राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या- 253/2016
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम, इटावा द्वारा परिवाद संख्या 01/2015 में पारित आदेश दिनांक 29.12.2015 के विरूद्ध)
- Union Of India(Bharat Sangh) through its Secretary Department of Dak Evam Tar Vibhag, New Delhi.
- Department of Posts, Etawah through its Superintendent of Post Offices(Proforma).
- Department of Posts Etawah through Senior Superintendent of Post Offices, Allahabad Division, Allahabad(contesting)
..............अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
Ashwani Rao Chaturvedi, S/o Sri Jagjiwan Rao Chautervedi, R/o
House No. 334 Katra Fatehmahmood Khan, Andawa House Takiya
City and District Etawh.
................प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री उदय वीर सिंह ।
विद्वान अधिवक्ता ।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री संजय कुमार वर्मा ।
विद्वान अधिवक्ता ।
दिनांक: 04-08-2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-01/2015 अश्वनी राय चतुर्वेदी बनाम भारत संघ व दो अन्य में जिला फोरम इटावा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक
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29.12.2015 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के विपक्षीगण भारत संघ द्वारा सचिव भारतीय डाक एवं तार विभाग, भारतीय डाक एवं तार विभाग इटावा द्वारा अधीक्षक इटावा, भारतीय डाक एवं तार विभाग इटावा द्वारा प्रवर अधीक्षक डाकघर इलाहाबाद मण्डल इलाहाबाद की ओर से धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है। आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद विपक्षी संख्या– 03 के विरूद्ध स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
"परिवाद विपक्षी संख्या– 03 के विरूद्ध 1,00,000/-रू0 की वसूली हेतु स्वीकार किया जाता है इस धनराशि पर वाद योजन की तिथि से वास्तविका भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देना होगा, विपक्षी संख्या– 03 को यह आदेशित किया जाता है उपरोक्तानुसार धनराशि परिवादी को निर्णय के एक माह में अदा करें "
अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री उदय वीर सिंह उपस्थित हुए है। प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा उपस्थित है।
मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने उपरोक्त परिवाद जिला फोरम इटावा के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने विपक्षी संख्या– 02 भारतीय डाक एवं तार विभाग इटावा के यहां से दिनांक 28.01.2014 को स्पीड पोस्ट द्वारा लोक सेवा आयोग इलाहाबाद को आवेदन पत्र सम्मिलित अवर अभियंता सामान्य
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चयन परीक्षा 2013 में सम्मिलित होने हेतु प्रेषित किया था। आवेदन की अन्तिम तिथि दिनांक 10.02.2014 थी परन्तु उक्त आवेदन पत्र पोस्टल डिपार्टमेन्ट द्वारा अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद दिनांक 10.04.2014 को लोकसेवा आयोग इलाहाबाद को प्राप्त कराया गया। इस प्रकार डाक विभाग ने सेवा में कमी की है जिससे प्रत्यर्थी/परिवादी लघु सिचाई जूनियर इंजीनियर की परीक्षा में सम्मिलित होने के अवसर से वंचित हो गया है। जिला फोरम के समक्ष परिवाद के विपक्षी संख्या-02 भारतीय डाक एवं तार विभाग इटावा द्वारा डाक अधीक्षक इटावा की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत कर यह स्वीकार किया गया है कि दिनांक 28.01.2014 को परिवादी ने प्रश्नगत स्पीडपोस्ट आर.एम.एस.(रेलवे मेल सर्विस) से इटावा से इलाहाबाद के लिए बुक किया था परन्तु उनके स्तर से स्पीड पोस्ट विलम्बित नहीं हुआ है, दुर्भाग्यवश ऐसा हुआ है।
विपक्षी संख्या- 01 व 03 की ओर से लिखित कथन जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है और न कोई उपस्थित हुआ है।
जिला फोरम ने उभयपक्ष के अभिकथन और उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत परिवाद विपक्षी संख्या-03 के विरूद्ध 1,00,000/-रू0 की वसूली हेतु स्वीकार करते हुए उपरोक्त प्रकार से आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी की ओर से तर्क किया गया है कि विपक्षी संख्या-03 का पता और विवरण परिवादपत्र में गलत अंकित किया गया है जिससे विपक्षी संख्या-03 को नोटिस प्राप्त नहीं हुई है और उसकी ओर से लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया जा सका है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-03 के स्तर पर स्पीड पोस्ट के वितरण में कोई विलंब या लापरवाही नहीं की गई है यदि
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कोई विलंब हुआ है तो आर.एम.एस.(रेलवे मेल सर्विस) इटावा से हुआ है जिसे परिवाद में पक्षकार ही नहीं बनाया गया है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-03 के विरूद्ध जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश त्रुटिपूर्ण है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय साक्ष्य और विधि के अनुकूल है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्या- 01 व 03 को परिवाद की पूरी जानकारी थी फिर भी वे उपस्थित नहीं हुए है और उनके द्वारा लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया है।
मैंने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।
निर्विवाद रूप से अपीलार्थी/विपक्षी संख्या- 01 व 03 की ओर से लिखित कथन जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है और वे उपस्थित नहीं हुए है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्या- 03 के विरूद्ध जिला फोरम ने आदेश पारित किया है। अपीलार्थीगण के अनुसार प्रश्नगत स्पीडपोस्ट के विलंब हेतु आर.एम.एस.(रेलवे मेल सर्विस) उत्तरदायी है परन्तु आर.एम.एस.(रेलवे मेल सर्विस) को परिवाद में पक्षकार ही नहीं बनाया गया है। उपरोक्त तथ्यों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हूं कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त कर पत्रावली गुण-दोष के आधार पर उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर निस्तारित करने हेतु जिला फोरम को प्रत्यावर्तित किया जाना उचित है। अत: अपील स्वीकार की जाती है। जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त करते हुए पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि वह अपीलार्थीगण संख्या– 01 व 03 को अपना लिखित कथन हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से 15 दिन के अंदर प्रस्तुत करने
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का अवसर प्रदान करेंगे। तदोपरांत उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर परिवाद का यथाशीघ्र निस्तारण विधि के अनुसार सुनिश्चित करेंगे और विधि के अनुसार पुन: निर्णय और आदेश पारित करेंगे। यदि आर.एम.एस.(रेलवे मेल सर्विस) को पक्षकार बनाए जाने हेतु प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया जाता है तो जिला फोरम उसका विधि के अनुसार निस्तारण करने हेतु स्वतंत्र है। उभयपक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 12.09.2017 को उपस्थित हो।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जमा धनराशि 25,000/-रू0 ब्याज सहित अपीलार्थीगण को वापिस की जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
सुधांशु श्रीवास्तव, आशु0
कोर्ट नं0-1