Uttar Pradesh

StateCommission

A/860/2018

Branch Manager Canara Bank - Complainant(s)

Versus

Ashutosh Kumr Maurya - Opp.Party(s)

Nitin Khanna

14 Oct 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/860/2018
( Date of Filing : 10 May 2018 )
(Arisen out of Order Dated 13/07/2017 in Case No. C/16/2013 of District Mirzapur)
 
1. Branch Manager Canara Bank
Branch Dhundikatra Distt. Mirzapur
...........Appellant(s)
Versus
1. Ashutosh Kumr Maurya
Profession Insurance Agent S/O Sri Kapur Chand Maurya R/O Vill. Tar Post Ami City and Distt. Mirzapur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 14 Oct 2022
Final Order / Judgement

                                  (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील सं0- 860/2018

Branch Manager, Canara Bank, Branch Dhundikatra, District Mirzapur.

                                         …….Appellant

                      Versus

Ashutosh kumar Maurya, aged about 34 years, Profession Insurance Agent S/o Sri Kapur Chand Maurya R/o Village Tar, Post Amoi, City & District Mirzapur.

                                      ………Respondent       

समक्ष:-

   माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री नितिन खन्‍ना,

                           विद्वान अधिवक्‍ता।                         

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : कोई नहीं।

                     

दिनांक:- 14.10.2022

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

          परिवाद सं0- 16/2013 आशुतोष कुमार मौर्या बनाम शाखा प्रबंधक, केनरा बैंक में जिला उपभोक्‍ता आयोग, मीरजापुर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 13.07.2017 के विरुद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

          विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को निर्देशित किया गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के बैंक खाता सं0- 18956 में दि0 10.09.2009 को जमा राशि 11,092/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा किया जाए। इस राशि पर दि0 10.09.2009 से 07 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज अदा करने का भी आदेश दिया गया है।

          परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी पर यह झूठा आरोप लगाया गया है कि दि0 10.09.2009 को एक ही दिन में अंकन 60,000/-रू0 आहरित कर लिए गए हैं और खाते में मौजूद राशि से अधिक राशि निकाली गई है। इस राशि को बैंक में जमा करने का आदेश दिया गया है जब कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा दि0 10.09.2009 को ए0टी0एम0 कार्ड से 5,000/-रू0 एवं 15,000/-रू0 कुल 20,000/-रू0 निकाले गए हैं और उसके खाते में 11,092/-रू0 शेष हैं। इसलिए बैंक के विरुद्ध परिवाद प्रस्‍तुत किया गया और प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में अंकन 11,092/-रू0 ब्‍याज सहित जमा करने के अनुतोष की मांग की गई है।

          अपीलार्थी/विपक्षी बैंक का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा दि0 10.09.2009 को 15,000/-रू0, 5,000/-रू0, 5,000/-रू0, 15,000/-रू0, 15,000/-रू0, 5,000/-रू0 कुल 60,000/-रू0 ए0टी0एम0 के माध्‍यम से निकाले गए। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दि0 10.09.2009 को 18,000/-रू0 अवैध रूप से आहरण करने का प्रयास किया गया। इसलिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा ए0टी0एम0 के माध्‍यम से अधिक राशि आहरित की गई है और अवैध संव्‍यवहार इसलिए सम्‍भव हो पाया कि दि0 07.09.2009 से दि0 09.09.2009 तक सर्वर खराब रहा है। इसलिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा निकाली गई राशि का इंद्राज अपडेट नहीं हो पाया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा दि0 08.09.2009 को 15,000/-रू0 निकाले गए थे और इसी तिथि को 5,000/-रू0 अवैध रूप से निकालने का प्रयास किया गया था। दि0 09.09.2009 को 15,000/-रू0 एवं 5,000/-रू0 निकाले गए थे। यदि सर्वर खराब नहीं होता तो प्रत्‍यर्थी/परिवादी का खाता दुरुस्‍त हो जाता और उसे अतिरिक्‍त राशि निकालने का अवसर प्रदान नहीं होता।

          दोनों पक्षकारों को सुनने के उपरांत विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया है कि दि0 10.09.2009 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी के बैंक खाते में 11,092/-रू0 अवशेष था। इस राशि को प्राप्‍त करने के लिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी अधिकृत है। तदनुसार उपरोक्‍त निर्णय/आदेश पारित किया गया।

          इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने तथ्‍य एवं साक्ष्‍य के विपरीत निर्णय पारित किया है। दि0 10.09.2009 को निकाली गई राशि के आधार पर साबित है कि उसके द्वारा खाते में जमा राशि से अधिक राशि निकाली गई है और दि0 10.09.2009 से पूर्व भी धनराशि निकलती रही।

          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा बहस के दौरान इस पीठ का ध्‍यान एनेक्‍जर सं0- 4 प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते के विवरण रिपोर्ट की ओर आकृष्‍ट किया गया। इस विवरण रिपोर्ट के अवलोकन से जाहिर होता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा दि0 10.09.2009 को सर्वप्रथम 15,000/-रू0 निकाले गए। इस राशि को आहरित करने के पश्‍चात प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में 16,092/-रू0 अवशेष रहे। इसके बाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा इसी तिथि को अंकन 5,000/-रू0 इस राशि को निकालने के बाद 6,092/-रू0 अवशेष रहे। इसके बाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा दि0 10.09.2009 को ही 15,000/-रू0 निकाले गए। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा दि0 10.09.2009 को पुन: क्रमश: 15,000/-रू0 तथा 5,000/-रू0 की राशि निकाली गई। इस प्रकार प्रत्‍यर्थी/परिवादी पर कुल 28,908/-रू0 का बैंक का ऋण हो गया। इस स्थिति के बावजूद प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा बैंक के विरुद्ध अंकन 11,092/-रू0 की प्राप्ति के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया। चूँकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह कथन नहीं है कि उसके ए0टी0एम0 का प्रयोग बैंक के किसी कर्मचारी द्वारा अवैध तरीके से कर लिया गया। अत: स्‍पष्‍ट है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने विवरण रिपोर्ट को विचार में नहीं लिया और सरसरी तौर पर निर्णय व आदेश पारित कर दिया। अत: प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश अपास्‍त होने योग्‍य एवं अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।   

आदेश

          अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किया जाता है तथा परिवाद खारिज किया जाता है।  

     अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     अपील में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित इस निर्णय व आदेश के अनुसार अपीलार्थी को वापस की जाए।

          आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।    

 

   (विकास सक्‍सेना)                         (सुशील कुमार)

             सदस्‍य                                  सदस्‍य  

                                

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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