Rajasthan

Kota

CC/37/2008

Arjun kishor tikar - Complainant(s)

Versus

Assitance Engineer, JVVNL - Opp.Party(s)

Kamal kumar sahu

06 Jan 2016

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, झालावाड,केम्प कोटा (राज)।
पीठासीन अधिकारी:-श्री नन्दलाल षर्मा,अध्यक्ष व श्री महावीर तंवर सदस्य।

प्रकरण संख्या-37/2008
    
अर्जुन किषोर टिंकर पुत्र श्री कजोड लाल टिंकर,निवासी-इटावा,जैन मंदिर के पास, जिला कोटा (राज0)।
                                                               -परिवादी।
                         बनाम  

1    सहायक अभियन्ता,जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, इटावा।
2    अधिषाशी अभियन्ता, हैड आॅफिस, कोटा। श्रटटछस्
                                                -विपक्षीगण।

     परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थिति-

1    श्री कमल कुुमार साहू,अधिवक्ता ओर से परिवादी।
2    श्री ष्याम बिहारी भार्गव,अधिवक्ता ओर से विपक्षीगण।                                        
                 
                     निर्णय                   दिनांक 06.01.2016    

यह पत्रावली जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा में पेष की गई तथा निस्तारण हेतु जिला मंच झालावाड केम्प कोटा को प्राप्त हुई है।

      प्रस्तुत परिवाद ब्वदेनउमत च्तवजमबजपवद ।बज 1986 की धारा 12 के तहत दिनांक 14-05-2007 को परिवादी ने इन अभिवचनों के साथ प्रस्तुत किया है कि परिवादी आयुर्वेदिक चिकित्सक है और जड़ी बूटियों से इलाज करके बमुष्किल पेट पालन करता है। विपक्षीगण द्वारा जारी किया गया बिल दिनांक 07-03-2007 जिसके भुगतान की तिथि 19-03-2007 थी जिसमें विद्युत उपभोग 106 यूनिट और कुल उपभोग 212 यूनिट था, इस प्रकार 852/-रूपये का बिल दिया। परिवादी जब इस बिल को ठीक करवाने के लिए गया तो अपमानित करके भगा दिया गया। इसकी मौखिक षिकायत विपक्षी-2 से भी  की 
                                 2

गई। इसी प्रकार जनवरी 2007 के बिल में भी उपभोग यूनिट 114 यूनिट बताया गया लेकिन बिल 228 यूनिट का दिया जिसे परिवादी के कम पढ़े लिखे बच्चे ने जमा करा दिया था। विपक्षीगण ने मार्च 2006 के बिल में भी वर्तमान पठन में से गत पठन काटकर कुल उपभोग 30 यूनिट का बताया और बिल 60 यूनिट का भेजा था जिसकी राषि भी परिवादी के बच्चे ने 346/-रूपये जमा करा दिये। नवम्बर 2006 में कुल उपभोग यूनिट 93 बताकर 186 यूनिट का बिल 1,573/-रूपये का भेजा जिसे परिवादी के बच्चे ने जमा करवा दिया। विपक्षीगण ने इसी तरह से जुलाई 2006 के बिल में 278 यूनिट का उपभोग सही बताया लेकिन बिल गलत दिया और उसकी राषि 1,359/-रूपये से 999/-रूपये की गई जिसे परिवादी ने जमा कर दिया। फिर मई 2006 में 30 यूनिट का उपभोग बताकर 60 यूनिट का 225/-रूपये का बिल भेजा जिसे जमा कर दिया। इस प्रकार विपक्षीगण ने उक्त बिलों के जरिये अधिक राषि प्राप्त करके सेवामें कमी की है। परिवादी ने यह अनुतोश चाहा है कि विपक्षीगण से अधिक प्राप्त की गई राषि वापिस दिलवायी जाये अथवा उस राषि को आगामी बिलों में समायोजित करवाया जाये तथा साथ ही क्षतिपूर्ति दिलायी जाये।

     विपक्षीगण ने परिवाद का यह जवाब दिया है कि परिवादी को मई 2007 में 212 यूनिट का बिल भेजा जो जमा नहीं किया, जनवरी 2007 में 225 यूनिट का बिल भेजा जिसे जमा नहीं किया। दिनंाक 25-11-2006 को 186 यूनिट का बिल भेजा जिसमें 868/-रूपये पुराना बकाया जोड़कर कुल राषि 1,573/-रूपये का बिल भेजा। दिनांक 24-07-2006 को 278 यूनिट का बिल भेजा जिसमें बिल की राषि 1,359/-रूपये के स्थान पर 999/-रूपये पार्ट पेमेण्ट के रूप में जमा किये। इस प्रकार परिवादी नियमानुसार बिल की राषि अदा नहीं करता है और मनगढ़न्त झूठा परिवाद प्रस्तुत कर दिया है। विपक्षीगण ने कोई सेवामें कमी नहीं की है। परिवादी कोई अनुतोश प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है। 

                              3

     परिवाद के समर्थन में परिवादी ने स्वयं का षपथपत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में   म्ग.1 लगायत म्ग.6 दस्तावेज तथा विपक्षीगण की ओर से जवाब के समर्थन में        श्री राजेष प्रकाष माथुर, सहायक अभियन्ता, का शपथपत्र प्रस्तुत किया है।  
    उपरोक्त अभिवचनों के आधार पर बिन्दुवार निर्णय निम्न प्रकार है:-
1    क्या परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है ?

      परिवादी का परिवाद,विपक्षीगण का जवाब,बिल की फोटो काॅपी आदि के आधार पर परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता प्रमाणित पाया जाता है। 
2    क्या विपक्षी ने सेवामें कमी की है ?

   उभयपक्षों को सुना गया, पत्रावली का अवलोकन किया गया तो स्पश्ट हुआ कि परिवादी ने मार्च 2007 के बिल तादादी 852/-रूपये को दुरूस्त करने के लिए परिवाद पेष किया है। यद्यपि इस बिल की राषि जमा करा दी गई है लेकिन गलत बिल जारी करने के आधार पर इसकी दुरूस्ति का निवेदन किया है। विपक्षीगण ने उक्त तर्कों का खण्डन किया है और निवेदन किया है कि परिवादी ने जितने यूनिट बिजली का उपयोग उपभोग किया है,उसका ही बिल जारी किया गया है। इतना अवष्य है कि कई माह की बिल राषि पूरी जमा नहीं करने की बजह से पार्ट पेमेण्ट जमा कराया है। पार्ट पेमेंट को परिवादी दुरूस्ति मानता है जबकि दुरूस्ति न होकर यह तो पार्ट पेमेण्ट जमा कराया है। षेश राषि परिवादी को जमा करानी थी और जो राषि जमा नहीं करायी थी वह आगामी बिलों में जोड़ दी गई है इसलिए विपक्षी की विद्युत यूनिट का जितना उपयोग उपभोग किया गया है उसकी राषि का बिल परिवादी को जारी किया गया है। पार्ट पेमेंट माह जुलाई 2006 व मई 2006 व मई 2006 के बिलों का किया गया है षेश बिल की राषि आगामी बिल में जोड़ी गई है। यह मनमानी राषि नहीं लगायी है, सिर्फ विद्युत उपभोग की राषि का ही बिल दिया है, ऐसी स्थिति में हमारे विचार से विपक्षीगण का किसी प्रकार का सेवादोश प्रमाणित नहीं पाया जाता है।

                          4 

3    अनुतोश ?

    प्रार्थी का परिवाद खिलाफ विपक्षीगण स्वीकार नहीं किये जाने से खारिज योग्य पाया जाता है। 
                                आदेष  
परिणामतः परिवाद परिवादी श्री अर्जुन किषोर टिंकर खारिज किया जाता है। प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृश्टिगत रखते हुए पक्षकारान अपना अपना खर्चा वहन करेंगे।
         (महावीर तंवर)                                       (नन्द लाल षर्मा)
      सदस्य                                   अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच                          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
      झालावाड केम्प,कोटा (राज0)                                झालावाड केम्प,कोटा (राज0)
                               

 

       निर्णय आज दिनंाक 06.01.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 


         (महावीर तंवर)                                       (नन्द लाल षर्मा)
      सदस्य                                   अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच                          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
      झालावाड केम्प,कोटा (राज0)                                झालावाड केम्प,कोटा (राज0)
                               
                                                 

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