राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-१००४/२०१२
(जिला मंच, फर्रूखाबाद द्वारा परिवाद संख्या-५०६/१९९६ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०२-०४-२०१२ के विरूद्ध)
अजीज कोल्ड स्टोरेज, पितौरा कायमगंज, जनपद फर्रूखाबाद द्वारा प्रबन्धक।
............ अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
अश्वनी कुमार पुत्र जवाहर लाल अवस्थी निवासी ग्राम अमृतपुर, पोस्ट अमृतपुर, तहसील सदर, जनपद फर्रूखाबाद।
............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१- मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२- मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री ए0के0 पाण्डेय विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री जे0पी0 सक्सेना विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक :- १३-०६-२०१८.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, फर्रूखाबाद द्वारा परिवाद संख्या-५०६/१९९६ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०२-०४-२०१२ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपना १५ बोरा व ०१ कट्टा बीजी आलू जिसका बजन १५ कुन्तल ५० किलोग्राम था, दिनांक १८-०३-१९९६ को अपीलार्थी कोल्ड स्टोरेज में सुरक्षित रखे जाने हेतु रखा। अपीलार्थी द्वारा आलू रखने की रसीद दी गई। कुछ दिन बाद परिवादी के गॉंव के कुछ व्यक्तियों के माध्यम से ज्ञात हुआ कि अपीलार्थी ने षड़यन्त करके कोल्डस्टोरेज में रखा सारा आलू बेच दिया गया। इस जानकारी के पश्चात् परिवादी ने अपीलार्थी कोल्डस्टोरेज जा कर अपने आलू के विषय में जानकारी प्राप्त की किन्तु उसे कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई और न ही उसका आलू अपीलार्थी कोल्डस्टोरेज में रखा होना पाया गया जिससे इस तथ्य की पुष्टि हुई कि परिवादी
-२-
द्वारा रखा गया आलू बेच दिया गया। परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भिजवाई जिसे अपीलार्थी द्वारा लेने से इन्कार कर दिया गया। परिवादी के कथनानुसान परिवादी को आलू की नई फसल पैदा करने हेतु बीजी आलू की आवश्यकता था किन्तु अपीलार्थी द्वारा आलू बेच दिए जाने के कारण परिवादी को अपूर्णनीय क्षति हुई। परिवादी ने आलू की कीमत ७,५००/- रू० बताई। अपना बीजी आलू बेचे जाने के कारण उससे पैदा होने वाली सम्भावित फसल के मूल्य के आधार पर परिवादी ने लगभग ०२.०० लाख रू० की क्षति होना अभिकथित किया तथा परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रेषित किया।
अपीलार्थी के कथनानुसार परिवादी द्वारा भण्डारण हेतु प्रस्तुत किया गया आलू गुणवत्ता में खराब होने के बाबजूद परिवादी के आग्रह किए जाने पर परिवादी का आलू परिवादी के इस आश्वासन पर कि वह अपनी जोखिम पर आलू का भण्डारण करेगा लेकिन परिवादी के आलू की गुणवत्ता खराब होने के कारण आलू में किल्ले उत्पन्न हो गये तब अपीलार्थी ने परिवादी को सूचना प्रेषित की कि परिवादी अपीलार्थी के किराए का भुगतान करा कर अपना आलू प्राप्त कर ले। परिवादी जब सूचना के बाबजूद आलू लेने नहीं आया तब अपीलार्थी द्वारा परिवादी के आलू की खुली नीलामी कराई। आलू की नीलामी ३०/- रू० प्रति बोरा हुई। नीलामी से प्राप्त कुल धनराशि अपीलार्थी कोल्डस्टोरेज के किराए से कम थी। अत: परिवादी, अपीलार्थी का बकाया किराया १५०/- रू० देने का उत्तरदाई है।
विद्वान जिला मंच ने परिवादी द्वारा भण्डारित आलू को बीजी आलू की श्रेणी का नहीं माना तथा आलू का बजन १४ कुन्तल मानते हुए यह मत व्यक्त किया कि परिवादी द्वारा भण्डारित आलू अपीलार्थी द्वारा उसे वापस नहीं किया गया। आलू का मूल्य १९७/- रू० प्रति कुन्तल मानते हुए अपीलार्थी को निर्देशित किया कि वह निर्णय के दिनांक से ३० दिन के अन्दर परिवादी को भण्डारित आलू का मूल्य २,७५८/- रू० दिनांक १९-०३-१९९६ से भुगतान की तिथि तक ०६ प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज सहित भुगतान करे। इसके अतिरिक्त अपीलार्थी, परिवादी को मानसिक एवं शारीरिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु ७५०/- रू० एवं परिवाद व्यय के रूप में २५०/- रू० का भुगतान भी उपरोक्त समयावधि के अन्तर्गत करे।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
-३-
हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री ए0के0 पाण्डेय एवं प्रत्यर्थी/पवरिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री जे0पी0 सक्सेना के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा भण्डारित आलू निम्न श्रेणी का होने के कारण पर्याप्त सुरक्षा के बाबजूद क्षतिग्रस्त हो गया। अत: अपीलार्थी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को सूचना प्रेषित की गई कि प्रत्यर्थी/परिवादी अपना भण्डारित आलू अपीलार्थी का किराया अदा करके प्राप्त कर ले किन्तु सूचना प्राप्त होने के बाबजूद प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा आलू प्राप्त न करने के कारण भण्डारित आलू नीलाम किया गया और नीलामी की सूचना अपीलार्थी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को प्राप्त कराई गई। निलामी में यह आलू ३०/- रू० प्रति कुन्तल की दर से बिका। नीलामी द्वारा प्राप्त कुल धनराशि भूण्डारित आलू के किराए की देय धनराशि से कम थी।
अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि भूण्डारित आलू का बजन १५ कुन्तल नहीं था क्योंकि ०१ बोरा में अधिकतम ८० किलोग्राम आलू ही आ सकता है। उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच ने बिना किसी तर्कसंगत आधार के प्रश्नगत आलू की कीमत १९७/- रू० प्रति कुन्तल की दर से मानी है।
यह तथ्य निर्विवाद है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने १५ बोरा एक कट्टा आलू अपीलार्थी कोल्डस्टोरेज में रखा। अपीलार्थी की ओर से जिला मंच के समक्ष इस सम्बन्ध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा भण्डारित आलू निम्न श्रेणी का था, अत: यह नहीं माना जा सकता कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा भण्डारित आलू निम्न श्रेणी का था। यह नितान्त अस्वाभाविक है कि खराब आलू भण्डारण हेतु रखे जाने हेतु स्वीकार किया गया होगा, क्योंकि इससे भण्डारित अन्य आलू के खराब हो जाने की सम्भावना होती है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपना आलू बीजी श्रेणी का होना बताया किन्तु इस सन्दर्भ में जिला मंच के समक्ष साक्ष्य प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत नहीं की गई, अत: जिला मंच ने प्रत्यर्थी/परिवादी का आलू बीजी श्रेणी का नहीं माना। जिला मंच द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय के विरूद्ध कोई अपील प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा योजित नहीं की गई।
-४-
जहॉं तक अपीलार्थी के इस कथन का प्रश्न है कि प्रत्यर्थी/परिवादी का आलू खराब हो जाने के कारण इसकी सूचना प्रत्यर्थी/परिवादी को दी गई, अपने इस तर्क के समर्थन में अपीलार्थी ने यू0पी0सी0 डाक द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को इस सम्बन्ध में सूचना प्रेषित किया जाना बताया है तथा अपील मेमो के साथ यू0पी0सी0 डाक द्वारा कथित रूप से भेजे गये पत्र की फोटोप्रति दाखिल की है। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि नीलामी से पूर्व यू0पी0सी0 डाक द्वारा नीलामी की सूचना प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रेषित की गई जबकि प्रत्यर्थी/परिवादी ने ऐसी कोई सूचना प्राप्त होने से इन्कार किया है। यू0पी0सी0 डाक द्वारा कथित रूप से भेजी गई सूचना के आधार पर यह निश्चित रूप से नहीं माना जा सकता कि वस्तुत: प्रत्यर्थी/परिवादी को भण्डारित आलू के कथित रूप से खराब होने की कोई सूचना अपीलार्थी द्वारा प्रेषित की गई। ऐसी परिस्थिति में भण्डारित आलू के मूल्य की अदायगी का दायित्व अपीलार्थी का माना जायेगा।
अब महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि कितनी धनराशि की अदायगी हेतु अपीलार्थी को निर्देशित किया जाना न्यायसंगत होगा।
प्रत्यर्थी/परिवादी ने भण्डारित आलू का बजन १५ कुन्तल बताया है, जबकि अपीलार्थी की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया जा रहा है कि ०१ बोरा में ८० किलो आलू होना मानते हुए आलू का बजन १२ कुन्तल था। प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि जिला मंच के समक्ष अपीलार्थी द्वारा प्रश्नगत आलू का बजन १४ कुन्तल होना बताया गया और जिला मंच ने प्रश्नगत आलू का बजन अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत किए गये अभिलेखों के आलोक में १४ कुन्तल माना, जिला मंच का यह निष्कर्ष हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण नहीं है।
जहॉं तक आलू के कुल मूल्य का प्रश्न है विद्वान जिला मंच ने आलू की दर १९७/- रू० प्रति कुन्तल मानी है तथा इस सन्दर्भ में जिला मंच द्वारा मण्डी समिति कार्यालय फर्रूखाबाद से आलू के मूल्य के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की जो प्रपत्र सं0-३७ के रूप में प्राप्त हुआ। उसके अनुसार मार्च १९९६ में आलू की दर प्रति कुन्तल १९७/- रू० थी। ऐसी परिस्थिति में विद्वान जिला मंच द्वारा निर्धारित आलू के मूल्य की यह दर अनुचित नहीं मानी जा सकती।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच ने भण्डारित आलू के किराए की धनराशि पर विचार नहीं किया है। अपीलार्थी के विद्वान
-५-
अधिवक्ता के इस तर्क में बल प्रतीत होता है। अपने लिखित तर्क में अपीलार्थी ने भण्डारण का किराया ४४/- रू० प्रति बोरा की दर से १५ बोरा ०१ पैकेट का कुल किराया ६९२/- रू० बताया है। हमारे विचार से प्रत्यर्थी/परिवादी को देय धनराशि में से यह धनराशि घटाया जाना न्यायसंगत होगा क्योंकि प्रत्यर्थी/परिवादी का यह कथन नहीं है कि आलू भण्डारण का किराया उसके द्वारा भुगतान किया गया था। इस प्रकार प्रत्यर्थी/परिवादी अपीलार्थी से भण्डारित आलू के सापेक्ष २,७५८-६९२=२,०६६.०० रू० प्राप्त करने का अधिकारी माना जा सकता है। विद्वान जिला मंच ने आलू के मूल्य पर परिवाद योजित किए जाने की तिथि से ०६ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भुगतान की तिथि तक अदा करने हेतु भी आदेशित किया है, विद्वान जिला मंच का यह निष्कर्ष हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण नहीं है। विद्वान जिला मंच ने ७५०/- रू० मानसकि क्षति हतु एवं २५०/- रू० वाद व्यय के सन्दर्भ में भुगतान किए जाने हेतु आदेशित किया है। मामले की परिस्थितियों के आलोक में यह धनराशि हमारे विचार अनुचित नहीं है। अपील तद्नुसार आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला मंच, फर्रूखाबाद द्वारा परिवाद संख्या-५०६/१९९६ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०२-०४-२०१२ मात्र इस सीमा तक संशोधित किया जाता है कि परिवादी को भण्डारित आलू का मूल्य २,७५८/- रू० के स्थान पर २,०६६/- रू० देय होगा। शेष आदेश की यथावत् पुष्टि की जाती है।
इस अपील का व्यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट नं.-५.