राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-1650/2013
(जिला उपभोक्ता फोरम, शाहजहांपुर द्वारा परिवाद संख्या 214/2012 में पारित निर्णय दिनांक 21.06.13 के विरूद्ध)
1.आइडिया सेलुलर लि0, रजिस्टर्ड आफिस सुमन टावर्स प्लाट नं0 18
सेक्टर गांधी नगर, न्यू दिल्ली।
2.आइडिया सेलुलर लि0, सर्किल आफिस फार्चूना टावर्स, 10 राना प्रताप
मार्ग, लखनऊ। .......अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम्
आसमा खांन पत्नी श्री मोईज अहमद खान निवासी मोहल्ला अलीजई
पुलिस स्टेशन सार बाजार, जिला शाहजहांपुर।
.......प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : सुचिता सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : रफत जहां, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 20.12.2018
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम शाहजहांपुर द्वारा परिवाद संख्या 214/2012 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 21.06.2013 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है। जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है:-
‘’ विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि अपने विज्ञापन के अनुरूप तथा अपने स्वयं की स्वीकारोक्ति जो परिवाद पत्र की धारा 03 में लिखी है उसके अनुसार वह परिवादिनी को एक अल्टो कार प्रदान करे क्योंकि विपक्षी ने एस.एम.एस. भेजा कि वह प्रतियोगिता में अल्टो कार जीत गयी है।
विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि परिवादिनी को पहुंचायी गयी
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मानसिक प्रतिपूर्ति के रूप में रू 3000/- व वाद व्यय की मद में रू. 1000/- भी अदा करें।‘’
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी विपक्षी आइडिया सेलुलर कंपनी की एक उपभोक्ता है। दीवाली के अवसर पर आइडिया कंपनी ने एक योजना चलाई, जिसका शीर्षक ‘’ नये आइडिया सिम या रिचार्ज पर कार और हजारों के इनाम’’ था। परिवादिनी ने इस विज्ञापन से प्रभावित होकर इस कंपनी का एक नया सिम संख्या 786003469 खरीदा और विपक्षी के प्रचार पोस्टर में दिए गए नम्बर पर काल किया। परिवादिनी से कंप्यूटर ने 2 सवाल पूछे, जिनका सही उत्तर दिया गया। दि. 30.11.2012 शाम 18 बजकर 32 मिनट पर परिवादिनी के उपरोक्त नम्बर पर एस.एम.एस आया कि ‘’ आइडिया त्यौहारों की सौगात खेलने के लिए धन्यवाद आप जीत गए एक अल्टो कार ‘’ परिवादिनी के अनुसार वे इस संदेश को पाकर प्रसन्न हुई। उसने परिवार वालों को बताया और कंपनी के दूसरे संदेश का इंतजार करने लगीं। दि. 30.11.12 को ही कंपनी के नम्बर से दूसरा संदेश आया कि आपको अल्टो कार संबंधित जो एस.एम.एस आया है वह गलत है, उसको नजर-अंदाज करें। परिवादिनी के अनुसार विपक्षी के कस्टमर केयर से बात की तो बताया गया कि एस.एम.एस गलती से चला गया। विपक्षी के कृत्य से उसकी भावनाओं को ठेस पहुंची तथा विपक्षी ने अनुचित व्यापार प्रथा अपनाई और आम जनता को झूठे विज्ञापन देकर भ्रमित किया।
जिला मंच के समक्ष विपक्षी कंपनी ने वादोत्तर दाखिल किया और यह अभिकथन किया परिवाद गलत तथ्यों पर लाया गया है। विपक्षी ने यह स्वीकार किया कि परिवादिनी को मानवीय त्रुटि के कारण अल्टो कार जीतने का
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एस.एम.एस. भेज दिया गया था, जिसे बाद में नजर-अंदाज करने के लिए कहा गया, विपक्षी ने कोई अनुचित व्यापार नहीं किया।
पीठ ने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस सुनी एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं साक्ष्यों का भलीभांति परिशीलन किया गया।
अपीलार्थी ने अपने अपील आधार में यह अभिकथन किया है कि जिला मंच का निर्णय काल्पनिक है तथा तथ्यों एवं साक्ष्यों के विपरीत है। परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। विद्वान जिला मंच ने इस तथ्य की ओर ध्यान नहीं दिया कि अल्टो कार जीतने का एस.एम.एस. मानवीय भूल के कारण बहुत से व्यक्तियों को भेजा गया, जिसको कंपनी ने दूसरा एस.एम.एस. भेजकर सुधार कर लिया गया था, अल्टो कार केवल एक ही व्यक्ति को दी जानी थी।
यह तथ्य निर्विवाद है कि परिवादिनी विपक्षी दूरसंचार कंपनी आइडिया की उपभोक्ता है। विपक्षी कंपनी ने अपना व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से एक योजना चलाई और एक विज्ञापन नहीं दिया कि आइडिया सिमकार्ड क्रय करने व रीचार्ज करने पर निर्धारित शर्तों के अधीन एक कार व हजारों इनाम दिए जाएंगे। विपक्षी मोबाइल कंपनी ने इस तथ्य से इंकार नहीं किया है कि उनके द्वारा इस तरह का विज्ञापन दिया गया था। जिला मंच ने साक्ष्यों के आधार पर यह पाया था कि दी गई शर्तों के अनुसार परिवादी ने खेल में भाग लिया और जो सवाल कंप्यूटर द्वारा पूछे गए उसका उसने सही-सही जवाब दिया और उसको कंपनी ने इस आशय का एक एस.एम.एस भेजा कि वह एक अल्टो कार की विजेता हो गई है। अपीलार्थी का कथन है कि यह संदेश कई लोगों को मानवीय त्रुटि से भेजा गया था जिसे दूसरा एस.एम.एस. भेजकर स्थिति स्पष्ट
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कर दी गई थी कि पहले वाले एस.एम.एस. को नजर-अंदाज किया जाए। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क दिया गया कि अपीलकर्ता की कंपनी द्वारा ग्राहकों को प्रलोभन देने हेतु विज्ञापन छपवाया गया और कोई भी व्यापार करने के लिए झूठा प्रलोभन देना अनुचित व्यापार कहा जाता है। अपीलकर्ता का कृत्य अनुचित व्यापार की श्रेणी में आता है। विज्ञापन में केवल नि:शुल्क नम्बर पर काल करने के लिए कहा गया था। विज्ञापन पोस्टर में कोई शर्त नहीं दी गई थी और न ही कोई शर्तें आदि देखने हेतु कंपनी की वेबसाइट की मदद लेने की बात कही गई थी। सामान्यत: कुछ व्यावसायिक प्रतिष्ठान अपने सामानों की बिक्री के लिए भ्रामक विज्ञापन दे देते हैं जिससे भ्रमित होकर उपभोक्ता उनके सामानों को अधिक से अधिक मात्रा में क्रय करता है। इस प्रकरण में भी विपक्षी जो कि एक स्थापित मोबाइल सेवा देने की कंपनी है, अपने व्यापार को बढ़ाने के उद्देश्य से एक विज्ञापन दिया। ऐसे विज्ञापनों में नियम एवं शर्तें भी होती है जिनका प्रचार व्यावसायिक प्रतिष्ठान बहुत कम करने है और वे सामान्य व्यक्ति की जानकारी में नहीं होते हैं। सामान्य व्यक्ति वेबसाइट पर जाकर इन नियम व शर्तों को नहीं पढ़ता। इस प्रकरण में नियम और शर्तों के अनुसार केवल एक कार व अन्य उपहार दिए जाने थे, जो कंपनी द्वारा वितरित किए जा चुके हैं। परिवादी को विपक्षी ने एक एस.एम.एस भेजकर उसे अल्टो कार जीतने की सूचना दी, लेकिन बाद में कुछ ही देर बाद इस एस.एम.एस को गलती से भेजा जाना बताते हुए नकारने की अपेक्षा की गई। किसी बड़ी कंपनी से जिसके पास आधुनिक संसाधन उपलब्ध होते हैं उनको अत्यंत सावधानी बरतनी चाहए। उपभोक्ता बड़ी कंपनियों की साख के आधार पर ही उनके सामान को क्रय करती है और उन पर विश्वास करती है। विपक्षी को यह समझना चाहए कि एक बार एक कार जीतने का संदेश भेजकर
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उसे बाद में वापस लेना उपभोक्ता के लिए कितना मानसिक संताप हो सकता है। एकदम अचानक एक खुशी का माहौल देना और कुछ देर के बाद उसको वापस लेना एक साधारण मनुष्य की मानसिक स्थिति को विचलित कर सकता है। चूंकि इस कार विज्ञापन में केवल शर्तों के अनुसार एक ही अल्टो कार देनी चाहिए थी और वह कंपनी द्वारा विजेता को दी भी जा चुकी है, अत: कंपनी को यह बाध्य नहीं किया जा सकता कि वह दूसरी कार परिवादी को दे। परिवादी ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि जीतने के संदेश आने के कुछ देर के बाद इस संदेश को गलती से भेजा जाना तथा उसे नकारने का एस.एम.एस कंपनी द्वारा भेजा गया था। चूंकि कंपनी ने उसी दिन अपनी गलती को सुधार लिया था, अत: कंपनी को कार देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। इतना अवश्य है कि परिवादी को इन दोनों संदेशों से कभी खुशी कभी गम का माहौल पैदा हुआ और उसे मानसिक यातना हुई, जिसके लिए कंपनी उत्तरदायी है, अत: अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है तथा जिला मंच का निर्णय/आदेश इस रूप में संशोधित किया जाता है कि जिला मंच द्वारा निर्देशित अल्टो कार प्रदान करने का आदेश अपास्त किया जाता है। परिवादिनी विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति के रूप में रू. 10000/- व वाद व्यय के रूप में रू. 1000/- प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी।
निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध कराई जाए।
(राज कमल गुप्ता) (महेश चन्द )
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-3