Rajasthan

Kota

CC/40/2007

Brij Mohan Vyas - Complainant(s)

Versus

Assitent Engineer, Jan Swasath Abhiyantriki Vibhaag - Opp.Party(s)

Dinesh Raay Drivedi

08 Feb 2016

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, झालावाड,केम्प कोटा ।
पीठासीन अधिकारी:-श्री नन्दलाल षर्मा,अध्यक्ष व श्री महावीर तंवर सदस्य।

प्रकरण संख्या-40/2007
    
बृजमोहन व्यास पुत्र श्री प्रभू लाल जी निवासी-167 षास्त्री नगर,दादाबाडी, कोटा(राज0)।
                                                           -परिवादी।
                  बनाम  

जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग,
राजस्थान सरकार, द्वारा सहायक अभियन्ता,
राजस्व उपखण्ड, तृतीय, कोटा (राज0)।
                                                            -विपक्षी।

     परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थिति-

1    श्री दिनेष राय द्विवेदी,अधिवक्ता ओर से परिवादी।
2    श्री रितेष मेवाडा़,अधिवक्ता ओर से विपक्षी।                                        
                 
                 निर्णय                   दिनांक 08.02.2016    


यह पत्रावली जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा में पेष की गई तथा निस्तारण हेतु जिला मंच झालावाड केम्प कोटा को प्राप्त हुई है।

      प्रस्तुत परिवाद ब्वदेनउमत च्तवजमबजपवद ।बज 1986 की धारा 12 के तहत दिनांक 30-11-2006 को परिवादी ने इन अभिवचनों के साथ प्रस्तुत किया है कि परिवादी विगत 34 वर्शों से विपक्षी का उपभोक्ता है। परिवादी के जल कनेक्षन की कुन्जी संख्या 62-10-69 व खाता संख्या 13641 है। विगत 3-4 सालों से परिवादी का द्विमासिक बिल 100-131/-रूपये के मध्य आता रहा है। जनवरी 2006 में 
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परिवादी के यहाँ लगा हुआ मीटर विपक्षी ने स्वय ही बदल दिया और इस मीटर के बदलने के बाद मार्च-अप्रैल 2006 का बिल 543/-रूपये का मई-जून 2006 का बिल 1,650/-रूपये का तथा जुलाई-अगस्त 2006 का बिल 478/-रूपये का प्राप्त हुआ। परिवादी ने मार्च अप्रैल के बिल का भुगतान तो कर दिया लेकिन परिवादी के बाहर होने के कारण मई-जून के बिल की राषि जमा नहीं हो सकी। इसके बाद जुलाई-अगस्त के बिल में यह राषि जोड़कर कुल 2128/-रूपये का बिल भेजा है। परिवादी विगत 34 वर्श में इतना अधिक पानी का उपयोग नहीं किया है जितना कि मार्च से अगस्त तक के बिलों में प्रदर्षित किया गया है। विपक्षी ने जो मीटर लगाया है, वह दोशपूर्ण है जिसके कारण अधिक राषि के बिल प्राप्त हुए हैं। परिवादी ने विपक्षी को इस सम्बन्ध में लिखित में भी निवेदन किया लेकिन विपक्षी ने मीटर की जांँच नहीं की। विपक्षी का यह कृत्य सेवादोश है। परिवादी ने मार्च 2005 से फरवरी 2006 तक की अवधि में प्राप्त बिलों के आधार पर एवरेज निकालकर अथवा नये मीटर पर आने वाली रीडिंग के आधार पर एवरेज निकालकर उसके आधार पर प्रदान करें साथ ही क्षतिपूर्ति के रूप में 20,000/-रूपये दिलवाये जायें।

     विपक्षी ने परिवाद का यह जवाब दिया है कि विपक्षी ने जाँच करने पर पाया कि परिवादी द्वारा खरीदषुदा मीटर बन्द है एवं एवरेज से बिल दिया जा रहा है व आवास में पानी की खपत अधिक है। उपभोक्ता से नया मीटर प्रस्तुत करने का निवेदन किया लेकिन एक वर्श तक नया मीटर प्रस्तुत न करने पर विपक्षी ने विभागीय मीटर लगा दिया और पानी की खपत के अनुसार बिल जारी किये गये हैं। परिवादी ने विवादित बिल 3/2006 से 8/2006 तक के प्राप्त होने के बाद स्वयं का मीटर प्रस्तुत किया जिसे टेस्ट करके उपभोक्ता के यहाँ लगवा दिया गया 

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है। विपक्षी ने कोई सेवामें कमी नहीं की है। परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है। 

     परिवाद के समर्थन में परिवादी ने स्वयं के षपथ पत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में   म्ग.1 लगायत म्ग.11 दस्तावेज तथा विपक्षी की ओर से जवाब के समर्थन में श्री नरेष गौतम,सहायक अभियन्ता, का षपथ पत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्गक.1 लगायत म्गक.2 दस्तावेज प्रस्तुत किये हंै।

    उपरोक्त अभिवचनों के आधार पर बिन्दुवार निर्णय निम्न प्रकार है:-
1    क्या परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है ?

    परिवादी का परिवाद,षपथ-पत्र तथा प्रस्तुत दस्तावेजात के आधार पर परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता होना प्रमाणित पाया जाता है। 
2    क्या विपक्षी ने सेवामें कमी की है ?

  उभयपक्षों को सुना गया। पत्रावली का अवलोकन किया तो स्पश्ट हुआ कि परिवादी ने विपक्षी द्वारा जारी किये गये मार्च-अपै्रल 2006, मई-जून 2006 तथा जुलाई-अगस्त 2006 के बिलों में आपत्ति की है। विपक्षी मीटर की रीडिंग के अनुसार बिल जारी करना बताते हैं। पत्रावली में उपलब्ध विवादित बिलों की फोटो काॅपी से स्पश्ट है कि जुलाई-अगस्त के बिलों में पिछली बकाया राषि भी जोड़ दी है और यह बिल 2,128/-रूपये का जारी किया है। इस संबंध में पत्रावली में उपलब्ध रिकाॅर्ड के अनुसार स्पश्ट होता है कि परिवादी के कथनानुसार तीन या चार वर्ष से दो माह का बिल 100/-रूपये व 131/-रूपये के बीच आता था परन्तु परिवादी का मीटर बदल दिया गया इसलिए रीडिंग अत्यधिक आयी। तत्पष्चात् परिवादी के अनुरोध पर दिनांक 20-09-2006 को परिवादी ने स्वयं का 
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मीटर लगाया उसमें रीडिंग इतनी नहीं आयी जितनी विपक्षी द्वारा बदले गये मीटर की रीडिंग थी। सितम्बर-अक्टूबर-2006 के बिल में गत पठन और वर्तमान पठन षून्य दिखाया गया है और 495/-रूपये का बिल औसत के आधार पर दिया है। पत्रावली में संलग्न बिल म्ग.5 में भी वर्तमान पठन और गत पठन 0-0 दिखाकर औसत के आधार पर बिल दिया गया है। जब परिवादी को मीटर की गलती या मीटर रीडर की गलती की आपत्ति है तो विपक्षी को गत पठन और वर्तमान पठन बिल में अंकित करना चाहिए था यह भी उस स्थिति में जब विपक्षी द्वारा बदले गये मीटर में पानी के उपभोग की रीडिंग ज्यादा आ रही हो और स्वयं परिवादी द्वारा बाजार से खरीदे गये मीटर में रीडिंग कम आ रही हो। ऐसी स्थिति में विपक्षी द्वारा गत पठन और वर्तमान पठन का अंकन नहीं करना तथा जितना पानी का उपभोग बताया गया है उतना संभवतः एक फेमिली द्वारा नहीं किया जाता। इसको विपक्षी ने किसी भी प्रकार से प्रमाणित भी नहीं किया है। इस तथ्य से विपक्षी द्वारा स्थापित मीटर गलत होने की पूरी सम्भावना है और इस गलत मीटर पर औसत के आधार पर बिल नहीं देना तथा गत पठन और वर्तमान पठन का अंकन नहीं करना विपक्षी का सेवादोश प्रमाणित करता है।
3    अनुतोश ?

    परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षी आंषिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है।
                            आदेष  
       परिणामतः परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षी आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि:-

 

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1    विपक्षी परिवादी के विवादित चारों बिलों की राषि पर विचार कर संषोधित बिल जारी करें।
2    विपक्षी परिवादी को 2,000/-रूपये (अक्षरे दो हजार रूपये) मानसिक और षारीरिक क्षति के और 3,000/-रूपये (अक्षरे तीन हजार रूपये) परिवाद व्यय के अदा करें। 
3    विपक्षी आदेष की पालना निर्णय सुनाये जाने की तारीख से दो माह में अदा करना सुनिष्चित करें अन्यथा ताअदाएगी सम्पूर्ण भुगतान उक्त राषि पर 9ः वार्शिक ब्याज दर से ब्याज भी अदा करने के लिए दायित्वाधीन होगा।
4    विपक्षी लापरवाह व दोशी अधिकारी/कर्मचारी से उक्त राषि वसूल करने के लिए स्वतंत्र है।

         (महावीर तंवर)                                       (नन्द लाल षर्मा)
      सदस्य                                   अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच                          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
      झालावाड केम्प,कोटा (राज0)                                झालावाड केम्प,कोटा (राज0)

 

       निर्णय आज दिनंाक 08.02.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 

         (महावीर तंवर)                                       (नन्द लाल षर्मा)
      सदस्य                                   अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच                          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
      झालावाड केम्प,कोटा (राज0)                                झालावाड केम्प,कोटा (राज0)

 

 

 

 

 

 

 

 

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