राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-698/2016
(जिला उपभोक्ता फोरम, शाहजहांपुर द्वारा परिवाद संख्या 56/2014 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05.02.2016 के विरूद्ध)
मध्याचंल विद्युत वितरण निगम लि0 शाहजहांपुर द्वारा डि0
जनरल मैनेजर।
इलेक्ट्रिकसिटी डिस्ट्रीब्यूशन सब डिवीजन, रौजा, शाहजहांपुर द्वारा
एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, ईडीडी, रौजा, शाहजहांपुर।
असिस्टेन्ट इंजीनियर, रेवन्यू रौजा, शाहजहांपुर।
.........अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
बनाम्
आसिफ अली खां पुत्र श्री मुबारक अली खां निवासी मोहल्ला अहमदपुर,
शाहजहांपुर। ..............प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
3. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री सैय्यद फजल अब्बास रिजवी, विद्वान
अधिवक्ता।
दिनांक 26.11.2020
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम शाहजहांपुर द्वारा परिवाद संख्या 56/2014 आसिफ अली खान बनाम मध्याचंल विद्युत वितरण निगम में पारित निर्णय व आदेश दिनांकित 05.02.2016 से व्यथित होकर योजित की गई है।
2. मामले के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध उपरोक्त अभिकथन के साथ योजित किया गया है कि वह विद्युत का उपभोक्ता है। परिवादी ने कनेक्शन से संबंधित एकाउन्ट संख्या 7159687252 के मद में बिलों का संपूर्ण भुगतान समय-समय पर किया,
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किंतु विपक्षीगण ने पुन: इस कनेक्शन पर एकाउन्ट संख्या 8102702000 दर्शाते हुए फर्जी बकाया अंकन रू. 55251/- जमा करने को कहा था और वसूलने की धमकी दी, जिसके कारण यह परिवाद योजित किया गया है।
3. विपक्षीगण का कथन इस प्रकार आया कि परिवादी ने अपने विद्युत कनेक्शन ने नियमित भुगतान नहीं किया। मई, 2012 से संबंधित खंड में आनलाइन बिलिंग शुरू हुई, जिसके कारण लिपिकीय त्रुटिवश परिवादी की डबल बिलिंग हो गई और परिवादी द्वारा उपभोग की गई विद्युत पर अंकन रू. 72585/- वाजिब चल रहा है। परिवादी यदि विभाग द्वारा जारी मूल रसीद आदि जमा कर दे तो विभाग कनेक्शन से संबंधित बिल को संशोधन करने को तैयार है।
4. उभय पक्ष को सुनवाई का अवसर देने के उपरांत विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम शाहजहांपुर ने परिवाद इन आधारों पर स्वीकार किया कि उभय पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य एवं परिस्थितियों से स्पष्ट है कि विद्युत विभाग ने त्रुटिवश नया एकाउन्ट प्रदर्शित करते हुए जो बिल भेजे हैं वे विभाग के स्तर पर लिपिकीय त्रुटि के कारण है। इस आधार पर नया एकाउन्ट संख्या 8102702000 के आधार पर जारी विद्युत बिल निरस्त करने हेतु निर्णय व आदेश पारित किया गया है, जिसके विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है।
5. अपील में यह आधार लिए गए हैं कि परिवादी ने विद्युत कनेक्शन हेतु आवेदन किया था और उसे विद्युत कनेक्शन प्राप्त हुआ, जिसके उपरांत उसने विद्युत का उपयोग किया है। उसे उचित बिल प्रेषित किए गए हैं। परिवादी/प्रत्यर्थी ने विभाग द्वारा मांगे गए दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए हैं। विभाग के स्तर पर यदि कंप्यूटर में कोई त्रुटि हुई तो वह सुधारी जा सके।
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इन आधारों पर प्रश्नगत निर्णव व आदेश को निरस्त किए जाने की प्रार्थना की गई एवं साथ में यह भी प्रार्थना की गई कि अपीलीय न्यायालय परिवादी को निर्देश दे कि वह विभाग द्वारा मांगे गए दस्तावेज प्रस्तुत करे, जिससे विभाग के स्तर पर यदि कोई त्रुटि हो तो सुधारी जा सके। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि प्रश्नगत निर्णय व आदेश भारतीय विद्युत अधिनियम 2003, उत्तर प्रदेश कंडीशन आफ सप्लाई रेगुलेशन, 1984 तथा उत्तर प्रदेश विद्युत वितरण कोड 2005 के प्रावधानों के विरूद्ध है।
6. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन एवं प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री सैय्यद फजल अब्बास रिजवी के तर्क सुने गए एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
7. परिवादी/प्रत्यर्थी का कथन है कि उसका विद्युत कनेक्शन संख्या 39255 के दो एकाउन्ट नम्बर 7159687252 तथा 8102702000 के माध्यम से पृथक-पृथक विद्युत बकाया के बिल उसे प्रेषित किए गए हैं। परिवाद में प्रस्तुत किए गए लिखित कथन और अपील मेमों दोनों में ही अपीलकर्ता की ओर से यह स्वीकार किया गया है कि इस खंड में आनलाइन बिलिंग आरंभ हुई और आनलाइन फिटिंग के समय उपलब्ध आनलाइन डाटा के अनुसार लिपिकीय त्रूटि के कारण परिवादी की डबल बिलिंग हो गई है। परिवादी द्वारा प्रपत्र प्रस्तुत किए जाने पर विद्युत विभाग परिवादी को संशोधित बिल देने के तैयार है। इस प्रकार स्वीकार रूप से परिवादी के विद्युत कनेक्शन में डबल बिलिंग की गई है। विद्वान जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम शाहजहांपुर ने भी यही निष्कर्ष दिया है कि परिवादी को प्रेषित किया गया विद्युत बिल विभाग की लिपिकीय त्रुटि के कारण है,
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जो विद्युत विभाग की सेवा में त्रुटि को परिलक्षित करता है। जहां तक अपीलकर्ता का यह कथन है कि परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा दस्तावेज प्रस्तुत करने पर उसके बिल में संशोधन कर दिया जाएगा, इस संबंध में पीठ का मत यह है कि विद्युत विभाग में प्राप्त उपभोक्ता का समस्त उपभोग एवं बिलिंग का ब्यौरा अभिलेखों में मौजूद रहता है, अत: विभाग अपने स्तर से बिलों को दुरूस्त करके परिवादी को प्रेषित कर सकता है। इन परिस्थितियों में विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम का निष्कर्ष उचित प्रतीत होता है कि अपीलकर्ता विद्युत विभाग द्वारा सेवा में त्रुटि की गई है, अत: विद्वान जिला उपभोक्त फोरम द्वारा दिया गया निष्कर्ष निर्णय एवं आदेश उचित प्रतीत होता है। तदनुसार अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। जिला मंच द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध कराई जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (गोवर्धन यादव) (विकास सक्सेना) अध्यक्ष सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-1