95/1996 में भी परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी एक प्रा0लि0 कम्‍पनी है और कम्‍पनी एक्‍ट के अन्‍तर्गत पंजीकृत संस्‍था है। उसके मैनेजिंग डायरेक्‍टर श्री ओम प्रसाद पुरवार हैं, जिन्‍हें परिवाद प्रस्‍तुत करने का अधिकार है। इस परिवाद पत्र में भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी कोल्‍ड स्‍टोरेज उत्‍तर प्रदेश एग्रीकल्‍चर क्रेडिट एक्‍ट 1973 की परिधि में आता है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी बैंक ने परिवादी कोल्‍ड स्‍टोरेज के कैश क्रेडिट एड़हाक खाते पर रिजर्व बैंक आफ इण्डिया की प्रचलित दर से जो ब्‍याज आरोपित किया है, वह अनुचित है।

उपरोक्‍त तीनों परिवाद में अपीलार्थी/विपक्षी बैंक ने अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है और परिवाद का विरोध किया है। तीनों परिवाद में अपीलार्थी/विपक्षी बैंक ने अपने लिखित कथन में स्‍पष्‍ट कथन किया है कि बैंक और परिवादी के बीच समस्‍त लेनदेन व्‍यापारिक लेनदेन है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी उपभोक्‍ता की परिधि में नहीं आता है और उसके द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत ग्राह्य नहीं है।

उपरोक्‍त तीनों परिवाद पत्र के कथन से यह स्‍पष्‍ट है     कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी एक प्रा0लि0 कम्‍पनी है और कम्‍पनी एक्‍ट  के

 

-6-

अन्‍तर्गत पंजीकृत संस्‍था है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपने व्‍यापार के सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी/विपक्षी बैंक से लोन लिया है या खाता खोला है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी एवं अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के बीच हुआ यह  करार पूर्ण रूप से व्‍यवसायिक उद्देश्‍य के लिए है। ऐसी स्थिति में शमीना जहां बनाम स्‍टेट बैंक आफ इण्डिया व एक अन्‍य      I (2016) C.P.J. 430 N.C. के वाद में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्‍त के आधार पर धारा-2 (1) (डी) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत प्रत्‍यर्थी/परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है और उसके द्वारा प्रस्‍तुत तीनों परिवाद ग्राह्य नहीं है। अत: जिला फोरम द्वारा तीनों परिवाद में पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अधिकार रहित और विधि विरूद्ध हैं। ऐसी स्थिति में जिला फोरम के तीनों आक्षेपित निर्णय पर गुणदोष के आधार पर आगे विचार किए जाने की आवश्‍यकता नहीं है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर हम इस मत के हैं कि अपीलार्थी/विपक्षी बैंक की ओर से प्रस्‍तुत उपरोक्‍त तीनों अपीलें स्‍वीकार किया जाना और जिला फोरम के तीनों आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त करते हुए प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत तीनों परिवाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी को इस छूट के साथ निरस्‍त किया जाना उचित है कि परिवादी विधि के अनुसार सक्षम न्‍यायालय या अधिकारी के समक्ष उचित कार्यवाही करने हेतु स्‍वतंत्र हैं।

आदेश

     उपरोक्‍त तीनों अपीलें स्‍वीकार की जाती हैं और जिला  फोरम  द्वारा  पारित  तीनों  आक्षेपित   निर्णय   और   आदेश      

-7-

दिनांक 27.11.2015 अपास्‍त किये जाते हैं तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत उपरोक्‍त तीनों परिवाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी को इस छूट के साथ निरस्‍त किए जाते हैं कि वे विधि के अनुसार सक्षम न्‍यायालय या अधिकारी के समक्ष उचित कार्यवाही करने हेतु स्‍वतंत्र हैं।

उपरोक्‍त तीनों अपीलों में अपीलार्थी द्वारा धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत जमा की गयी धनराशि अपीलार्थी को नियमानुसार वापस कर दी जाएगी।

इस निर्णय की एक-एक प्रति अपील संख्‍या-2639/2015 एवं अपील संख्‍या-2641/2015 में भी रखी जाए।

 

    

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)   (बाल कुमारी)    (विजय वर्मा)       

    अध्‍यक्ष                   सदस्‍य         सदस्‍य          

 

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1     

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Bal Kumari]
MEMBER

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